रोहतक: करोना महामारी में फ्रंट लाइन में खड़ी स्टाफ नर्स जब घर जाने की बात सोचती है तो अनायास ही उनकी आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं. एक हफ्ते की ड्यूटी करने के बाद 14 दिनों के लिए किसी एकांत जगह पर इन्हें क्वारंटाइन किया जाता है. बाद में अगर इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो केवल 2 दिनों के लिए भेजा जाता है.
परिवार से पहले फर्ज
कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रही स्टाफ नर्सों के लिए परिवार से पहले अपना फर्ज है. हालांकि बच्चों से मिलने की बात जुबां पर आते ही इनकी आंखों में भावुकता के पल साफ नजर आ जाते हैं. भावुक हुई इन नर्सों का कहना है कि बच्चों की बहुत याद आती है लेकिन कोरोना वायरस संक्रमित लोग भी तो हमारे अपने ही हैं. इसलिए घर से पहले ड्यूटी जरूरी है.
परिवार को याद कर हो जाते हैं भावुक
क्वारंटाइन में चल रही इन स्टाफ नर्सों का कहना है कि परिवार और बच्चों की बहुत याद आती है लेकिन परिवार से पहले हमारे लिए ड्यूटी है. स्टाफ नर्स ने कहा कि शुरू शुरू में किट पहनने और करोना के मरीजों के पास जाने में डर लगता था लेकिन अब आदत सी हो गई है. क्योंकि जो करोना पेशेंट पीजीआई में भर्ती हैं उनसे भी लगाव हो गया है. इसलिए उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है.
गौरतलब है कि कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी करने के बाद इन्हें क्वारंटाइन किया जाता है. इस दौरान इनके कोरोना टेस्ट भी किए जाते हैं. अगर रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो इन्हें 2 दिन के लिए घर जाने की इजाजत होती है. उसके बाद फिर से ड्यूटी इसी प्रक्रिया के अनुसार काम होता है.
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