नई दिल्ली: पैरालंपिक रजत पदक विजेता दीपा मलिक ने सोमवार को संन्यास की घोषणा कर दी ताकि वह राष्ट्रीय खेल कोड को मानते हुए भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) का अध्यक्ष पद संभाल सकें.
राष्ट्रीय खेल नियम के मुताबिक कोई भी मौजूदा खिलाड़ी महासंघ में आधिकारिक पद नहीं ले सकता. इसी नियम का हवाला देते हुए हुए मलिक ने संन्यास लिया है.
दीपा ने कहा, "चुनाव के लिए मैंने पीसीआई को काफी पहले ही पत्र सौंप दिया था. मैं नई समिति को मान्यता देने के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार किया और अब केंद्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त करने के लिए मैं खेल से संन्यास की घोषणा करती हूं. अब पैरा-खेलों की सेवा करने और बाकी खिलाड़ियों की मदद करने का वक्त आ गया है."
उन्होंने कहा कि संन्यास की घोषणा करना महत्वपूर्ण है. मुझे देश के नियमों के मुताबिक ही चलना होगा. लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो मैं 2022 के एशियन गेम्स के वक्त अपने फैसले की समीक्षा कर सकती हूं. मुझे नहीं पता कि मेरे अंदर का खिलाड़ी कभी खत्म होगा भी या नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि मैंने बहुत भारी मन से यह फैसला लिया है. लेकिन खेल की बेहतरी के लिए मुझे ऐसा करना था. अगर मुझे पीसीआई में पद संभालना है तो मुझे कानून मानना होगा.
दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं. उन्होंने रियो पैरालंपिक-2016 में गोलाफेंक में रजत पदक जीता था. उन्होंने पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में एफ-53/54 कैटेगरी में भालाफेंक में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
पिछले साल 29 अगस्त को उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड मिला था. वह यह अवॉर्ड पाने वाली भारत की दूसरी पैरा-एथलीट थीं और भारत की पहली महिला पैरा एथलीट भी थी. उनसे पहले भालाफेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाजरिया ने 2017 में यह पुरस्कार अपने नाम किया था.
इससे पहले दीपा को 2012 में अर्जुन अवॉर्ड और 2017 में पद्मश्री अवॉर्ड मिला था. 49 साल की दीपा के पास 58 राष्ट्रीय और 23 अंतर्राष्ट्रीय पदक हैं.