कुरुक्षेत्र: केवल एक हाथ के साथ जीवन जीने को मजबूर सुरेश का 2004 में रेल एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी दोनों टांगे और बायां हाथ कट गया था. घर परिवार का कोई भी सदस्य सुरेश के साथ नहीं रहता है. कुरुक्षेत्र के दर्रा खेड़ा की दयानंद गली में एक ऐसे जर्जर कमरे में पशुओं से भी दयनीय हालत में सुरेश कैसे रहता होगा. इस बात को तो सोच कर भी अच्छे भले आदमी की आत्मा कांप जाएगी.
जब वो रेल हादसा हुआ उस समय सुरेश पानीपत में किसी कंपनी में जॉब करते था और ट्रेन से आते हुए इनके साथ यह दुर्घटना घटी थी. इनके माता-पिता भी गुजर चुके हैं. इनकी एक बहन है जो आजकल अपने पति व बच्चों के साथ रोहतक में रहती है बाकी रिश्तोदारों में से कोई भी किसी प्रकार की मदद नहीं कर रहा. ये 2004 से 2019 लगभग 15 वर्षों से इसी कमरे में एक प्रकार से कैद में है. हरियाणा सरकार की तरफ से सिर्फ 2000 रुपये पेंशन के अलावा और कुछ नहीं मिला है.
हालांकि अब सुरेश की इस हालत में उनके साथ पढ़े कुछ लोगों के प्रयासों से नगर की समाजसेवी संस्था 'हाउ मे आई हेल्प यू' और कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक सहायता के लिए आगे आए हैं. संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सहयोग के लिए आश्वासन दिया है. जिससे लगता है कि सुरेश की जिंदगी में कुछ सुधार आ जाएगा.
यहां सवाल ये उठता है कि अगर परिजनों ने सुरेश को उसके हाल पर छोड़ दिया था तो क्या सरकार या स्थानीय प्रशासन को 15 सालों से एक कमरे में कैद सुरेश की कोई सहायता नहीं करनी चाहिए थी. खैर अब देखना ये होगा कि सरकार अभी भी आंख मूंदे रहेगी या फिर सुरेश की मदद के लिए हाथ बढ़ाएगी.