कुरुक्षेत्र: जिले में अभी तक 27 जगहों पर पराली जलाने (Stubble Burning in Kurukshetra) की सूचना मिली, जिनमें से 19 जगहों पर आग लगी पाई गई. कृषि विभाग के अधिकारियों ने 19 चालान करते हुए 47 हजार 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कुरुक्षेत्र उपायुक्त शांतनु शर्मा ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उसका निस्तारण करें. फसल अवशेष प्रबंधन पर सरकार की ओर से न केवल सब्सिडी दी जा रही है, बल्कि निस्तारण करने के लिए किसानों को कृषि यंत्र भी मुहैया करवाए जा रहे हैं.
डीसी का कहना है कि कृषि विभाग की बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन नीति जिले में कारगर साबित हो रही है. पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में लगातार कमी आ रही है. किसानों की जागरुकता के चलते जिले में धान के अवशेषों को खेतों में जलाने के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है. कुरुक्षेत्र जिले में अभी तक महज 19 मामले ही सामने आए हैं. इसका कारण है कि किसानों को कृषि यंत्र मुहैया करवाए जा रहे हैं, जिसके जरिए वे आसानी से फसल अवशेषों को बिना जलाए ही खेतों में नष्ट कर रहे हैं और साथ ही उन निस्तारण भी किया जा रहा है.
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कुरुक्षेत्र डीसी (Kurukshetra DC) ने बताया कि हरियाणा में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है. यही नहीं हरसेक के माध्यम से सेटेलाइट के जरिये भी फसल अवशेष जलाने के मामलों में पर हर वक्त निगरानी रखी जा रही है. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन करने पर प्रति एकड़ 1 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है. प्रशासन का लक्ष्य है कि किसान पराली का प्रबंधन करके प्रति एकड़ 1 हजार रुपए का आर्थिक लाभ हासिल करें. प्रशासन का यह मकसद नहीं है कि किसानों पर जुर्माना किया जाए.
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने बताया कि सैटेलाइट फसल अवशेषों में आगजनी की सूचना मिलने के तुरंत बाद ग्राम सचिव, पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी एक टीम के रूप में संबंधित जगह पर पहुंच जाते हैं. इतना ही नहीं उपायुक्त के निर्देशानुसार रात्रि के समय भी अधिकारियों द्वारा लगातार निरीक्षण किया जा रहा है. सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि फसल अवशेषों में आग ना लगाई जाए और किसान फसल अवशेषों के प्रबंधन का कार्य करें.
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