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'NDRI जलवायु सेवाएं' APP लॉन्च, मुर्रा भैंसों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में होगा कारगर - NDRI Climate Services App

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने 'एनडीआरआई जलवायु सेवाएं' (NDRI Climate Services App) नाम से विशेष एप लॉन्च किया है. जो मुर्रा भैंस को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए दो तरह की जानकारी देगा.

NDRI Climate Services App
NDRI ने 'जलवायु सेवाएं’ एप को किया लॉन्च
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Published : Jul 12, 2022, 3:07 PM IST

करनाल: मुर्रा भैंस को (Murrah Buffalo Haryana) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute Karnal) में महत्वाकांक्षी अनुसंधान परियोजना पर काम किया जा है. वर्ष 2020 से संस्थान में डेवलेपमेंट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज फॉर मुर्रा बफेलो फार्मर्स ऑफ हरियाणा नाम से ये रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत संस्थान ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह के आगाज के साथ ही ‘एनडीआरआई जलवायु सेवाएं’ नाम से विशेष एप लॉन्च किया है जो मुर्रा भैंस को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए दो तरह की जानकारी देगा. बता दें कि रिसर्च प्रोजेक्ट पर दो वर्ष और काम किया जाएगा.

अनुसंधान के तहत पहले वर्ष मुर्रा भैंस पर जलवायु परिवर्तन (climate change karnal) के प्रभावों का आकलन किया गया. इस रिसर्च में भैंसों पर गर्मी व सर्दी में असर पाया गया. दूध उत्पादन पर फर्क पड़ता भी नजर आया, क्योंकि वातावरण के कारण पशु को तनाव होता है. दूसरे वर्ष में इस तनाव को कम करने के लिए और किसानों को कैसे नियमित रूप से सलाह दी जाए, इसको लेकर एप विकसित किया गयी है. यह एंड्रायड मोबाइल पर आधारित एप है. इस एप के माध्यम से संस्थान के विशेषज्ञों की टीम मुर्रा पालकों से जुड़ेगी.

NDRI ने 'जलवायु सेवाएं’ एप को किया लॉन्च

संस्थान के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि एप में दो तरह की जानकारी है. एक के तहत आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, चारा प्रबंधन, मैनेजमेंट एंड प्रेक्टीसिज व मुर्रा भैंस की विशेषताओं की जानकारी को सम्मिलित किया गया है. दूसरा तापमान व आर्द्रता सूचकांक आधारित सलाहकार सेवाएं भी एप में शामिल की हैं. हर सप्ताह मंगलवार व बुधवार को पशुपालकों को तापमान संबंधी जानकारी दी जाती है.

भविष्य में अन्य नस्लों के लिए भी होगा इस्तेमाल: हरियाणा के चार जिलों जींद, रोहतक, हिसार व भिवानी में इस परियोजना के तहत काम किया गया है. इन जिलों में एप का ट्रायल किया जा चुका है. अगले चरण में अन्य जिलों में भी इस एप की सेवाएं मिलेंगी. संस्थान भविष्य में इस एप का इस्तेमाल अन्य नस्लों के लिए भी कर सकता है. बता दें कि इस एप को गुगल पर निशुल्क डाउनलोड की जा सकती है. संस्थान के डेयरी विस्तार प्रभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने इस एप को तैयार किया (NDRI Climate Services App) है. टीम हेड डॉ. संजीत माइटी ने बताया कि एक वर्ष की मेहनत के बाद उनकी टीम ने ऐप तैयार किया है.

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज पूरे विश्व के लिए एक चुनौती है. इससे जानवरों को खासकर पशुपालकों को काफी नुकसान होता है. अगर उन्हें सही दिशा निर्देश दिए जाएं तो वह जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से काफी हद तक निजात पा सकते हैं. इसी उद्देश्य को लेकर ऐप तैयार किया गया है. इसका नाम एनडीआरआई जलवायु सेवाएं हैं और यह गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क उपलब्ध है.

किसानों ने इस ऐप को लाभकारी बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक तकनीक की वजह से उन्हें अपने पशुओं की देखभाल में मदद मिलेगी और वह वैज्ञानिकों से पशुओं की समस्याओं के जवाब पा सकेंगे. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई बार उनके जानवरों में दूध की कमी आ जाती है जिसका समाधान इस ऐप से उपलब्ध हो (Murrah buffalo demand) सकेगा.

करनाल: मुर्रा भैंस को (Murrah Buffalo Haryana) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute Karnal) में महत्वाकांक्षी अनुसंधान परियोजना पर काम किया जा है. वर्ष 2020 से संस्थान में डेवलेपमेंट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज फॉर मुर्रा बफेलो फार्मर्स ऑफ हरियाणा नाम से ये रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके तहत संस्थान ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह के आगाज के साथ ही ‘एनडीआरआई जलवायु सेवाएं’ नाम से विशेष एप लॉन्च किया है जो मुर्रा भैंस को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए दो तरह की जानकारी देगा. बता दें कि रिसर्च प्रोजेक्ट पर दो वर्ष और काम किया जाएगा.

अनुसंधान के तहत पहले वर्ष मुर्रा भैंस पर जलवायु परिवर्तन (climate change karnal) के प्रभावों का आकलन किया गया. इस रिसर्च में भैंसों पर गर्मी व सर्दी में असर पाया गया. दूध उत्पादन पर फर्क पड़ता भी नजर आया, क्योंकि वातावरण के कारण पशु को तनाव होता है. दूसरे वर्ष में इस तनाव को कम करने के लिए और किसानों को कैसे नियमित रूप से सलाह दी जाए, इसको लेकर एप विकसित किया गयी है. यह एंड्रायड मोबाइल पर आधारित एप है. इस एप के माध्यम से संस्थान के विशेषज्ञों की टीम मुर्रा पालकों से जुड़ेगी.

NDRI ने 'जलवायु सेवाएं’ एप को किया लॉन्च

संस्थान के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि एप में दो तरह की जानकारी है. एक के तहत आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, तनाव प्रबंधन, चारा प्रबंधन, मैनेजमेंट एंड प्रेक्टीसिज व मुर्रा भैंस की विशेषताओं की जानकारी को सम्मिलित किया गया है. दूसरा तापमान व आर्द्रता सूचकांक आधारित सलाहकार सेवाएं भी एप में शामिल की हैं. हर सप्ताह मंगलवार व बुधवार को पशुपालकों को तापमान संबंधी जानकारी दी जाती है.

भविष्य में अन्य नस्लों के लिए भी होगा इस्तेमाल: हरियाणा के चार जिलों जींद, रोहतक, हिसार व भिवानी में इस परियोजना के तहत काम किया गया है. इन जिलों में एप का ट्रायल किया जा चुका है. अगले चरण में अन्य जिलों में भी इस एप की सेवाएं मिलेंगी. संस्थान भविष्य में इस एप का इस्तेमाल अन्य नस्लों के लिए भी कर सकता है. बता दें कि इस एप को गुगल पर निशुल्क डाउनलोड की जा सकती है. संस्थान के डेयरी विस्तार प्रभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने इस एप को तैयार किया (NDRI Climate Services App) है. टीम हेड डॉ. संजीत माइटी ने बताया कि एक वर्ष की मेहनत के बाद उनकी टीम ने ऐप तैयार किया है.

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज पूरे विश्व के लिए एक चुनौती है. इससे जानवरों को खासकर पशुपालकों को काफी नुकसान होता है. अगर उन्हें सही दिशा निर्देश दिए जाएं तो वह जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से काफी हद तक निजात पा सकते हैं. इसी उद्देश्य को लेकर ऐप तैयार किया गया है. इसका नाम एनडीआरआई जलवायु सेवाएं हैं और यह गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क उपलब्ध है.

किसानों ने इस ऐप को लाभकारी बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक तकनीक की वजह से उन्हें अपने पशुओं की देखभाल में मदद मिलेगी और वह वैज्ञानिकों से पशुओं की समस्याओं के जवाब पा सकेंगे. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई बार उनके जानवरों में दूध की कमी आ जाती है जिसका समाधान इस ऐप से उपलब्ध हो (Murrah buffalo demand) सकेगा.

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