पंचकूलाः नेशनल हेराल्ड की मालिक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट रि-अलॉट करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और मोतीलाल वोरा आरोपी हैं. इस मामले का नाता गांधी परिवार से भी है. चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला.
एजेएल कांग्रेस नेताओं व गांधी परिवार के नियंत्रण वाली कंपनी है. इसे जिस समय प्लॉट रि-अलॉट किया गया, उस समय हुड्डा सीएम के साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन भी थे. वोरा एजेएल के चेयरमैन रहे हैं.
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था. कंपनी ने 10 साल तक कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट रद्द कर प्लॉट पर वापस कब्जा ले लिया. 28 अगस्त 2005 को तत्कालीन सीएम हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर ही प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर दिए थे.
इसी दौरान पंचकूला में एसोसिएट जर्नल लिमिटेड को जमीन आवंटित की थी. आरोप है कि एजेएल को ये जमीन आवंटित करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई. इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ. ये प्लॉट 496 स्केवयर मीटर से लेकर 1280 स्केवयर मीटर तक के थे, जिसके लिए हुड्डा के पास 582 आवेदन आए थे. अलॉटमेंट के लिए 14 का चयन किया गया था.
खट्टर सरकार ने सत्ता में आते ही इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी थी. विजिलेंस ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. अब ये मामला पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में चल रहा है.
जानिए क्या है AJL प्लॉट आवंटन मामला जिसके लिए पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा को काटने पड़े कोर्ट के चक्कर
एजेएल कांग्रेस नेताओं व गांधी परिवार के नियंत्रण वाली कंपनी है. इसे जिस समय प्लॉट रि-अलॉट किया गया, उस समय हुड्डा सीएम के साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन भी थे. वोरा एजेएल के चेयरमैन रहे हैं.
पंचकूलाः नेशनल हेराल्ड की मालिक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट रि-अलॉट करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और मोतीलाल वोरा आरोपी हैं. इस मामले का नाता गांधी परिवार से भी है. चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला.
एजेएल कांग्रेस नेताओं व गांधी परिवार के नियंत्रण वाली कंपनी है. इसे जिस समय प्लॉट रि-अलॉट किया गया, उस समय हुड्डा सीएम के साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन भी थे. वोरा एजेएल के चेयरमैन रहे हैं.
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था. कंपनी ने 10 साल तक कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट रद्द कर प्लॉट पर वापस कब्जा ले लिया. 28 अगस्त 2005 को तत्कालीन सीएम हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर ही प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर दिए थे.
इसी दौरान पंचकूला में एसोसिएट जर्नल लिमिटेड को जमीन आवंटित की थी. आरोप है कि एजेएल को ये जमीन आवंटित करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई. इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ. ये प्लॉट 496 स्केवयर मीटर से लेकर 1280 स्केवयर मीटर तक के थे, जिसके लिए हुड्डा के पास 582 आवेदन आए थे. अलॉटमेंट के लिए 14 का चयन किया गया था.
खट्टर सरकार ने सत्ता में आते ही इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी थी. विजिलेंस ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. अब ये मामला पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में चल रहा है.
जानिए क्या है AJL प्लॉट आवंटन मामला जिसके लिए पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा को काटने पड़ते हैं कोर्ट के चक्कर
पंचकूलाः नेशनल हेराल्ड की मालिक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लॉट रि-अलॉट करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और मोतीलाल वोरा आरोपी हैं. इस मामले का नाता गांधी परिवार से भी है. चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला.
एजेएल कांग्रेस नेताओं व गांधी परिवार के नियंत्रण वाली कंपनी है. इसे जिस समय प्लॉट रि-अलॉट किया गया, उस समय हुड्डा सीएम के साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन भी थे. वोरा एजेएल के चेयरमैन रहे हैं.
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था. कंपनी ने 10 साल तक कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट रद्द कर प्लॉट पर वापस कब्जा ले लिया. 28 अगस्त 2005 को तत्कालीन सीएम हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर ही प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर दिए थे.
इसी दौरान पंचकूला में एसोसिएट जर्नल लिमिटेड को जमीन आवंटित की थी. आरोप है कि एजेएल को ये जमीन आवंटित करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई. इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ. ये प्लॉट 496 स्केवयर मीटर से लेकर 1280 स्केवयर मीटर तक के थे, जिसके लिए हुड्डा के पास 582 आवेदन आए थे. अलॉटमेंट के लिए 14 का चयन किया गया था.
खट्टर सरकार ने सत्ता में आते ही इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी थी. विजिलेंस ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. अब ये मामला पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में चल रहा है.
Conclusion: