करनाल: कथित धान घोटाले के बाद करनाल में एक बार फिर से राइस मिल मालिकों पर गड़बड़ी का आरोप लग रहे हैं. बीते दिनों ही करनाल के दो राइस मिल मालिकों के खिलाफ गड़बड़ी के आरोपों को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. वहीं अब जांच में तीन और राइस मिलर्स का स्टॉक कम मिला है.
राइस मिलर्स पर पीडीएस का चावल बेचने के आरोप
दरसअल सरकार राइस मिल मालिकों को जीरी से चावल निकालने के लिए देती है, जिसे तय समय में राइस मिल मालिकों को सरकार को चावल निकालकर वापस देना होता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से इस बार चावल देने में देरी हो गई है. राइस मिलर्स पर आरोप है कि उन्होंने दूसरे राज्यों से पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) का चावल मंगवाकर हरियाणा सरकार को बेचने की कोशिश की है.
जांच रिपोर्ट में पांच राइस मिलर्स का स्टॉक मिला कम
प्रशासन को इस बात की शिकायत मिलने के बाद दो राइस मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी और मामले की जांच बड़े स्तर पर शुरू की गई थी. जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि एडीसी ने जांच रिपोर्ट कल मेरे पास भेज दी थी. जिसमे पांच राइस मिलर्स का स्टॉक कम पाया गया है. उनके खिलाफ हमने सरकार को लिख दिया है. वेरिफिकेशन में जिन मिलों में चावल कम मिला था हमने उनकी प्रॉपटी अटैच की थी. अब उसका ऑक्शन करके उसकी भरपाई की जाएगी.
बता दें कि, सरकार को राइस मिल मालिकों की तरफ से 15 जुलाई तक सारा चावल देना था और अभी तक औसतन 82 प्रतिशत के आस पास चावल दिया गया है. ऐसे में आरोप ये लगा है कि उस चावल को पूरा करने के लिए पीडीएस का चावल दूसरे राज्यों से मंगवाकर सरकार को देने की तैयारी थी, जिससे सरकार को करोड़ों का चूना लगता और राइस मिल मालिक मालामाल हो जाते. ऐसे में गड़बड़ी कहां है, इसको लेकर जांच टीम बनाकर पूरे मामले की जांच की गई थी. जिसकी रिपोर्ट अब उपायुक्त को सौंपी गई थी.
क्या है सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) ?
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का मतलब है सस्ती कीमतों पर खाद्य और खाद्यान्न वितरण के प्रबंधन की व्यवस्था करना. गेहूं, चावल, चीनी और मिट्टी के तेल जैसे प्रमुख खाद्यान्नों को इस योजना के माध्यम से सार्वजनिक वितरण की दुकानों द्वारा पूरे देश में पहुंचाया जाता है. इस योजना का संचालन उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण के मंत्रालय द्वारा किया जाता है. इस योजना का मुख्य मकसद सस्ती दरों पर देश के कमजोर वर्ग को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है.
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