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क्या है नेशनल हेराल्ड मामला ? नेहरु-गांधी परिवार और हुड्डा पर लटकी है तलवार - gandhi family

नेशनल हेराल्ड केस में नेहरु-गांधी परिवार को बड़ा झटका लगा है. ईडी ने इस मामले में पंचकूला में स्थित प्रॉपर्टी जब्त कर ली है. इसके पहले ईडी ने गुरुग्राम और पंचकूला में स्थित 64 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को अटैच किया था. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जब्‍त की गई यह संपत्ति नेशनल हेराल्‍ड और एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड से संबंधित है.

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Published : May 29, 2019, 1:55 PM IST

पंचकूला: हरियाणा के पंचकूला के सेक्‍टर-6 के प्‍लॉट नंबर सी-17 को जब्‍त किया गया है. ईडी के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड को यह संपत्ति आवंटित की गई थी. इस मामले में सीबीआई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है.

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला? देखिए ये रिपोर्ट.

यह है पूरा मामला?
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

2005 में 1982 की दरों पर अलॉट किया प्लॉट
28 अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुडा के अध्यक्ष के नाते घिरे हुड्डा
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) को करीब 62 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप है.

हमने जुर्माना राशि वसूलकर दिया था प्लॉट- हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने नियमों के अनुसार प्लॉट का रि-अलाटमेंट किया था. इस प्लॉट की अलाटमेंट के लिए संबंधित लोगों से जुर्माने की राशि हुडा ने वसूल की. प्लॉट की वास्तविक कीमत दो लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन 60 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया. यह हुडा के नियमों में है इसलिए पूरा मामला जानबूझकर राजनीतिक बनाया गया है. इसमें कहीं कुछ गलत नहीं हुआ है.

आरोपपत्र में क्या कहा गया?
आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा है कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था, जिस पर 1992 तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ. आरोपपत्र में कहा गया है कि दोबारा यही जमीन एजेएल को 2005 में उसी दर पर फिर दे दी गई. यह हुडा के अध्यक्ष हुड्डा द्वारा किया गया मानदंडों का उल्लंघन था.

सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को केस दर्ज किया था. 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की है. मामले में सीबीआई ने एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें गांधी परिवार भी शामिल है. यह एजेएल समूह नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशन भी करता है.

पंचकूला: हरियाणा के पंचकूला के सेक्‍टर-6 के प्‍लॉट नंबर सी-17 को जब्‍त किया गया है. ईडी के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड को यह संपत्ति आवंटित की गई थी. इस मामले में सीबीआई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है.

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला? देखिए ये रिपोर्ट.

यह है पूरा मामला?
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

2005 में 1982 की दरों पर अलॉट किया प्लॉट
28 अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुडा के अध्यक्ष के नाते घिरे हुड्डा
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) को करीब 62 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप है.

हमने जुर्माना राशि वसूलकर दिया था प्लॉट- हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने नियमों के अनुसार प्लॉट का रि-अलाटमेंट किया था. इस प्लॉट की अलाटमेंट के लिए संबंधित लोगों से जुर्माने की राशि हुडा ने वसूल की. प्लॉट की वास्तविक कीमत दो लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन 60 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया. यह हुडा के नियमों में है इसलिए पूरा मामला जानबूझकर राजनीतिक बनाया गया है. इसमें कहीं कुछ गलत नहीं हुआ है.

आरोपपत्र में क्या कहा गया?
आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा है कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था, जिस पर 1992 तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ. आरोपपत्र में कहा गया है कि दोबारा यही जमीन एजेएल को 2005 में उसी दर पर फिर दे दी गई. यह हुडा के अध्यक्ष हुड्डा द्वारा किया गया मानदंडों का उल्लंघन था.

सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को केस दर्ज किया था. 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की है. मामले में सीबीआई ने एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें गांधी परिवार भी शामिल है. यह एजेएल समूह नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशन भी करता है.

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क्या है नेशनल हेराल्ड मामला? गांधी परिवार और हुड्डा पर लटकी है तलवार





पंचकूला: नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को बड़ा झटका लगा है. रिपोर्टस के मुताबिक, ईडी ने इस मामले में पंचकूला में स्थित प्रॉपर्टी जब्त कर ली है. इसके पहले ईडी ने गुरुग्राम और पंचकूला में स्थित 64 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को अटैच किया था. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जब्‍त की गई यह संपत्ति नेशनल हेराल्‍ड और एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड से संबंधित है.

प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक हरियाणा के पंचकूला के सेक्‍टर-6 के प्‍लॉट नंबर सी-17 को जब्‍त किया गया है. ईडी के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटेड को यह संपत्ति आवंटित की गई थी. इस मामले में सीबीआई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है.



यह है पूरा मामला?

24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.





2005 में 1982 की दरों पर अलाट किया प्लॉट

28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया. 



हुडा के अध्यक्ष के नाते लपेटे में आए हुड्डा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुडा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा) को करीब 62 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप है.



हमने जुर्माना राशि वसूलकर दिया था प्लॉट- हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने नियमों के अनुसार प्लाट का रि-अलाटमेंट किया था. इस प्लॉट की अलाटमेंट के लिए संबंधित लोगों से जुर्माने की राशि हुडा ने वसूल की. प्लॉट की वास्तविक कीमत दो लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन 60 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया. यह हुडा के नियमों में है इसलिए पूरा मामला जानबूझकर राजनीतिक बनाया गया है. इसमें कहीं कुछ गलत नहीं हुआ है. 



आरोपपत्र में क्या कहा गया?

आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा है कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था जिस पर 1992 तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ. आरोपपत्र में कहा गया है कि दोबारा यही जमीन एजेएल को 2005 में उसी दर पर फिर दे दी गई. यह हुडा के अध्यक्ष हुड्डा द्वारा किया गया मानदंडों का उल्लंघन था. 

सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को केस दर्ज किया था. 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की है. मामले में सीबीआई ने एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है. एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें गांधी परिवार भी शामिल है. यह एजेएल समूह नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशन भी करता है.


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