पंचकूला: देश पहले से ही कोरोना जैसी भयानक बीमारी की मार झेल रहा है और अब वायु प्रदूषण ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी है. जब से कोरोना शुरु हुआ था तो सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था, लॉकडाउन के चलते देशभर में सभी वाहन, फैक्ट्रियां बंद हो गए. जिससे प्रदूषण में भारी गिरावट आई, लेकिन अब जब सरकार की ओर से अनलॉक में छूट दी गई तो प्रदूषण का स्तर भी बढ़ना शुरू हो गया.
प्रदेश में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं बताया जा रहा है. वहीं दूसरे ओर पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से 207 से अधिक किसानों पर 5 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया लगाया जा चुका है.
पराली ना जले इसके लिए सरकार की ओर से एक एकड़ खेत की पराली पर किसानों को 1000 हजार रुपये दिए जाएंगे. इसके लिए किसान को पोर्टल पर जानकारी अपलोड करनी होगी. इसके साथ ही प्रदूषण लोगों के जी का जंजाल बना हुआ है. प्रूदषण की वजह से लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है. लोगों को प्रदूषण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
प्रदेश में पिछले 3 सालों में फसल अवशेष जलाने के मामलों में कमी आई है. हरियाणा में वर्ष 2017 में 12800 जगह फसल के अवशेष जलाए गए. वहीं 2018 में इसकी संख्या 10571 रही. जबकि वर्ष 2019 में फसल के अवशेष जलाए के 6862 मामले सामने आए. नागरिक अस्पताल के चेस्ट एंड टीबी रोग विशेषज्ञ एमडी डॉक्टर नरेंद्र गुलाटी की मानी तो प्रदूषण का स्तर बढ़ने और मौसम में बदलाव से सांस के रोगियों की दिक्कत बढ़ सकती है. वहीं नए जन्म लेने वाले बच्चों को सांस की समस्या हो सकती है.
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बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चेताया गया है कि आने वाले समय में सांस से संबंधित रोगियों की संख्या बढ़ सकती है. ये समस्या सिर्फ लोगों में ही नहीं, नवजात बच्चों में भी हो सकती है. इसलिए जरूरत है समय से जागरूक होने की, प्रकृति को बचाने की. अगर अभी से नहीं चेते तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं और उस वक्त अपनी पीढ़ियों को देने के लिए हमारे पास कोई उत्तर भी नहीं होगा.