पानीपत: देश के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. मनोहर सरकार भी हरियाणा को नंबर वन बनाने की बात करती है, लेकिन पानीपत में यमुना नदी की तलहटी पर बसे गांव रहमपुर खेड़ी के हालात आज भी आजादी से पूर्व वाले ही हैं.
गांव में ना पक्की सड़क है, ना स्कूल है ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र है. गांव में बिजली भी आजादी के 70 साल बाद पहुंची थी. लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर यमुना नदी पार करते हैं. ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुंची और ग्रामीणों से उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की.
गांव के लोगों का कहना है कि देश के आजाद होने से पहले जो हालात गांव में थे, वो ही हालात आज भी हैं. गांव में आने जाने का रास्ता तक नहीं है और यदि यमुना में पानी अधिक आ जाता है तो उनका महीनों तक बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है. गांव के अंदर कोई प्राइमरी स्कूल भी नहीं है जिस वजह से छोटे छोटे बच्चों को ट्यूब पर बैठकर गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में जाना पड़ता है.
यहां अगर किसी को कोई बीमारी हो जाये तो तुरंत इलाज मिलना भी बेहद मुश्किल है. बड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय विधायक वोट मांगने जरूर आते हैं लेकिन उसके बाद कोई उनकी सुध लेने नहीं आता. अब देखना ये होगा कि इस गांव के लोगों को कब मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलेगा और ये गांव आखिर कब देश की आजादी में शामिल होकर जश्न मनाएगा.