पानीपत: मां दुर्गा के नव रूपों की पूजा नवरात्रि पर्व 2022 (Sharadiya Navratri 2022) में की जाती है. मां की नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ बातों का विशेषतौर पर ध्यान दिया जाता है. व्रत के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसका भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. पानीपत से पंडित लालमणि पांडेय ने कुछ जरूरी बातें बताई हैं, कि नवरात्रि पूजा के समय किन बातों को ध्यान रखना चाहिए जिससे उसका अनुकूल फल आपको प्राप्त हो सके. चलिए जानते हैं.
नवरात्रि उपवास के दिन क्या करें: अगर आप नवरात्रि उपवास 2022 रखते (how to worship and take fast on navratri) हैं तो हर रोज व्रत के नियमों का पालन करें. 9 दिन तक माता की पूजा के समय कलश पूजन करना चाहिए. घर में अखंड दीपक नवरात्रि के आखिरी दिन तक जलता रहना चाहिए. देवी मां को लाल रंग अधिक प्रिय है. नवरात्रि के दिनों में लाल रंग की रोली, लाल सिंदूर और लाल फूल माता को चढ़ाएं. नवरात्रि के बीच किसी भी दिन माता को लाल चुनरी भी पहनायें. नवरात्रि के दिनों में जहां पूजा स्थल बनाया गया है, वहां सोलह सिंगार का सामान जरूर चढ़ाएं और सात्विक भोजन करें. नियमित रूप से माता के मंत्रों का जाप करें. इससे आपको उनसे शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होगा. दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें और सुबह शाम माता रानी की आरती जरूर करें.
नवरात्रि में क्या ना करें- अगर आपने उपवास (Navratri fasting 2022) रखा है और घर में अखंड दीपक जलाया है तो घर में जलाए गए उस दीपक को अकेला छोड़कर कहीं ना जाएं, इसे अकेला छोड़ना अशुभ माना जाता है. अगर उपवास आप उपवास रखते हैं या नहीं भी रखते हैं तो इन दिनों में घर में खानपान सात्विक रखें. मांस मदिरा का सेवन ना करें. प्याज और लहसुन आदि से बनी वस्तुओं का सेवन ना करें. इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए झूठ बोलने और मन को धोखा देने वाले शब्द किसी से ना कहें. जितना हो सके मोबाइल से दूरी बनाकर रखें और सुबह शाम माता रानी का पाठ करें.
उपासना की पद्धति चार प्रकार की होती है : मां दुर्गा की उपासना करने के लिए चार तरह की पद्धति होती है. पंडित लालमणि पांडेय कहते हैं कि मां की उपासना करते समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. मार्कण्डेय पुराण का पाठ करना चाहिए, बीज मंत्र का जाप करना चाहिए इसके साथ ही चौथी पद्धति उपवास रखना चाहिए. व्यक्ति को उपवास के दौरान पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए. पंडित जी कहते हैं कि रामजी को पाने के लिए सीताजी ने भी मां की उपासना की थी. संसार की कोई भी चीज मां की उपासना के जरिए प्राप्ति की जा सकती (navratri in panipat) है.