पानीपत: हवा के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि ऑक्सीजन से ही हमे सांसे मिलती हैं. इसीलिए हवा को प्राणवायु की संज्ञा दी गई है. पर्यावरण का संतुलित होना हमारे जीवन के लिए जरूरी है. अंधाधुंध पेड़ों के कटान से आज कहीं पर्यावरण संतुलन खोता चला जा रहा है. हम कहीं भूलते जा रहे हैं कि ऑक्सीजन हमारी प्राणवायु है. इसे भी संरक्षित करना जरूरी है. वहीं हरियाणा के पानीपत में ग्रीनमैन (Greenman of Haryana) कहे जाने वाले प्रोफेसर दलजीत सिंह ने पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया है.
पानीपत में ग्रीनमैन ने लगाए 9 हजार पेड़ : पानीपत के ग्रीनमैन की उपाधि पाने वाले प्रोफेसर दलजीत सिंह अभी तक 9 हजार से अधिक पेड़ रोपित कर चुके हैं. दलजीत ने बताया कि पानीपत में उनका तबादला चार कॉलेजों में हो चुका है. हर कॉलेज में इन्होंने वृक्षारोपण कर पेड़-पौधों की एक नर्सरी तैयार (Plantation in Haryana) की है. कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ एक टीम बनाकर प्रोफेसर दलजीत अपने कॉलेज के अंदर पेड़ पौधे लगाते हैं. इतना ही नहीं पेड़ पौधे लगाने के बाद उनका सरंक्षण भी टीम स्वयं करती है. टीम के सदस्य छात्र-छात्राएं अपने जन्मदिन या घर में किसी भी समारोह में एक पौधारोपण जरूर करते हैं और पौधारोपण करके फोटो अपने ग्रुप में शेयर करते हैं. सबसे अधिक पौधा लगाने वाले सदस्य को कॉलेज की तरफ से सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.
हरियाणा के दलजीत को मिली ग्रीनमैन की उपाधि: (Daljit of Haryana got the title of Greenman) रोहतक के रहने वाले प्रोफेसर दलजीत सिंह ने स्वस्थ वातावरण बनाने की सोच रखते हुए कॉलेज के साथ ही अब आसपास के लोगों को भी पौधा रोपण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. दलजीत सिंह को ग्रीनमैन की उपाधि पत्रकार संगठन हरियाणा यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से दी गई है. और मानवतावादी के पुरस्कार भी दिया गया है, साथ ही आइकन फाउंडेशन में सम्मानित भी किया गया है. दलजीत की ओर से किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. इतना ही नहीं परीक्षाओं में जनरल नॉलेज के सवालों में भी अब हरियाणा के इस ग्रीनमैन दलजीत सिंह के बारे में सवाल पूछा जाता है.
पर्यावरण बचाने के लिए करते हैं प्रेरित: दलजीत सिंह का कहना है कि उनका जिस भी कॉलेज में तबादला हो जाता है तो उनका प्रयास रहता है कि वह वहां भी हरियाली ला सकें. उन्होंने पौधों की एक हर्बल नर्सरी भी तैयार की है, जिसमें 100 से ज्यादा औषधि के पेड़ पौधे लगाए हैं. इतना ही नहीं पेड़ पौधों की कटिंग से निकलने वाले वेस्टेज को जैविक खाद बनाने के लिए यूज करते हैं. वह बताते हैं कि उनके लगाए गए पेड़ पौधों में वह जैविक खाद ही डालते हैं. दलजीत सिंह का कहना है कि समाज एक टीचर को एक आईने की तरह देखता है. यह जानने की कोशिश करता है कि इनमें अच्छाई क्या है. वह अपनी अच्छाई को बरकरार रखने के लिए मानवतावादी कार्य में रुचि रखते हैं और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं.