पानीपत: किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजलि चौधरी ने खेलो इंडिया की 25 मीटर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश और अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है. पिता ने जैसे तैसे पैसों का इंतजाम करके बेटी को शूटिंग के लिए पिस्टल दिलाई और बेटी ने उसी से खेलो इंडिया के 25 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक पर निशाना लगाकर पिता का मान बढ़ाया. प्रतियोगिता 10 जनवरी से 20 जनवरी तक गुवाहाटी में आयोजित की गई.
कामयाबी के पीछे लंबी कहानी
अंजलि के इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे लंबी कहानी है. महावीर सिंह ने बताया कि जब बेटी छोटी थी तब दौड़ लगाने जाती थी और उस समय लोग ताने मारते थे. कहते थे कि खेल में कुछ नहीं रखा. बेटी को बाहर अकेले भेंजने पर भी मना करते थे. पैर में चोट के कारण अंजली के पिता महावीर के पैर में रॉड पड़ी है इसलिए जब बेटी दौड़ने जाती तो वो उसके साथ बाइक पर 6 किलोमीटर तक जाते थे.
अंजलि की उपलब्धियां
- 2016 और 17 में स्कूल नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक
- 2018 और 19 में खेलो इंडिया में शूटिंग प्रतियोगिता में रजत पदक
- 2019 में नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में 3 स्वर्ण एक रजत और एक कांस्य पदक
- 2019 में ही ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में रजत पदक
पिता के पास नहीं थे पिस्टल दिलाने के पैसे
साल 2015 में अंजलि ने शूटिंग खेलने की इच्छा जाहिर की पिता को पता नहीं था कि ये खेल महंगा है. 2016 में स्कूल नेशनल में रजत पदक जीता. शूटिंग की ट्रेनिंग में पिस्टल और अन्य उपकरण दिलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. महावीर के पास सिर्फ 2 एकड़ जमीन है. बेटी के अरमानों को उड़ान देने के लिए महावीर ने जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम किया और 10 मीटर शूटिंग के लिए ढ़ाई लाख और 25 मीटर के लिए डेढ़ लाख की पिस्टल मंगवाई.
बेटी ने पिता का सिर गर्व से ऊंचा किया
बेटी ने पिता के सपनों को साकार करने के लिए बड़ा अभ्यास किया और पदकों की झड़ी लगा दी. 15 जनवरी को बेटी का जन्मदिन था. बेटी ने पदक जीतकर मानो उन्हें ही जन्मदिन का तोहफा दे दिया हो.अब बेटी कामयाब हो गई है तो बुराई करने वाले लोग भी बधाई देने पहुंच रहे हैं.
परिवार में खुशी का माहौल
अंजली की इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी का माहौल है. अंजलि के पिता महावीर के अनुसार अंजली की बचपन से ही खेलों में रुचि थी. स्कूल में शूटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई तो उसने शूटिंग करने के लिए पिता से गुहार लगाई. महावीर का कहना कि अगर उन्हें पहले पता होता कि ये खेल इतना महंगा है तो वह कभी भी अपनी बेटी को इस खेल में नहीं जाने देते लेकिन अंजली की मेहनत और पिता का बलिदान का काम आया.
ओलंपिक में पदक जीतना सपना
अंजली के पिता महावीर माता सुमन का सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में मेडल लेकर आए और देश का मान बढ़ाये उनके हाथों में जब तिरंगा झंडा होगा तो वो फूले नहीं समाएंगे.
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