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Rohtak Kisan Mahapanchayat: कृषि कानूनों के विरोध में 16 अक्टूबर को रोहतक में किसान महापंचायत - 16 अक्टूबर को मकड़ौली टोल प्लाजा पर महापंचायत

हरियाणा के रोहतक में आगामी 16 अक्टूबर को किसान महापंचायत (Rohtak Kisan Mahapanchayat) होने वाली है. इस बात का ऐलान भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने किया है. इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

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Rohtak Kisan Mahapanchayat: कृषि कानूनों के विरोध में 16 अक्टूबर को रोहतक में किसान महापंचायत
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Published : Sep 30, 2021, 7:36 PM IST

रोहतक: हरियाणा की धरती पर एक और किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) होने वाली है. किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि मुजफ्फरनगर और पानीपत के बाद इस बार रोहतक (Rohtak) में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. बताया जा रहा है आने वाली 16 अक्टूबर को रोहतक के मकड़ौली टोल प्लाजा पर किसान महापंचायत होगी. इससे पहले तीन कृषि कानूनों के विरोध (Agriculture Laws)में किसानों ने बीते 27 सितम्बर को भारत बंद बुलाया था.

संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) आगामी 16 अक्टूबर को रोहतक में किसान महापंचायत का आयोजन करेगा. महापंचायत मकड़ौली टोल प्लाजा (Makdoli Toll Plaza) पर होगी, क्योंकि यहीं पर जिले में सबसे पहले किसानों ने धरना शुरू किया था. भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि रोहतक में महापंचायत करने के लिए 23 सितम्बर को एक प्रस्ताव संयुक्त मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी को गया था. जिसे कमेटी ने मंगलवार को अनुमति दे दी है. हालांकि अभी ये तय नहीं हो पाया है कि महापंचायत में कौन-कौन से किसान नेता शामिल होंगे.

रोहतक में मकड़ौली टोल प्लाजा के साथ लगती 30 एकड़ जमीन में पंडाल लगाया जाएगा. किसान नेताओं के मुताबिक कार्यक्रम की रूपरेखा रोजाना तैयार की जा रही है. रोजाना संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों को यह प्लानिंग भेजी जा रही है. जिस भी रुपरेखा पर सहमति मिलेगी, उसी हिसाब से कार्यक्रम होगा.

ऐसे शुरू हुआ किसानों का आंदोलन: पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र के अंतिम दिनों में 14 सितंबर को ये कृषि सुधार अध्यादेश वित्त विधेयक के तौर पर संसद में लाए गए. 17 सितंबर को लोकसभा ने इसे पारित कर दिया. पंजाब, हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों में किसानों के बीच 3 नवंबर से सुगबुगाहट शुरू हुई. कृषि मंडियों, जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तरों और सड़कों पर छुटपुट प्रदर्शनों और विरोध का सिलसिला शुरू हुआ. 25 नवंबर को दिल्ली कूच करने का ऐलान हुआ और किसान चल पड़े दिल्ली की सीमा पार करने.

दिल्ली की सरहदों पर पश्चिम की ओर से पंजाब, हरियाणा और पूर्व की ओर से यूपी, उत्तराखंड के किसानों ने सीमा पर डेरा डाला. इस बीच सरकार की ओर से बातचीत की पेशकश भी हुई. बातचीत के चार दौर चले भी. लेकिन किसान नेता इन कानूनों में संशोधन का सुझाव देने या उन पर चर्चा करने की बजाय तीनों कानूनों को वापस लेने पर ही अड़े रहे. बातचीत के सभी दौर फेल रहे.

ये भी पढ़ें- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे, जानें आगे की तैयारी

रोहतक: हरियाणा की धरती पर एक और किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) होने वाली है. किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि मुजफ्फरनगर और पानीपत के बाद इस बार रोहतक (Rohtak) में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. बताया जा रहा है आने वाली 16 अक्टूबर को रोहतक के मकड़ौली टोल प्लाजा पर किसान महापंचायत होगी. इससे पहले तीन कृषि कानूनों के विरोध (Agriculture Laws)में किसानों ने बीते 27 सितम्बर को भारत बंद बुलाया था.

संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) आगामी 16 अक्टूबर को रोहतक में किसान महापंचायत का आयोजन करेगा. महापंचायत मकड़ौली टोल प्लाजा (Makdoli Toll Plaza) पर होगी, क्योंकि यहीं पर जिले में सबसे पहले किसानों ने धरना शुरू किया था. भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि रोहतक में महापंचायत करने के लिए 23 सितम्बर को एक प्रस्ताव संयुक्त मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी को गया था. जिसे कमेटी ने मंगलवार को अनुमति दे दी है. हालांकि अभी ये तय नहीं हो पाया है कि महापंचायत में कौन-कौन से किसान नेता शामिल होंगे.

रोहतक में मकड़ौली टोल प्लाजा के साथ लगती 30 एकड़ जमीन में पंडाल लगाया जाएगा. किसान नेताओं के मुताबिक कार्यक्रम की रूपरेखा रोजाना तैयार की जा रही है. रोजाना संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों को यह प्लानिंग भेजी जा रही है. जिस भी रुपरेखा पर सहमति मिलेगी, उसी हिसाब से कार्यक्रम होगा.

ऐसे शुरू हुआ किसानों का आंदोलन: पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र के अंतिम दिनों में 14 सितंबर को ये कृषि सुधार अध्यादेश वित्त विधेयक के तौर पर संसद में लाए गए. 17 सितंबर को लोकसभा ने इसे पारित कर दिया. पंजाब, हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों में किसानों के बीच 3 नवंबर से सुगबुगाहट शुरू हुई. कृषि मंडियों, जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तरों और सड़कों पर छुटपुट प्रदर्शनों और विरोध का सिलसिला शुरू हुआ. 25 नवंबर को दिल्ली कूच करने का ऐलान हुआ और किसान चल पड़े दिल्ली की सीमा पार करने.

दिल्ली की सरहदों पर पश्चिम की ओर से पंजाब, हरियाणा और पूर्व की ओर से यूपी, उत्तराखंड के किसानों ने सीमा पर डेरा डाला. इस बीच सरकार की ओर से बातचीत की पेशकश भी हुई. बातचीत के चार दौर चले भी. लेकिन किसान नेता इन कानूनों में संशोधन का सुझाव देने या उन पर चर्चा करने की बजाय तीनों कानूनों को वापस लेने पर ही अड़े रहे. बातचीत के सभी दौर फेल रहे.

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