रोहतक: स्थानीय कोर्ट ने पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति के साथ मारपीट मामले में रोहतक अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन के 5 पुलिस कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है. इस संबंध में कोर्ट में इस्तगासा दायर किया गया था. इन पुलिसकर्मियों पर आरोपी को हिरासत में पीटने और उसकी गलत मेडिकल रिपोर्ट बनाने का आरोप है.
क्या है पूरा मामला- बहादुरगढ़ के सीदीपुर गांव का जगदीश मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी एमएच स्टोर में बतौर एजेंट काम करता था. कंपनी ने बेहतरीन काम करने के चलते वर्ष 2018 में उसे एक कार गिफ्ट में दे दी. यह कार लोन पर ली गई थी. जिसकी सारी किश्त कंपनी ही अदा करती थी लेकिन इस कार का पंजीकरण जगदीश के नाम पर नहीं हुआ था. इसी कंपनी में रोहतक के सेक्टर-3 का सुरेश पार्टनर था. कुछ समय बाद जगदीश का सुरेश के साथ विवाद हो गया. जगदीश इस कंपनी से अलग हो गया. जिसके बाद सुरेश कुमार ने जगदीश के खिलाफ अर्बन अस्टेट पुलिस स्टेशन में शिकायत दे दी.
शिकायत में आरोप लगाया गया कि जगदीश उसकी कार को कुछ समय के लिए मांग कर ले गया था लेकिन अब देने से मना कर रहा है. साथ ही मांगने पर वह जान से मारने की धमकी दे रहा है. इस शिकायत के बाद अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन में 5 अक्टूबर 2019 को जगदीश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 506 के तहत केस दर्ज कर लिया गया.
रोहतक अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन (urban estate police station rohtak) ने कार से जुड़े इसी मामले में 26 दिसंबर 2019 को जगदीश को गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि पुलिस स्टेशन में हिरासत के दौरान जांच अधिकारी ओमप्रकाश, मुंशी टिंकू, पुलिसकर्मी राजेश और 2 अन्य पुलिस कर्मियों ने जगदीश के साथ बुरी तरह मारपीट की. मारपीट में जगदीश की आंख, मुंह, दांत, कान, कूल्हे आदि पर गंभीर चोट आई. 27 दिसंबर को जगदीश को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट में पेशी के दौरान जगदीश ने अपने वकील दीपक भारद्वाज को पुलिस हिरासत में मारपीट की बात बताई. वकील ने जज को इस बारे में अवगत कराया लेकिन जांच अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि जगदीश ने ही पुलिस हिरासत में खुद को चोट मारी है.
इस दौरान जांच अधिकारी ने रोहतक सिविल अस्पताल (Rohtak Civil Hospital) के डॉक्टर अरूण की एक मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश की. लेकिन कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट और जगदीश के शरीर पर लगी चोट अलग-अलग थी. जिस पर कोर्ट ने पीजीआई रोहतक के डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड से दोबारा मेडिकल कराने को कहा. पीजीआई में जगदीश का मेडिकल हुआ. जिसमें सिविल अस्पताल की रिपोर्ट से अलग रिपोर्ट सामने आई. इस पर कोर्ट ने सिविल अस्पताल के चिकित्सक डा. अरूण के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए.
पीड़ित जगदीश ने अपने वकील दीपक भारद्वाज के जरिए पुलिस हिरासत में मारपीट और गलत मेडिकल रिपोर्ट पेश करने की शिकायत रोहतक एसपी से की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी ने इस मामले में अलग ही रिपोर्ट तैयार कर पुलिस के आला अधिकारियों को दे दी. जिसके बाद 20 मई 2020 को दाखिल रिपोर्ट की जानकारी लेने के लिए आरटीआई लगाई गई. 8 जून 2020 को आरटीआई का जवाब आ गया. पीड़ित और वकील इस आरटीआई में दी गई जानकारी को पढ़कर चौंक गए.
आरटीआई से जानकारी मिली कि रोहतक अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी ने जगदीश की चोट के संबंध में कोर्ट में अलग बयान दिया था और तैयार की गई रिपोर्ट में अलग जवाब था. इसके बाद 13 अगस्त 2020 को इस संबंध में कोर्ट में इस्तगासा दायर कर जांच अधिकारी समेत 5 पुलिस कर्मियों और कंपनी के पार्टनर के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई. इसी पर कोर्ट ने जांच अधिकारी ओमप्रकाश, मुंशी टिंकू, पुलिस कर्मी राजेश व 2 अन्य पुलिस कर्मी और एमएच कंपनी के पार्टनर सुरेश के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 167, 218, 323, 324, 330, 331, 506, 120 बी, 34 के तहत केस दर्ज करने के आदेश अर्बन अस्टेट पुलिस स्टेशन के एसएचओ को दिए हैं.