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Fisheries in Panipat: पारंपरिक खेती छोड़ मछली पालन करने में जुटे किसान, हो रही बंपर आमदनी - पानीपत ताजा समाचार

पानीपत में परंपरागत खेती को छोड़ किसानों को मछली पालन का व्यवसाय अब अधिक मुनाफे वाला लग रहा है. यही कारण है कि किसान मत्स्य पालन (fisheries in panipat) में नई तकनीक से मछली पालन कर छोटी जगह में भी अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं.

Fisheries in Panipat
मत्स्य पालन में किसानों की बढ़ी रुचि, परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़
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Published : Jul 5, 2022, 11:51 AM IST

Updated : Jul 5, 2022, 12:26 PM IST

पानीपत: हरियाणा में आज ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर मछली पालन (Fisheries in Panipat) को अपना व्यवसाय बना रहे हैं. मत्स्य पालन में नई तकनीक से मछली पालन कर छोटी जगह में भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. किसानों का मानना है कि सरकार से मिल रहे योगदान की वजह से मछली पालन के व्यापार का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और खेती से जुड़े हुए युवा भी अब फिश फार्मिंग की तरफ अग्रसर हो रहे हैं.

मत्स्य विभाग के अधिकारी दलबीर सिंह सेतिया (Fisheries Department Panipat) ने बताया कि पानीपत में पिछले 2 साल में लगभग 80 हेक्टेयर भूमि पर युवा किसान तालाब बना कर फिश फार्मिंग कर रहे हैं. सरकार की तरफ से मिलने वाले सब्सिडी से युवाओं ने अपने खेतों में ही तालाब बनाना शुरू कर दिया है. कुछ युवा तो ऐसे भी हैं जिन्होंने खेतों को किराए पर लेकर फार्मिंग करना शुरू कर दिया है.

मत्स्य पालन में किसानों की बढ़ी रुचि, परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि जो मत्स्य पालन में रुचि रखते हैं थाईलैंड की नई तकनीक बायोफ्लेक्स और रास द्वारा भी वह फिश फार्मिंग कर रहे हैं जिस पर सरकार भी अनुदान दे रही है. पिछले 3 सालों में फिश फार्मिंग (fish farming in panipat) का स्तर एकदम से बढ़ा है.

Fisheries in Panipat
परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

दलबीर सेतिया ने बताया कि किसान सरकार से सब्सिडी लेने के लिए अगर वह परंपरागत तरीके से फिश फार्मिंग करता है तो उसे ढाई एकड़ भूमि में तालाब बनवाना पड़ेगा. सरकार महिला को 60 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में देती है जबकि अनुसूचित जाति के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. वहीं जनरल कैटेगरी को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है.

Fisheries in Panipat
परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

बता दें कि हरियाणा में प्रोडक्शन में सबसे ऊपर जींद जिला है और अगर मछली की खपत की बात की जाए तो हरियाणा में पहले नंबर पर गुड़गांव फरीदाबाद और फिर तीसरे नंबर पर पानीपत है. पानीपत भी इंडस्ट्री का हब माना जाता है. यहां प्रवासी मजदूरों की संख्या भी ज्यादा है. यही कारण है कि यहां मछली का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि परंपरागत खेती को छोड़कर मत्स्य विभाग से मिलने वाली ट्रेनिंग लेकर युवा फिश फार्मिंग शुरू कर सकते हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ से 20 हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक की इनकम सालाना हो सकती है.

पानीपत: हरियाणा में आज ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर मछली पालन (Fisheries in Panipat) को अपना व्यवसाय बना रहे हैं. मत्स्य पालन में नई तकनीक से मछली पालन कर छोटी जगह में भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. किसानों का मानना है कि सरकार से मिल रहे योगदान की वजह से मछली पालन के व्यापार का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और खेती से जुड़े हुए युवा भी अब फिश फार्मिंग की तरफ अग्रसर हो रहे हैं.

मत्स्य विभाग के अधिकारी दलबीर सिंह सेतिया (Fisheries Department Panipat) ने बताया कि पानीपत में पिछले 2 साल में लगभग 80 हेक्टेयर भूमि पर युवा किसान तालाब बना कर फिश फार्मिंग कर रहे हैं. सरकार की तरफ से मिलने वाले सब्सिडी से युवाओं ने अपने खेतों में ही तालाब बनाना शुरू कर दिया है. कुछ युवा तो ऐसे भी हैं जिन्होंने खेतों को किराए पर लेकर फार्मिंग करना शुरू कर दिया है.

मत्स्य पालन में किसानों की बढ़ी रुचि, परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि जो मत्स्य पालन में रुचि रखते हैं थाईलैंड की नई तकनीक बायोफ्लेक्स और रास द्वारा भी वह फिश फार्मिंग कर रहे हैं जिस पर सरकार भी अनुदान दे रही है. पिछले 3 सालों में फिश फार्मिंग (fish farming in panipat) का स्तर एकदम से बढ़ा है.

Fisheries in Panipat
परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

दलबीर सेतिया ने बताया कि किसान सरकार से सब्सिडी लेने के लिए अगर वह परंपरागत तरीके से फिश फार्मिंग करता है तो उसे ढाई एकड़ भूमि में तालाब बनवाना पड़ेगा. सरकार महिला को 60 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में देती है जबकि अनुसूचित जाति के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. वहीं जनरल कैटेगरी को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है.

Fisheries in Panipat
परंपरागत खेती छोड़ ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़

बता दें कि हरियाणा में प्रोडक्शन में सबसे ऊपर जींद जिला है और अगर मछली की खपत की बात की जाए तो हरियाणा में पहले नंबर पर गुड़गांव फरीदाबाद और फिर तीसरे नंबर पर पानीपत है. पानीपत भी इंडस्ट्री का हब माना जाता है. यहां प्रवासी मजदूरों की संख्या भी ज्यादा है. यही कारण है कि यहां मछली का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि परंपरागत खेती को छोड़कर मत्स्य विभाग से मिलने वाली ट्रेनिंग लेकर युवा फिश फार्मिंग शुरू कर सकते हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ से 20 हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक की इनकम सालाना हो सकती है.

Last Updated : Jul 5, 2022, 12:26 PM IST
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