रोहतक: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भारतीय सेनाओं में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना (Indian Army Agneepath Scheme) का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि यह योजना न तो देश हित में है और ना ही युवाओं के. हुड्डा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस योजना पर दोबारा विचार किया जाए और तर्कसंगत बनाते हुए 4 साल बाद सेना से निकले जवानों को स्थाई नौकरी देने की नीति लेकर आए.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा (bhupinder singh hooda) ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर देश भर के नौजवानों में मायूसी है. इस योजना को तैयार करते समय इसके दूरगामी परिणामों पर पूरी तरह से विचार नहीं किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय में इस योजना का असर बेहद बुरा होगा, जो देश की सुरक्षा के हित में भी नहीं है. ऐसा लगता है कि सरकार वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी का पैसा बचाने और सैन्य बल की क्षमता को घटाकर आधा करने की नीयत से देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोरोना महामारी के नाम पर पिछले 3 साल से सेना में भर्ती बंद होने के चलते बड़ी संख्या में युवाओं की उम्र निकल चुकी है. इस नई योजना के लागू होने के बाद जो युवा पिछले कई वर्षों से सेना भर्ती की आस लगाए बैठे थे, उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अग्निपथ योजना की खामियों को गिनाते हुए हुड्डा ने कहा कि अग्निवीर के तौर पर जिन्हें सेना में भर्ती किया जायेगा उनमें से 75 प्रतिशत जवानों को 4 साल बाद रिटायर कर दिया जाएगा. उनके भविष्य का क्या होगा, इसका कोई ख्याल नहीं रखा गया है.
हरियाणा के पूर्व सीएम ने कहा कि यह योजना सेना की परंपरा, प्रकृति, नैतिकता और मूल्यों पर खरी नहीं उतरती. योजना के तहत प्रशिक्षण की जो अवधि तय की गई है, वह अपर्याप्त है. कामचलाऊ प्रशिक्षण से सेना की क्षमता और प्रभाव पर बुरा असर पड़ सकता है. महज 4 साल की सर्विस होने से सेना को टूरिस्ट संगठन की तरह समझा जाने लगेगा. नई व्यवस्था में रेजिमेंट व्यवस्था खत्म होने से जवानों का नाम, नमक और निशान से लगाव भी खत्म हो जाएगा.
सेना से 4 साल बाद निकाले गये अग्निवीरों को सेवा निधि के तौर पर 11.71 लाख रूपए एकमुश्त रकम देने की बात सरकार कह रही है, जबकि सच्चाई ये है कि इस निधि में से आधा हिस्सा ही सरकार का है आधा तो सैनिकों की कमाई का पैसा होगा. उन्होंने कहा कि सेना की 4 साल की सर्विस पूरी करने वाले इन युवाओं की फौज नौकरी के लिये दर-दर भटकने को मजबूर हो जाएगी. हथियारों का प्रयोग जानने वाले ऐसे बेरोजगार नौजवानों को आसानी से गुमराह किया जा सकता है, जो समाज के लिये गंभीर खतरा साबित हो सकता है. हुड्डा ने फिर दोहराया कि सरकार देश और समाज के व्यापक हित को ध्यान में रखकर निर्णय ले और इस योजना पर पुनर्विचार करे.