रोहतक: हरियाणा के रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव की रहने वाली राष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी शिक्षा इन दिनों तंगहाली का जीवन गुजार रही है. मनरेगा स्कीम के तहत काम कर रहे माता-पिता की मदद कर रही है. ताकि घर में कुछ पैसे आ जाएं और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाए. शिक्षा की दिहाड़ी करते हुए की एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई जिसके बाद अब बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री ने मामले को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और खेल मंत्री संदीप सिंह के सामने उठाने की बात कही है.
वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर भी पूर्व मंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि हफ्ते में दो दिन कर्फ्यू लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये मेरी निजी राय है, लेकिन जिस तरह से लगातार मामले बढ़ रहे हैं उसको लेकर इस पर विचार किया जा सकता है.
'सीएम और खेल मंत्री के सामने उठाएंगे मुद्दा'
वुशु खिलाड़ी के मुद्दे को लेकर पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने कहा कि खिलाड़ी को सरकार से पूरा सम्मान दिलवाया जाएगा. पूर्व मंत्री का कहना है कि भाजपा सरकार में किसी भी खिलाड़ी की अनदेखी नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री व खेल मंत्री से बात की जाएगी और खिलाड़ी को सरकार द्वारा उचित सम्मान दिया जाएगा. हालांकि उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार में खिलाड़ियों को केवल नशे की ओर धकेला है और भाजपा ने खिलाड़ियों का सम्मान किया है.
किसी ने नहीं दिया खिलाड़ी का साथ
गौरतलब है कि वुशु की राष्ट्रीय खिलाड़ी शिक्षा की इस समय आर्थिक हालात इतनी खराब है कि वो मजदूरी कर रही है. उसे गुजर बसर के लिए घंटो कड़ी धूप में कस्सी चलानी पड़ती है. उसका कहना है कि आज तक किसी ने उसका साथ नहीं दिया, अगर कुछ मदद मिल जाती तो वो देश को और मेडल दिलाती. शिक्षा का कहना है कि पहले उन्होंने स्कूलिंग के समय चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और अब वो महाऋषि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक की तरफ से खेलती हैं. उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया. उनकी वुशु खेल में रुची है. वो अपने दम पर खेलती आई हैं.
शिक्षा का कहना है कि सरकार की तरफ से दो बार पैसे भी आए, लेकिन बीच में ही कहीं अटक गए. अधिकारियों से पूछने पर जवाब मिला कि आगे पैसे काट लिए गए हैं. शिक्षा ने सरकार से अपील की है कि अगर सरकार उसकी कुछ मदद करे, तो मैं देश को गोल्ड मेडल दिला सकती हूं.
रोजी रोटी के लिए मजदूर माता-पिता की करती हैं मदद
शिक्षा के माता पिता मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे हैं. घर चलाने के लिए और कोई रोजगार का साधन भी नहीं है. फिलहाल शिक्षा का मनरेगा कार्ड नहीं बना है, लेकिन माता पिता की मदद के लिए सुबह 6 बजे कंधे पर कस्सी लादकर काम पर निकल पड़ती हैं. शिक्षा के माता-पिता प्यारे लाल और राजदेवी का कहना है कि बेटी को इस मुकाम तक पहुचाने के लिए उन्होंने सारी जिंदगी मेहनत-मजदूरी की. आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, फिर भी पेट काटकर अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए वो सबकुछ किया, जो वो कर सकते थे. बेटी ने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया. हर खेल वो जी जान से खेली है, बड़े-बड़े खिलाड़ियों के लिए कड़ी टक्कर दी, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली.
शिक्षा द्वारा अब तक जीते गए मेडल
- 1 बार ऑल इंडिया चैंपियनशिप में गोल्ड
- 2 बार ऑल इंडिया चैंपियन में सिल्वर
- 2 बार सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड
- 4 बार जुनियर नेशनल में गोल्ड
- 1 बार सब-जुनियर नेशनल में गोल्ड
- 24 बार स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड
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