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15 सालों से एक कमरे में कैद व्यक्ति ने बयां किया अपना दर्द, सिर्फ एक हाथ के सहारे जी रहे हैं - बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस

पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा है लेकिन कुरुक्षेत्र में बी.लिब (बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस) तक पढ़ा हुआ एक व्यक्ति सुरेश, पशुओं से भी जर्जर हालत में रहने को मजबूर है.

divyang suresh
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Published : Aug 15, 2019, 8:41 PM IST

कुरुक्षेत्र: केवल एक हाथ के साथ जीवन जीने को मजबूर सुरेश का 2004 में रेल एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी दोनों टांगे और बायां हाथ कट गया था. घर परिवार का कोई भी सदस्य सुरेश के साथ नहीं रहता है. कुरुक्षेत्र के दर्रा खेड़ा की दयानंद गली में एक ऐसे जर्जर कमरे में पशुओं से भी दयनीय हालत में सुरेश कैसे रहता होगा. इस बात को तो सोच कर भी अच्छे भले आदमी की आत्मा कांप जाएगी.

कुरुक्षेत्र में दिव्यांग सुरेश पिछले 15 सालों से एक कमरे में रह रहे हैं.

जब वो रेल हादसा हुआ उस समय सुरेश पानीपत में किसी कंपनी में जॉब करते था और ट्रेन से आते हुए इनके साथ यह दुर्घटना घटी थी. इनके माता-पिता भी गुजर चुके हैं. इनकी एक बहन है जो आजकल अपने पति व बच्चों के साथ रोहतक में रहती है बाकी रिश्तोदारों में से कोई भी किसी प्रकार की मदद नहीं कर रहा. ये 2004 से 2019 लगभग 15 वर्षों से इसी कमरे में एक प्रकार से कैद में है. हरियाणा सरकार की तरफ से सिर्फ 2000 रुपये पेंशन के अलावा और कुछ नहीं मिला है.

हालांकि अब सुरेश की इस हालत में उनके साथ पढ़े कुछ लोगों के प्रयासों से नगर की समाजसेवी संस्था 'हाउ मे आई हेल्प यू' और कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक सहायता के लिए आगे आए हैं. संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सहयोग के लिए आश्वासन दिया है. जिससे लगता है कि सुरेश की जिंदगी में कुछ सुधार आ जाएगा.

यहां सवाल ये उठता है कि अगर परिजनों ने सुरेश को उसके हाल पर छोड़ दिया था तो क्या सरकार या स्थानीय प्रशासन को 15 सालों से एक कमरे में कैद सुरेश की कोई सहायता नहीं करनी चाहिए थी. खैर अब देखना ये होगा कि सरकार अभी भी आंख मूंदे रहेगी या फिर सुरेश की मदद के लिए हाथ बढ़ाएगी.

कुरुक्षेत्र: केवल एक हाथ के साथ जीवन जीने को मजबूर सुरेश का 2004 में रेल एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी दोनों टांगे और बायां हाथ कट गया था. घर परिवार का कोई भी सदस्य सुरेश के साथ नहीं रहता है. कुरुक्षेत्र के दर्रा खेड़ा की दयानंद गली में एक ऐसे जर्जर कमरे में पशुओं से भी दयनीय हालत में सुरेश कैसे रहता होगा. इस बात को तो सोच कर भी अच्छे भले आदमी की आत्मा कांप जाएगी.

कुरुक्षेत्र में दिव्यांग सुरेश पिछले 15 सालों से एक कमरे में रह रहे हैं.

जब वो रेल हादसा हुआ उस समय सुरेश पानीपत में किसी कंपनी में जॉब करते था और ट्रेन से आते हुए इनके साथ यह दुर्घटना घटी थी. इनके माता-पिता भी गुजर चुके हैं. इनकी एक बहन है जो आजकल अपने पति व बच्चों के साथ रोहतक में रहती है बाकी रिश्तोदारों में से कोई भी किसी प्रकार की मदद नहीं कर रहा. ये 2004 से 2019 लगभग 15 वर्षों से इसी कमरे में एक प्रकार से कैद में है. हरियाणा सरकार की तरफ से सिर्फ 2000 रुपये पेंशन के अलावा और कुछ नहीं मिला है.

हालांकि अब सुरेश की इस हालत में उनके साथ पढ़े कुछ लोगों के प्रयासों से नगर की समाजसेवी संस्था 'हाउ मे आई हेल्प यू' और कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक सहायता के लिए आगे आए हैं. संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सहयोग के लिए आश्वासन दिया है. जिससे लगता है कि सुरेश की जिंदगी में कुछ सुधार आ जाएगा.

यहां सवाल ये उठता है कि अगर परिजनों ने सुरेश को उसके हाल पर छोड़ दिया था तो क्या सरकार या स्थानीय प्रशासन को 15 सालों से एक कमरे में कैद सुरेश की कोई सहायता नहीं करनी चाहिए थी. खैर अब देखना ये होगा कि सरकार अभी भी आंख मूंदे रहेगी या फिर सुरेश की मदद के लिए हाथ बढ़ाएगी.

Intro:
देश आजादी का जश्न मना रहा है लेकिन बी लिब तक शिक्षित सुरेश पशुओं से भी जर्जर हालत में रहने को मजबूर केवल एक हाथ के साथ जीवन जीने को मजबूर, 2004 में रेल एक्सीडेंट में दोनों टांगे और बायाँ हाथ गवा चुके कुरुक्षेत्र के व्यक्ति का कोई नहीं है इस संसार में, बी ए में सहपाठी रहे लोगों के प्रयासों से समाज सेवी संस्था how may I help you तथा कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक आया सहयोग के लिए आये आगे

पूरा देश आजादी के जश्न की तैयारी में जुटा है लेकिन एक आम आदमी भी कोई कल्पना नहीं कर सकता कि कोई व्यक्ति 2004 में रेल एक्सीडेंट में दोनों टांगे और बायाँ हाथ कटने के बाद अकेला घर में कैसे जीवन यापन करता होगा। जबकि घर में कोई परिवार का अन्य सदस्य नहीं है। कुरुक्षेत्र के दर्रा खेड़ा की दयानंद गली में एक ऐसे जर्जर कमरे में पशुओं से भी दयनीय हालत में कैसे रहता होगा इस बात को तो सोच कर भी आम अच्छे भले आदमी की आत्मा कांप जाएगी। सुरेश की इस हालत में भी बी ए के क्लास फैलो रहे कुछ लोगों के प्रयासों से नगर की समाज सेवी संस्था how may I help you तथा कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक आया सहयोग के लिए आई। मौके की स्थिति को देख संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सहयोग के लिए आश्वासन दिया है। लगता है कि सुरेश की जिंदगी में कुछ सुधार आ जाये।

Body:मौके पर संस्था how may I help you के पदाधिकारियों ने बताया कि उन्हें कुरुक्षेत्र के इंग्लिश लैक्चरार के पद पर कार्यरत दीपक सैनी का फोन था कि एक ऐसा शख्स सुरेश कश्यप दयानंद गली दर्रा खेड़ा कुरुक्षेत्र में रहता है जिसकी 2004 में रेल एक्सीडेंट में दोनों टांगे और बायाँ हाथ चला गया है। यह उस समय पानीपत में किसी कंपनी में जॉब करते था और ट्रेन से आते हुए इनके साथ यह दुर्घटना घटी थी। इनके माता-पिता भी गुजर चुके हैं इनका कोई भाई नहीं है और इनकी बहन आजकल अपने पति व बच्चों के साथ रोहतक में रहती है। इसके चाचा व ताया के परिवार के सदस्य कोई किसी प्रकार की मदद नहीं कर रहे। यह बिल्कुल अकेला है और 2004 से 2019 लगभग 15 वर्षों से इसी कमरे में एक प्रकार से कैद में है ।इसको अभी तक किसी भी समाज सेवी संस्था से कोई सहायता नहीं मिली है। हरियाणा सरकार की तरफ से सिर्फ ₹2000 पेंशन के अलावा और कुछ नहीं मिला है।

Conclusion:आप सब की जानकारी के लिए बता दें कि इस भाई ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से "बी लिब" किया है। हाउ मे आई हेल्प यू" कुरुक्षेत्र की टीम मदद के लिए पहुंची और इस भाई से मिलकर इसे हर संभव मदद करने का विश्वास दिलाया। इस टीम ने सुरेश को पूरी तरह से हैंडल कर लिया है । संस्था के डेडीकेटेड सदस्यों ने वायदा किया है कि सुरेश हर 3 घंटे को बाद मिलने जाएंगे और जिस चीज की भी इनको जरूरत महसूस होगी इनको उपलब्ध करवाएंगे। सुरेश के मोबाइल में संस्था के सदस्यों के नंबर भी दे दिए गए हैं जिस भी सदस्य के पास इस की कभी भी कॉल आती है 24 घंटे सातों दिन इनके पास पहुंचा जाएगा।

BYTE....... मास्टर जितेंद्र
BYTE....... पीड़ित सुरेश कश्यप
BYTE....... विमल विनोद वशिष्ट
BYTE....... प्रेम सिंह, पूर्व क्लास फैलो
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