चंडीगढ़ः पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा बनाएंगे नई पार्टी? हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता और दो बार सूबे के सीएम रह चुके भूपेंद्र हुड्डा 18 अगस्त को रैली करने जा रहे हैं. जिसे लेकर चर्चाएं हैं कि इस रैली में हुड्डा नई पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं. हालांकि ये अभी सारे कयास हैं लेकिन अगर ऐसा होता है तो हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में ये पहली बार नहीं होगा जब कोई बड़ा कांग्रेसी नेता पार्टी छोड़कर अलग दल की स्थापना करेगा. इसलिए ये जानना जरूरी हो जाता है कि हरियाणा गठन के बाद अब तक कितने कांग्रेसी नेताओं ने अलग पार्टी बनाई और उन पार्टियों का क्या हुआ?
देवीलाल ने कांग्रेस से अलग होकर बनाई थी पार्टी
भूपेन्द्र हुड्डा से पहले हरियाणा गठन के 5 साल बाद ही 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ दी. लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ने के बाद एकदम पार्टी नहीं बनाई. 1974 में देवीलाल ने रोड़ी सीट से चुनाव लड़ा. 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगा दी गई. और देवीलाल काफी दिन जेल में रहे. आपातकाल हटा तो 1977 में चुनाव हुए देवीलाल ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और सीएम बने. इसके बाद 1980 में संसदीय चुनाव हुए तो देवीलाल ने जनता पार्टी(समाजवादी) से चुनाव लड़ा. इसके बाद 1982 में उन्होंने लोकदल की स्थापना की. और 1987 के विधानसभा चुनाव जीतकर सीएम बने. 1989 में देवीलाल केंद्र की वीपी सिंह सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए और ओपी चौटाला को सीएम बना दिया गया. 1990 में पार्टी में विवाद हुआ लोकदल टूट गई. इसके बाद ओपी चौटाला और देवीलाल ने 1996 में इंडियन नेशनल लोकदल की स्थापना की. जो अब एक बार फिर पारिवारिक विवाद में टूट चुकी है.
बंसीलाल ने भी कांग्रेस से निकाले जाने पर बनाई पार्टी
- 2 बार सीएम रहे बंसीलाल को 1991 में कांग्रेस से निकाल दिया गया
- 1996 में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बना ली
- 33 सीटें जीतकर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई
- 1999 में गठबंधन टूटा और सरकार गिर गई
- 2004 में हरियाणा विकास पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया गया
भजनलाल को सीएम नहीं बनाया तो बनाई अलग पार्टी
2005 में हरियाणा कांग्रेस ने भजनलाल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 3 बार सीएम रह चुके भजनलाल को पूरी उम्मीद थी कि वही मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बना दिया जिससे भजनलाल नाराज हो गए. भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम की पार्टी बनाई. जिसने पहले बीएसपी और फिर बीजेपी से गठबंधन किया लेकिन ये गठबंधन चल नहीं पाया. बाद में कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व में पार्टी ने काफी संघर्ष किया लेकिन कुछ हो नहीं पाया और 2016 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का भी कांग्रेस में विलय कर दिया गया.