अंबालाः राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र आपने देखे हैं, लेकिन ईटीवी भारत की टीम इस बार आपको दिखा रही है जनता का घोषणा पत्र. ईटीवी भारत की टीम अपने खास कार्यक्रम 'जनता का घोषणा पत्र' के तहत अंबाला विधानसभा क्षेत्र में पहुंची और वहां की आर्या गर्ल्स कॉलेज की छात्राओं और अध्यापकों से जाना कि अगर आपको अपना घोषणा पत्र बनाने का मौका मिले तो आप किन समस्याओं को सबसे ऊपर रखेंगे.
अंबाला विधानसभा सीट पर विज का चुनावी समीकरण
अनिल विज ने 1990 में पहली बार चुनाव लड़ा था. उसके बाद साल 1990, 1996, 2000 में लगातार जीत हासिल की. हालांकि इसके बाद 2004 का चुनाव हार गए, लेकिन 2009 में बतौर आजाद और साल 2014 में बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल की. चलिए एक नजर अंबाला छावनी विधानसभा की जनसंख्या और मतदाताओं की संख्या पर डाल लेते हैं.
अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र में मतदाता
कुल मतदाताः 1,70,991
पुरुष मतदाताः 9,10,54
महिला मतदाताः 7,99,37
कॉलेज के छात्रों और अध्यापकों से बातचीत
ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम जनता का घोषणा पत्र में अंबाला विधानसभा क्षेत्र के आर्या गर्ल्स कॉलेज के अध्यापकों और छात्राओं के साथ बातचीत की और आगामी विधानसभा चुनावों के अंदर जिस भी राजनीतिक दल की पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रहती है तो सत्ता में आते ही कौन सी मांगों को तुरंत प्रभाव से अमल में लाना चाहिए उसके बारे में बताया. अध्यापकों का कहना है कि सरकार अगर मेनिफेस्टो बनाती है तो उसे पूरा भी करना चाहिए.
प्राइवेट कॉलेज को भी मिलनी चाहिए सुविधाएं
अध्यापकों ने बताया कि शिक्षा नीति के तहत सरकार जो भी पॉलिसी शुरू करती है, उसका फायदा गवर्नमेंट कॉलेज के साथ-साथ गवर्नमेंट ऐडेड कॉलेज को भी मिलना चाहिए. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई अर्न व्हाइल लर्न की पॉलिसी सरकारी कॉलेज में तो सुचारू रूप से चलाई जा रही है, लेकिन सरकार ने प्राइवेट कॉलेज को इसमें सम्मिलित क्यों नहीं किया. उनकी मांग है कि प्राइवेट कॉलेजों को भी इसमें सम्मिलित करना चाहिए. इसके अलावा अध्यापकों ने मांग करते हुए कहा कि समान वेतन समान काम की नीति गवर्नमेंट ऐडेड कॉलेज और सरकारी कॉलेज में भी लागू होनी चाहिए.
पीएचडी या नेट में से एक हो अनिवार्य
अध्यापकों का कहना है कि सरकार को या तो पीएचडी और या फिर नेट क्वालीफाई करना अनिवार्य करना चाहिए. ना कि दोनों अनिवार्य होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हर साल जितनी वैकेंट पोस्ट हैं, उसमें नए बच्चों को शामिल किया जाए, ना कि पुराने बच्चों को. उन्होंने कहा कि प्रशासन को पुराने बच्चों की मैरिट लिस्ट अलग से तैयार करनी चाहिए. जिससे उन युवाओं को भी उम्र का फायदा मिल सके.
'मेनिफेस्टो में हो रोजगार का मुद्दा'
अंबाला छावनी के अध्यापकों की मांग है कि जो भी सरकार आए वो सबसे पहले युवाओं के रोजगार की ओर ध्यान दे. उनका कहना है कि सरकार केवल झूठे वादे और जुमलेबाजी करके जनता से वोट तो ले जाती है, लेकिन उनकी समस्याओं को हल नहीं करती.
अध्यापकों का कहना है कि आज देश में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो सबसे पहले बेरोजगार युवाओं की ओर ध्यान दे, क्योंकि आज इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद अगर कोई युवा घर में बैठता है तो इससे उसे निराशा होती है.
छात्राओं का घोषणा पत्र
वहीं छात्राओं ने बताया कि सबसे पहले तो सरकार को रिजर्वेशन पॉलिसी खत्म करनी चाहिए. छात्रों ने कहा कि जिससे सभी को बराबर के मौके मिले साथ ही जिस वर्ग को रिजर्वेशन की जरूरत है. उसकी आर्थिक स्थिति को देखकर ही उसे रिजर्वेशन कोटा दिया जाए.
छात्रों की मांग है कि कॉलेजों में बेहतर शिक्षा उन्हें मुहैया करवाई जाए. छात्राओं ने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार बनाती है तो उन्हें सबसे पहले छात्रों की ओर ध्यान देना चाहिए. छात्राओं ने कहा कि हम ही इस देश के भविष्य हैं और अगर सरकार हमारी ही अनदेखी करती है तो विकास कैसे संभव होगा.
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