कुरुक्षेत्र: आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति (Ayurvedic system of medicine) से वात का इलाज कराना संभव है. विदेश में महंगा इलाज कराने वाले लोग अब अपने देश में ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से इलाज करा सकते हैं. वात का इलाज अब सरकारी चिकित्सा संस्थान में आपको कराना आसान होगा. कुरुक्षेत्र के श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय अस्पताल का पंचकर्मा विभाग इन दिनों हर दिन एक नई बीमारी को ठीक करने की मिसाल पेश कर रहा है.
पहले स्जोग्रेन जैसी लाइलाज बीमारी के मरीजों को यहां से आराम मिला तो अब घुटनों के रोग के मरीज यहां ठीक हो (Ayurvedic treatment in kurukshetra) रहे हैं. वात शरीर में संतुलन बनाए रखने का प्रमुख कारक है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वात दोष का प्रभाव बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर मे कई बीमारियां होती हैं. ऑस्टियो आर्थराइटिस इस प्रक्रिया के परिणामों में से एक है, जो वृद्ध लोगों में आम है. यह पुरानी विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. भारत में ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis treatment) का प्रचलन रजोनिवृत्त महिलाओं में अधिक है.
आजकल हर किसी का लाइफ स्टैंडर्ड हाई हो गया है. घुटनों के रोग युवाओं में भी देखने को मिल रहे हैं. युवा अपने बेहतर स्वास्थ्य और बॉडी मेंटेन करने के लिए जिम ज्वाइन करते हैं लेकिन जिम करने के दौरान वह कई ऐसी गलतियां कर देते हैं जिससे उनके घुटनों में समस्या खड़ी हो जाती है. पहले ज्यादातर घुटनों की समस्या बड़ी उम्र के लोगों में देखने को मिलती थी लेकिन अब यह समस्या 25 वर्ष से ऊपर के युवाओं में भी देखने को मिल रही है.
वात रोग के लक्षण :
- व्यक्ति के घुटने से आवाज आनी शुरू हो जाती है
- व्यक्ति को ज्यादा देर टांगो के बल बैठने से घुटनों में दर्द हो जाता है
- कई बार घुटनों में सूजन आ जाती है.
- घुटनों के अंदर लगेमेंट टूट जाता है
- घुटने में पानी भर जाना
- घुटने का लिगामेंट टूट जाना
- घुटने का चलते हुए बार-बार घूम जाना
![Ayurvedic treatment in kurukshetra](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16399921_ayur1.jpg)
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय (Sri Krishna Ayush University in Kurukshetra) के अंतर्गत चल रहे आयुर्वेदिक कॉलेज के पंचकर्मा विभाग में कार्यरत डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि घुटनों की समस्या आज के समय में एक आम समस्या हो गई है, जिसका इलाज अगर हम एलोपैथिक तरीके से लें तो उसमें लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं. कई बार नौबत ऐसी बन जाती है कि डॉक्टर घुटनों का ऑपरेशन करने की बात बोलते हैं. जिसका खर्च लगभग 3 लाख रुपए तक आ जाता है. लेकिन उन सभी गंभीर रोगों का इलाज कुरुक्षेत्र के आयुर्वेदिक कॉलेज और हॉस्पिटल के पंच कर्मा विभाग में बहुत ही कम कीमत पर किया जाता है. यहां पर 15 सौ से ज्यादा रोगी घुटनों के रोग से स्वस्थ हो चुके हैं. यहां सभी उम्र के घुटने के मरीज आते हैं.
डॉक्टर राजा सिंगला ने बताया कि उनकी एक सप्ताह में दो दिन ओपीडी होती है, जिसमें घुटनों के दर्द के एक दिन की ओपीडी में 40 के करीब मरीज आते हैं. जबकि 15 के करीब मरीज हॉस्पिटल में एडमिट होकर इलाज करा रहे हैं. यह सब पंचकर्म विभाग के अंतर्गत किया जा रहा है. पंचकर्म विधि से किया जा रहा है. डॉ. राजा सिंगला ने बताया कि यहां कुरुक्षेत्र के साथ पूरे देश से रोगी यहां पर पहुंच रहे हैं. वहीं विदेशों से भी घुटनो के रोग का इलाज करवाने के लिए लोग आ रहे हैं. उनमें से जो विदेश से आकर इलाज करा रहे थे सभी बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं.
![Ayurvedic treatment in kurukshetra](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16399921_ayur.jpg)
पिछले वर्ष भारतीय मूल होटल प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े बसाव सिंह स्वीडन से यहां अपना इलाज कराने के लिए पहुंचे थे. स्वीडन में मरीज बसाव सिंह को आपरेशन और जिंदगी भर कुछ खास एक्सरसाइज करने की सलाह चिकित्सकों ने दी थी. वह भारत में पंचकर्मा थेरेपी और कुछ आयुर्वेदिक दवाओं से बिल्कुल ठीक हो गये हैं. बसाव सिंह से अलग लगभग 10 रोगी विदेश से यहां आकर इलाज ले चुके हैं जोकि बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. देवेंद्र खुराना ने बताया कि हम आयुर्वेदिक तरीके से गंभीर से गंभीर रोगों का इलाज कर रहे हैं, तो ऐसे में अब लोगों को चाहिए कि आयुर्वेदिक पद्धति पर विश्वास करें. इससे कम खर्च में अच्छा इलाज कराएं.
उन्होंने कहा कि डॉ. राजा सिंगला की ओर से यहां पर काफी अच्छा काम किया जा रहा है. जिन्होंने कहीं गंभीर बीमारियों से पीड़ित कई तरीके के रोगियों को ठीक किया है. उनमें से घुटनों के रोग एक है. घुटने के रोग का इलाज कराने के लिए जहां दूसरे राज्यों से रोगी पहुंच रहे हैं. वहीं विदेशों से भी इलाज कराने के लिए लोग यहां पर आ रहे हैं.