रोहतक: गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट रोहतक जिले की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. जाट बहुल इस क्षेत्र को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहा जाता है. गढ़ी सांपला किलोई प्रदेश की हॉट सीट में से एक है और पूरे प्रदेश की निगाहें भी इस सीट पर रहती हैं क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से चुनाव लड़ते हैं.
वहीं 1968 में हुए मध्यावधि चुनाव में रणबीर सिंह हुड्डा ने श्रेयोनाथ को हराया. 1972 के विधानसभा चुनाव में रणबीर सिंह हुड्डा के बेटे प्रताप सिंह कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे और महंत श्रेयोनाथ से हार गए. 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के हरिचंद हुड्डा जीते. 1982 में लोकदल के हरिचंद जीते. 1987 के चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा लोकदल के उम्मीदवार श्रीकृष्ण हुड्डा से हार गए. साल 1991 में कांग्रेस के कृष्णमूर्ति हुड्डा जीते. 1996 में श्रीकृष्ण हुड्डा सोशल एक्शन पार्टी से चुनाव लड़े और जीत गए. साल 2000 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जीते. 2005 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा. 2005 के उपचुनाव में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा जीते. इसके बाद 2009 और 2014 में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जीत दर्ज की.
जाट मतदाताओं का बोलबाला
इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर ज्यादातर जाट समुदाय का व्यक्ति ही विधायक बनता है. 13 में 11 चुनाव में यहां से हुड्डा गौत्र के नेता ही जीते हैं. गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट पर 2 लाख 4 हजार के करीब मतदाता हैं, जिनमें से करीब 95 हजार जाट मतदाता हैं, जबकि एक लाख सात हजार के करीब गैर जाट मतदाता हैं.
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पूर्व सीएम हुड्डा का गढ़
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्म 15 सितंबर 1947 को हुआ था और राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी. उनके पिता रणबीर सिंह हुड्डा स्वतंत्रता सेनानी थे और देश का संविधान तैयार करने वाली संविधान सभा के सदस्य भी थे. रणबीर हुड्डा दो बार लोकसभा और 1 बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वे हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बात करें तो वे 1991, 1996, 1998 और 2004 में लोकसभा सांसद रहें. 2004 को छोड़कर उन्होंने बाकी तीनों लोकसभा चुनावों में चौ.देवीलाल को हराया था, वो भी लगातार तीन बार. 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. फिर 2005 में उनके करीबी श्रीकृष्ण हुड्डा ने उनके लिए किलोई विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उपचुनाव जीतकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा के सदस्य बन गए थे. इसके बाद 2009 में नई गढ़ी सांपला किलोई सीट बनने के बाद भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से जीते. साल 2014 के चुनाव में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यहां से जीत दर्ज की थी.
2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में गढ़ी सांपला किलोई में 1,90,869 मतदाता थे जिसमें से 1,40,810 लोगों ने मतदान किया था. गढ़ी सांपला किलोई में कुल 73.77 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2014 के चुनाव में भी यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भरोसा दिखाया और उन्हें दोबारा विधायक बना दिया. हुड्डा ने इनेलो के सतीश नांदल को हराया था. पूर्व सीएम हुड्डा को 80,693 वोट मिले थे और सतीश नांदल को 33508 वोट प्राप्त हुए थे. बीजेपी उम्मीदवार धर्मवीर हुड्डा 22,101 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.
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क्या हैं 2019 के समीकरण?
2019 के चुनाव में राजनीतिक विशेषज्ञ यहां से पूर्व सीएम हुड्डा के सामने बड़ी चुनौती मानकर चल रहे हैं. हाल ही के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पूर्व सीएम हुड्डा की परेशानी भी बढ़ा रखी हैं. लोकसभा चुनाव में पूर्व सीएम के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी दीपेन्द्र सिंह हुड्डा इस सीट से करीब 47 हजार की लीड लेने में कामयाब हुए थे, लेकिन 2014 के मुकाबले दीपेन्द्र हुड्डा की लीड काफी कम हुई थी. पिछले दो चुनावों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के जीत का अंतर भी यहां से कम हुआ है. 2009 में हुड्डा 72100 वोट से जीते थे और 2014 में यह जीत का आंकड़ा घटकर 57185 रह गया. दोनों ही चुनाव में मुख्य मुकाबला इनेलो पार्टी के साथ रहा और भारतीय जनता पार्टी का कोई बड़ा चेहरा उस समय चुनाव मैदान में नहीं था.
2019 में मतदाता
- कुल मतदाता- 2,04,796
- पुरुष- 1,11,650
- महिला- 93,146
- ट्रांसजेंडर- 0
2019 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी
- कांग्रेस- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
- बीजेपी- सतीश नांदल
- इनेलो- कृष्ण कौशिक
- जजपा- डॉ. संदीप हुड्डा