पानीपत: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बेहद ही महत्व होता है. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से होने वाली है. नवरात्रि 2022 (Navratri special 2022) के नौ दिन मां की आराधना की जाती है. इसके साथ ही पूरे नौ दिन मां के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन भक्तों को मिलते हैं. मान्यता है कि मां की उपासना करने से मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होती है. वैसे तो हम साल में दो नवरात्रि मनाते हैं लेकिन हिंदू शास्त्रों के अनुसार साल में चार नवरात्रि होती है. दो नवरात्रि गुप्त होते हैं. चारों नवरात्रि का अलग-अलग महत्व है.
साल में चार होती हैं नवरात्रि: पानीपत देवी मंदिर के पंडित लालमणि पांडेय ने बताया कि वर्ष के पहले महीने यानि चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है. चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है. इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है. इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने यानि माघ में चौथी नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख देवी भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. पंडित लालमणि पांडेय ने बताया कि आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है.
दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है. इन दोनों नवरात्रि को शारदीय और वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसके अतिरिक्त आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है. इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि भी कहते हैं.
गुप्त नवरात्रि पर्व का क्या है महत्व: गुप्त नवरात्रि पर्व (Gupt navratri parva) प्रकट नवरात्रि से बेहद अलग होती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्या की सिद्धि की जाती है. तंत्र विद्या से मां की साधना की जाती है. यह पूरी तरह से गुप्त होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि तांत्रिक और साधक गुप्त नवरात्रि में ही मां की आरधना करते हैं और तांत्रिक शक्ति को प्राप्त करते हैं. महाविद्याओं की सिद्धि के लिए अघोरी रात्रि के पहर मां आदिशक्ति की पूजा करते हैं. गृहस्थ व्यक्ति कभी भी गुप्त नवरात्रि नहीं मनाते हैं.
तीन शक्तियों से संयुक्त होती है मां आदि पराशक्ति: पंडित लालमणि पांडेय के मुताबिक मां तीन शक्ति से संयुक्त होती हैं. पहली शक्ति ज्ञान, दूसरी शक्ति क्रिया और तीसरी शक्ति द्रव्य, मां की शक्ति होती है. ज्ञान से मां महासरस्वती, क्रिया से माहाकाली, महादुर्गा और द्रव्य से महालक्ष्मी से पारिभाषित किया गया है. मनुष्य शक्ति की उपासना करके आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति करते हैं.