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पंचतत्व में विलीन हुआ महाराष्ट्र में शहीद हरियाणा का लाल, नम आंखों से दी विदाई - कर्ण सिंह पंचतत्व में विलीन

महेन्दगढ़ के सुंदरह गांव के रहने वाले जवान कर्ण सिंह का आज राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया (Martyr Karn Singh Funeral In Mahendragarh) गया. आसपास के गांवों से सैंकड़ों की संख्या में गणमान्य लोगों ने पहुंचकर अपने लाडले को नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

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Published : Sep 25, 2022, 10:16 PM IST

महेंद्रगढ़: महाराष्ट्र के बेलगाम में शहीद हुए कर्ण सिंह पंचतत्व में विलीन हो (Martyr Karn Singh Funeral In Mahendragarh) गए. शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सैलाब उमड़ा. सभी ने जवान को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी. इससे पहले रविवार सुबह शहीद कर्ण सिंह का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा. गांव के लोग बाइकों पर सवार होकर अपने हाथों में तिरंगा लेकर कर्ण सिंह अमर रहे के नारों के साथ सेना के वाहन को उनके घर तक लेकर आए. इसके बाद सेना के जवानों द्वारा सलामी देते हुए राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

साल 2017 में आर्मी में भर्ती हुआ था जवान- पार्थिव शरीर को लेकर आए सेना के अधिकारी ने बताया कि कर्ण सिंह रानीखेत कुमाऊं रेजिमेंट (Karn Singh Ranikhet Kumaon Regiment) में 21 मार्च 2017 को भर्ती हुआ था. कर्ण सिंह की शादी 25 नवंबर 2020 को हुई थी. वह वर्तमान में तैराकी में कमांडो कोर्स बेलगांव महाराष्ट्र में तैनात थे. वहां तैराकी के दौरान उनकी मौत हो गई.

कोई संतान नहीं थी- शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार शाम को हवाई माध्यम से दिल्ली लाया गया था. रात को सेना अस्पताल में रखकर रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सुंदरह में लाया गया. जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद कर्ण सिंह के कोई संतान नहीं थी. वह अपने पीछे माता-पिता और एक बहन को छोड़कर गए. शहीद कर्ण सिंह के कोई संतान नहीं थी.

बता दें कि शुक्रवार दोपहर 3 बजे परिवार को उनके शहीद होने की सूचना मिली थी. परिवार का 3 दिन से रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. गांव के लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं. उनके पिता खेती-बाड़ी का कार्य करते हैं. इस मौके पर क्षेत्र के गणमान्य लोग मौजूद थे.

महेंद्रगढ़: महाराष्ट्र के बेलगाम में शहीद हुए कर्ण सिंह पंचतत्व में विलीन हो (Martyr Karn Singh Funeral In Mahendragarh) गए. शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सैलाब उमड़ा. सभी ने जवान को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी. इससे पहले रविवार सुबह शहीद कर्ण सिंह का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा. गांव के लोग बाइकों पर सवार होकर अपने हाथों में तिरंगा लेकर कर्ण सिंह अमर रहे के नारों के साथ सेना के वाहन को उनके घर तक लेकर आए. इसके बाद सेना के जवानों द्वारा सलामी देते हुए राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

साल 2017 में आर्मी में भर्ती हुआ था जवान- पार्थिव शरीर को लेकर आए सेना के अधिकारी ने बताया कि कर्ण सिंह रानीखेत कुमाऊं रेजिमेंट (Karn Singh Ranikhet Kumaon Regiment) में 21 मार्च 2017 को भर्ती हुआ था. कर्ण सिंह की शादी 25 नवंबर 2020 को हुई थी. वह वर्तमान में तैराकी में कमांडो कोर्स बेलगांव महाराष्ट्र में तैनात थे. वहां तैराकी के दौरान उनकी मौत हो गई.

कोई संतान नहीं थी- शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार शाम को हवाई माध्यम से दिल्ली लाया गया था. रात को सेना अस्पताल में रखकर रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सुंदरह में लाया गया. जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद कर्ण सिंह के कोई संतान नहीं थी. वह अपने पीछे माता-पिता और एक बहन को छोड़कर गए. शहीद कर्ण सिंह के कोई संतान नहीं थी.

बता दें कि शुक्रवार दोपहर 3 बजे परिवार को उनके शहीद होने की सूचना मिली थी. परिवार का 3 दिन से रो-रो कर बुरा हाल हो गया है. गांव के लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं. उनके पिता खेती-बाड़ी का कार्य करते हैं. इस मौके पर क्षेत्र के गणमान्य लोग मौजूद थे.

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