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इस गांव के हालात आज भी आजादी के पहले जैसे, महीनों तक कटा रहता है बाहरी दुनिया से

जहां पूरा देश आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है. वहीं पानीपत में एक गांव ऐसा है, जहां के हालात आज भी 73 साल पहले के जैसे ही हैं. ये गांव है रहमपुर खेड़ी.

पानीपत का रहमपुर खेड़ी गांव
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Published : Aug 13, 2019, 10:45 PM IST

पानीपत: देश के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. मनोहर सरकार भी हरियाणा को नंबर वन बनाने की बात करती है, लेकिन पानीपत में यमुना नदी की तलहटी पर बसे गांव रहमपुर खेड़ी के हालात आज भी आजादी से पूर्व वाले ही हैं.

इस गांव के हालात आज भी आजादी के पहले जैसे, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

गांव में ना पक्की सड़क है, ना स्कूल है ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र है. गांव में बिजली भी आजादी के 70 साल बाद पहुंची थी. लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर यमुना नदी पार करते हैं. ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुंची और ग्रामीणों से उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की.

गांव के लोगों का कहना है कि देश के आजाद होने से पहले जो हालात गांव में थे, वो ही हालात आज भी हैं. गांव में आने जाने का रास्ता तक नहीं है और यदि यमुना में पानी अधिक आ जाता है तो उनका महीनों तक बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है. गांव के अंदर कोई प्राइमरी स्कूल भी नहीं है जिस वजह से छोटे छोटे बच्चों को ट्यूब पर बैठकर गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में जाना पड़ता है.

यहां अगर किसी को कोई बीमारी हो जाये तो तुरंत इलाज मिलना भी बेहद मुश्किल है. बड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय विधायक वोट मांगने जरूर आते हैं लेकिन उसके बाद कोई उनकी सुध लेने नहीं आता. अब देखना ये होगा कि इस गांव के लोगों को कब मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलेगा और ये गांव आखिर कब देश की आजादी में शामिल होकर जश्न मनाएगा.

पानीपत: देश के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. मनोहर सरकार भी हरियाणा को नंबर वन बनाने की बात करती है, लेकिन पानीपत में यमुना नदी की तलहटी पर बसे गांव रहमपुर खेड़ी के हालात आज भी आजादी से पूर्व वाले ही हैं.

इस गांव के हालात आज भी आजादी के पहले जैसे, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

गांव में ना पक्की सड़क है, ना स्कूल है ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र है. गांव में बिजली भी आजादी के 70 साल बाद पहुंची थी. लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर यमुना नदी पार करते हैं. ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुंची और ग्रामीणों से उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की.

गांव के लोगों का कहना है कि देश के आजाद होने से पहले जो हालात गांव में थे, वो ही हालात आज भी हैं. गांव में आने जाने का रास्ता तक नहीं है और यदि यमुना में पानी अधिक आ जाता है तो उनका महीनों तक बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है. गांव के अंदर कोई प्राइमरी स्कूल भी नहीं है जिस वजह से छोटे छोटे बच्चों को ट्यूब पर बैठकर गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में जाना पड़ता है.

यहां अगर किसी को कोई बीमारी हो जाये तो तुरंत इलाज मिलना भी बेहद मुश्किल है. बड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय विधायक वोट मांगने जरूर आते हैं लेकिन उसके बाद कोई उनकी सुध लेने नहीं आता. अब देखना ये होगा कि इस गांव के लोगों को कब मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलेगा और ये गांव आखिर कब देश की आजादी में शामिल होकर जश्न मनाएगा.

Intro:एंकर - आज देश आजादी की 73 वी वर्षगांठ मना रहा है देश के विकास के लिए बड़े बड़े दावे किए जा रहे है मनोहर सरकार भी हरियाणा को नंबर वन बनाने की बात करते है ,लेकिन पानीपत के यमुना नदी की तलहटी पर बसे गांव रहिमपुर खेड़ी के हालत आज भी आजादी से पूर्व वाले ही है । गांव में ना पक्की सड़क है , ना स्कूल है ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र है । गांव में बिजली भी 3 साल पहले ही पहुँची है । लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर यमुना नदी पार करते है


Body:वीओ - आजादी के पर्व पर से पूर्व ईटीवी भारत की टीम पानीपत बापौली खंड के गांव रहिमपुर खेड़ी में पहुँची ओर उनके जीवन के बारे में जानने की कोसिस की कि किस तरह से लोग यहाँ पर रह रहे है । जहां देश आजादी का 73 वा जश्न मनाने की तैयारियां कर रहा है वही यमुना नदी की तलहटी पर बसे गांव के लोगो को आजादी के सही मायने भी नही पता गांव के लोगो का कहना है कि भारत आजाद होने से पहले जो हालात गांव में थे वो ही हालात आज भी है गांव में आने जाने का सस्ता तक नही है और यदि यमुना में पानी अधिक आ जाता है तो उनका महीनों तक हरियाणा से संपर्क टूट जाता है । गांव के लोग घर बिना किसी के संपर्क में रहे गांव में ही अपना गुजारा करते है । गांव के अंदर ना ही कोई प्राइमरी स्कूल है जिसके चलते छोटे छोटे बच्चो को ट्यूब पर बैठ कर दूसरी ओर स्कूल जाना पड़ता है । ना ही कोई प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसके कारण अगर किसी को कोई बीमारी हो जाये तो वो भगवान भरोसे ही उसे किसी तरह से अस्पताल पहुचाते है । गांव में न पक्की सड़क है ना ही गलिया है । मूलभूत सुविधाओं के नाम पर गांव में कुछ भी नही है । गांव के अंदर सिर्फ बिजली है जो कि अभी 3 साल पहले ही गांव में आई है ।ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय विधायक वोट मांगने जरूर आते है उसके बाद कोई उनकी सुध लेने नही आता । अब देखना यह होगा कि इस गांव के लोग कब मूलभूत सुविधाओं का लाभ उठाएंगे । ओर देश की आजादी में शामिल होकर जश्न मनाएंगे ।


Conclusion:बाइट - हुक्म , स्थानीय निवासी गांव राहिमपुर खेड़ी
बाइट- खन्ना , स्थानीय निवासी
बाइट- खुसी राम , स्थानीय निवासी
बाइट जगदीश - नायब तहसीलदार ,बापौली
पीटीसी - अनिल कुमार
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