ETV Bharat / city

जहां हुआ था कृष्ण और बलराम का मुंडन, आज भी मौजूद है वो 5500 साल पुराना वटवृक्ष

author img

By

Published : Aug 23, 2019, 7:27 PM IST

देश में जगह-जगह आज जन्माष्टमी यानि भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर हम आपको श्री कृष्ण से जुड़ा एक अनसुना किस्सा सुनाते हैं और कुरुक्षेत्र की एक ऐसी जगह से रूबरू करवाएंगे जिससे भगवान कृष्ण का खास नाता रहा है.

krishna story

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आज भी ऐसी कई जगह हैं और प्रमाण मौजूद हैं जो गोविंद का इस धरती पर होने का एहसास करवाती है. जन्माष्टमी के पर्व पर धर्मनगरी में रौनक और बढ़ जाती है और श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

धर्म नगरी कुरुक्षेत्र की बात करें को इसे भगवान श्री कृष्ण की कर्म भूमि कहा जाता है. बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम का मुंडन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हुआ था. जहां उनका मुंडन हुआ था वो स्थान है देवीकूप भद्रकाली मंदिर.

कुरुक्षेत्र में है भगवान कृष्ण और बलराम का मुंडन स्थल, देखें ये रिपोर्ट.

इस विशाल मंदिर के प्रांगण में एक वटवृक्ष है. मान्यता है कि ये पेड़ लगभग 5500 साल पुराना है जिसके बारे में कहा जाता है इस पेड़ के नीचे भगवान श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार संपन्न किया गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर मां सती का पैर पड़ा था जिसके चलते इसे एक सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है.

जानकारों की मानें तो इस स्थान से पहले सरस्वती नदी गुजरती थी और यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे पर था. मुंडन संस्कार के बाद बलराम और श्री कृष्ण अपनी शिक्षा और दीक्षा के लिए यहां से वापस लौट गए थे और फिर उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि से कर्म का संदेश दिया था जिसे गीता का ज्ञान कहा जाता है. इस स्थान का धार्मिक महत्व आज भी लोगों के लिए जस का तस बना हुआ है.

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आज भी ऐसी कई जगह हैं और प्रमाण मौजूद हैं जो गोविंद का इस धरती पर होने का एहसास करवाती है. जन्माष्टमी के पर्व पर धर्मनगरी में रौनक और बढ़ जाती है और श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

धर्म नगरी कुरुक्षेत्र की बात करें को इसे भगवान श्री कृष्ण की कर्म भूमि कहा जाता है. बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम का मुंडन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हुआ था. जहां उनका मुंडन हुआ था वो स्थान है देवीकूप भद्रकाली मंदिर.

कुरुक्षेत्र में है भगवान कृष्ण और बलराम का मुंडन स्थल, देखें ये रिपोर्ट.

इस विशाल मंदिर के प्रांगण में एक वटवृक्ष है. मान्यता है कि ये पेड़ लगभग 5500 साल पुराना है जिसके बारे में कहा जाता है इस पेड़ के नीचे भगवान श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार संपन्न किया गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर मां सती का पैर पड़ा था जिसके चलते इसे एक सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है.

जानकारों की मानें तो इस स्थान से पहले सरस्वती नदी गुजरती थी और यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे पर था. मुंडन संस्कार के बाद बलराम और श्री कृष्ण अपनी शिक्षा और दीक्षा के लिए यहां से वापस लौट गए थे और फिर उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि से कर्म का संदेश दिया था जिसे गीता का ज्ञान कहा जाता है. इस स्थान का धार्मिक महत्व आज भी लोगों के लिए जस का तस बना हुआ है.

Intro:भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की मुंडन स्थली धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के देवीकूप भद्रकाली मंदिर।

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आज भी ऐसी कहीं जगह है और प्रमाण मौजूद हैं जो प्रभु का इस धरती पर होने का एहसास करवाती हैं जन्माष्टमी के पर्व पर धर्म नगरी में रौनक और बढ़ जाती है और श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं अगर धर्म नगरी में बात करें भगवान तो इसे श्री कृष्ण की कर्म भूमि कहा जाता है बलराम ओर भगवान श्री कृष्ण का मुंडन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हुआ था वह स्थान है श्रीदेवी को भद्रकाली मंदिर इस विशाल मंदिर के प्रांगण में एक वटवृक्ष है जोकि लगभग 5500 साल पुराना है जिसके बारे में कहा जाता है इस वृक्ष के नीचे भगवान श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार संपन्न किया गया था।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर मां सती का पैर गिरा था जिसके चलते एक सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है और इस तरह के सिद्ध पीठ पर भगवान कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार किया गया था जानकारों की माने तो इस स्थान से पहले सरस्वती नदी गुजरती थी और यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे पर था और स्थान पर मुंडन संस्कार के बाद बलराम श्री कृष्ण अपनी शिक्षा और दीक्षा के लिए वापस लौट गए थे और फिर उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि से पूरे विश्व को शांति का और कर्म का संदेश दिया जिसे गीता का ज्ञान कहा जाता है इस स्थान का धार्मिक महत्व आज भी लोगों के लिए जस का तस बना हुआ है।

बाईट:-सतीश कुमार
बाईट:-अनिल


Body:2


Conclusion:2
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.