अंबाला: गणित एक ऐसा विषय... जिसके बारे में सोचते ही ज्यादातर लोगों का दिमाग घूम जाता है. सिर्फ जमा घटा ही नहीं रेखा गणित, अंक गणित, बीज गणित की चक्रवात में अच्छे-अच्छे फंस जाते हैं, मगर अंबाला में एक ऐसे गुरु जी हैं जिन्हें गणित से प्यार है और उनकी पढ़ाने की कला से छात्रों को भी गणित से प्यार होने लगा है, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी ये गुरु जी इस स्कूल में शिक्षक नहीं बतौर चपरासी कार्यरत हैं.
कहते हैं ना जहां चाह होती है, वहां राह भी होती है. इसी कहावत को कमल सिंह ने सच कर दिखाया है. अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल माजरी में बतौर चपरासी के पद पर नियुक्त कमल सिंह न सिर्फ स्कूल के अंदर चपरासी की भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि कक्षा 9वी के छात्र छात्राओं को गणित भी पढ़ा रहे हैं. उनके इस जज्बे को ना सिर्फ बच्चे बल्कि स्कूल के बाकी स्टाफ मेंबर्स भी सलाम करते हैं.
एमएससी, फिजिक्स के साथ नेट भी है क्लियर
ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए कमल सिंह ने बताया कि उन्होंने एमएससी फिजिक्स के साथ-साथ नेट भी क्वालीफाई किया हुआ है. स्कूल के अंदर पीजीटी की कमी होने की वजह से कमल ने कक्षा 9वीं को गणित पढ़ाने की गुजारिश की. जिसके बाद प्रिंसिपल ने उन्हें पढ़ाने की अनुमति दी है. स्कूल प्रिंसिपल के इस फैसले से कमल सिंह खुद को भाग्यशाली समझ रहे हैं, वहीं बच्चों का भी भला हुआ है.
बच्चों के फेवरेट हैं कमल सिंह
जब हमारी टीम से गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, माजरी की प्रिंसिपल सरबजीत कौर ने कहा कि कमल सिंह का व्यवहार बहुत ही अच्छा है. और वह स्वेच्छा से बच्चों को पढ़ाना चाहते थे, जिस वजह से हमने भी उन्हें उनकी क्वालिफिकेशन को देखते हुए इसकी अनुमति दी. हालांकि वह चपरासी की भूमिका भी निभाते हैं. वही बच्चों ने बताया कि उन्हें कमल सिंह सर का पढ़ाया गया सब अच्छे से समझ आता है, वो उनके फेवरेट टीचर हैं.
ग्रुप डी भर्ती में हुई थी नियुक्ति
दरअसल हरियाणा सरकार की तरफ से जनवरी 2019 में ग्रुप डी की भर्तियां निकाली गई थी. जिसमें अधिकतर एचटेट, सीटेट, नेट पास के अलावा ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवा चपरासी के पद पर भर्ती हुए थे और उनमें से कुछ युवाओं की नियुक्ति सरकारी स्कूलों में बतौर चपरासी की गई. इन्हीं भर्तियों में कमल सिंह भी चयनीत हुए थे.
ये भी पढ़ेंः- हरियाणा में 2024 तक हर जिले में होगा ओल्ड एज होम, सरकार ने HC में दी जानकारी
खैर, प्रदेश के अंदर सरकारी स्कूलों की डामाडोल स्थिति किसी से छिपी नहीं है और ऐसे हालात में कमल सिंह जैसे योग्य नौजवानों की तरफ से सामने से आकर स्वेच्छा से बच्चों को पढ़ाना बच्चों के लिए और शिक्षा विभाग के लिए भी एक बड़ी राहत है, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इतने वेल क्वालिफाइड युवक-युक्तियां चपरासी के पद के हकदार हैं और अगर उन्हें इतना पढ़ लिखकर भी चपरासी का पद मिलता है, तो कहीं ना कहीं ये सरकार की गलत नीतियों को उजागर करती हैं.