पानीपत: हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है. थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे. लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया है. सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा है. इसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन ने कई जिलों में धारा 144 लगा दी है. जिसके चलते चारा की बिक्री और दूसरे जिले ले जाने पर रोक है. यही वजह है कि आजकल हर जिले में चारे पर भी पुलिस का पहरा दिख रहा है.
पानीपत जिले के साथ उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है. उत्तर प्रदेश में अधिकांश गन्ने की बिजाई की जाती है. जहां पहले से ही सूखे चारे की कमी रहती है. हरियाणा में गेहूं उत्पादन अधिक होता है इसलिए यूपी के पशुपालक हरियाणा से ही सूखे चारे की उम्मीद रखते हैं. ऐसे में पुलिस ने धारा 144 के आदेश के तहत बॉर्डर पर ही पहरा लगा दिया है. ब यूपी की तरफ से जा रहे किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉली बॉर्डर पर सनौली थाने के पास ही रोनकी पड़ती है. पुलिस हर रोज सनौली थाना क्षेत्र में चारे से भरे ट्रैक्टर और ट्रक को रोकती है.
जिला उपायुक्त सुशील सारवान ने दण्ड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धार 144 के तहत जिले में गेहूं की फसल की कटाई के बाद बनाई गई पराली को पानीपत जिले से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. स्थानीय पुलिस को निर्देश दिए गये हैं कि अंतरराज्यीय सीमा पर चारा/तूड़ी लेकर जाने वाले वाहनों को तुरंत रोका जाये. ये आदेश प्रदेश में पशुओं के लिए चारे की कमी होने की संभावना के मद्देनजर दिया गया है. इन आदेशों की अवहेलना करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जायेगी.
हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और पानीपत में चारे की कमी को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई है. प्रशासन ने इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी है. सिरसा और फतेहाबाद जिलों में सूखे चारे की कमी (sirsa fodder shortage) को देखते हुए जिला उपायुक्त ने धारा 144 के तहत जिले से बाहर जाने और ईंट-भट्टों और बॉयलर में इसके प्रयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया है. जिला प्रशासन ने पत्र में कहा कि तूड़ी फैक्ट्री में प्रयोग होती है और इसे बाहर भी भेजा जाता है. इससे गौवंश में सूखे चारे की कमी होती है. इसलिए तूड़ी को फैक्ट्री में प्रयोग करने व सिरसा से बाहर भेजने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
चारा महंगा क्यों हुआ- चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं. पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी. क्योंकि सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोई. दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है. मैनुअल कटाई और कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है. इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है. भारी गर्मी की वजह से गेहूं की फसल हल्की हो गई.
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