पानीपत: हरियाणा प्रदेश में एक कहावत है, 'देसां मैं देस हरियाणा, जित्त दूध दही का खाना' यानी जहां दूध दही का खाना अच्छे खाने के लिए मशहूर है. वैसे प्रदेश में 75 प्रतिशत लोग एनीमिया से ग्रसित (anemia cases increased in Haryana) हैं. गर्भवती महिलाएं, किशोर, किशोरियों और बच्चों की शिराओं में रक्त की कमी है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के 75% लोग एनीमिया से ग्रसित हैं. एक मई से सात मई बीच एनीमिया मुक्त अभियान के तहत हुई जांच में ये स्पष्ट हुआ है.
अगर पानीपत जिले की बात की जाए तो शहर के 76 प्रतिशत बच्चे, किशोर, किशोरियां और गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं. एक मई से सात मई तक एनीमिया मुक्त जांच अभियान में विभाग ने अस्पतालों, गांवों और कॉलोनियों में 23433 बच्चों, किशोरों और महिलाओं की जांच की थी. इनमें से 17950 में खून की कमी मिली. इनमें से 769 एनीमिया के गंभीर रोगी पाए गए. वहीं, 806 रोगियों को सामुदायिक केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से सिविल अस्पताल रेफर करना पड़ा.
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 9111 रोगियों का उपचार किया है. बाकी रोगियों को उनका खानपान अच्छा करने के लिए जागरूक किया गया है. बढ़ते एनीमिया के कारण स्वास्थ्य विभाग चिंतित है. वहीं, दूसरी ओर विभाग ने 2030 तक देश और प्रदेश एनीमिया मुक्त (Anemia free Haryana) करने का लक्ष्य रखा है.
क्यों बढ़ रहे हैं हरियाणा में ये आंकड़े: हरियाणा में एनीमिया के मरीजों का आंकड़ा बढ़ना काफी चिंताजनक है. अगर डॉक्टरों की मानें तो यह आंकड़ा गर्भवती महिलाओं और 1 माह से 59 माह के बच्चों की संख्या अधिक है. डॉक्टरों का यह भी मानना है कि हरियाणा में यह आंकड़ा बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि प्रदेश में प्रवासी लोग रहते हैं, जो आंकड़े में हरियाणा के स्थाई लोगों से अधिक मिले हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि इसका मुख्य कारण यह भी हो सकता है कि उनके खाने-पीने में एकदम बदलाव आ जाने के कारण हो. खाने-पीने में बदलाव शिराओं में खून की कमी का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा की स्थाई लोगों में एनीमिया के मरीजों की संख्या कम मिली है और अधिकांश मरीजों की संख्या प्रवासी मजदूरों की है.
एनीमिया से हो रही समय से पहले डिलीवरी: पानीपत जिले की अगर बात की जाए तो एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं की समय से पहले डिलीवरी का आंकड़ा बढ़ रहा है. यहां एक माह में लगभग 100 महिलाओं की डिलीवरी एनीमिया के कारण हो रही है.
लोगों को इस बीमारी से मुक्त कराने के लिए सरकार ने अलग-अलग चरणों में योजना को धरातल तक पहुंचाने की तैयारी शुरू दी थी. इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता पंचायतों में जाकर लोगों का इलाज कर रहे हैं. अगर बीमारी किसी मरीज में ज्यादा पनप रही हो तो उन्हें अस्पताल में उपचार के लिए बुलाया जाएगा. प्रदेश को एनीमिया मुक्त कराने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को गांव-गांव जाने के निर्देश दिए हैं.
दरअसल यह बीमारी खून की कमी से होती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है. बच्चों को यह बीमारी जल्द अपनी गिरफ्त में लेती है. अगर व्यक्ति का खानपान सही हो तो इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो महिलाओं का एचबी (हिमोग्लोबिन)12 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए, जबकि पुरुषों का एचबी भी इससे ज्यादा होना चाहिए.
शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा गांव में महिलाओं और लड़कियों का एचबी कम होता है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस बीमारी को खत्म करने के लिए स्कूलों में भी कार्यक्रम (symptoms of anemia) चलाए जाने हैं, ताकि छात्रों को अन्य बीमारियों से बचाया जा सके. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पंचायतों और गांव में जाने के निर्देश दिए गए हैं. लोगों की उपचार निशुल्क होगा, दवाइयां भी प्रदेश सरकार देगी.