रोहतक: 26 जनवरी की घटना के बाद जिस तेजी से आंदोलन में गए किसान वापस घरों की तरफ लौट रहे थे, उससे तो यही लगता था कि अब किसानों का आंदोलन कमजोर हो रहा है, लेकिन कमजोर होते आंदोलन के बाद राकेश टिकैत ने रोते हुए किसानों से जो कहा था उसका असर हरियाणा में बड़े स्तर पर हुआ है.
किसान दोगुने उत्साह से वापस बॉर्डर की तरफ दौड़ रहे हैं. इन किसानों में बुजुर्ग, युवा और महिलाएं भी शामिल हैं. राकेश टिकैत के आंसुओं का ऐसा असर हुआ कि ग्रामीणों ने सारी रात बैठक कर वापस आन्दोल को खड़ा करने निर्णय लिया है. आलम ये रहा कि रात से ही ट्रैक्टर बॉर्डर की ओर रवाना होने लगे और दिन चढ़ते-चढ़ते लंबी लाइन लगने लगी.
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वहीं दूसरी ओर आंदोलन में दोबारा से जा रहे किसानों ने भाजपा सरकार पर एक बार फिर से आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार की चाल थी जो आंदोलन को दो फाड़ करने की कोशिश की है, लेकिन ये आंदोलन जन आंदोलन है और इसे कभी कमजोर नहीं होने दिया जाएगा. अब जो आंदोलन होगा वो पहले से और मजबूत होगा. किसानों ने कहा कि अब बॉर्डर पर पहले से ज्यादा भीड़ होगी और तीनों काले कानूनों को वापस करवाकर ही दम लेंगे.
गौरतलब है कि बीते दिन मीडिया से बात करते हुए राकेश टिकैत की आंखों में आंसू आ गए थे. रोते हुए टिकैत कह रहे थे कि सरकार ने किसानों को मारने की साजिश की है. हमारा बिजली, पानी बंद किया गया, लेकिन अब ये आंदोलन खत्म नहीं होगा. अगर तीनों कानून वापस नहीं लिए गए तो मैं आत्महत्या कर लूंगा, और उन्होंने किसानों से आंदोलन में जुड़ने की अपील की थी.
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