कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आज भी ऐसी कई जगह हैं और प्रमाण मौजूद हैं जो गोविंद का इस धरती पर होने का एहसास करवाती है. जन्माष्टमी के पर्व पर धर्मनगरी में रौनक और बढ़ जाती है और श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
धर्म नगरी कुरुक्षेत्र की बात करें को इसे भगवान श्री कृष्ण की कर्म भूमि कहा जाता है. बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम का मुंडन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हुआ था. जहां उनका मुंडन हुआ था वो स्थान है देवीकूप भद्रकाली मंदिर.
इस विशाल मंदिर के प्रांगण में एक वटवृक्ष है. मान्यता है कि ये पेड़ लगभग 5500 साल पुराना है जिसके बारे में कहा जाता है इस पेड़ के नीचे भगवान श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार संपन्न किया गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर मां सती का पैर पड़ा था जिसके चलते इसे एक सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है.
जानकारों की मानें तो इस स्थान से पहले सरस्वती नदी गुजरती थी और यह स्थान सरस्वती नदी के किनारे पर था. मुंडन संस्कार के बाद बलराम और श्री कृष्ण अपनी शिक्षा और दीक्षा के लिए यहां से वापस लौट गए थे और फिर उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि से कर्म का संदेश दिया था जिसे गीता का ज्ञान कहा जाता है. इस स्थान का धार्मिक महत्व आज भी लोगों के लिए जस का तस बना हुआ है.