करनाल: चावल निर्यात में भारत विश्व का एक बड़ा निर्यातक देश है. ऐसे में गेहूं निर्यात को लेकर भारत सरकार द्वारा किसानों के साथ मिलकर रोड मैप बनाया जा रहा (INDIA WILL EXPORT WHEAT TO FOREIGN) है. यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच इस वर्ष भारत में गेहूं निर्यात के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा दिए हैं. मार्च तक भारत ने विदेशों में अब तक 7:50 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया है. अभी 5 लाख मिलियन टन गेहूं और निर्यात किया जाना है. गेहूं निर्यात में अपार संभावनाओं को देखते हुए कृषि विभाग विभिन्न कृषि संस्थानों के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को गुणवत्ता स्टोरेज और निर्यात की बारीकियां बता रहे हैं.
राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान (National Wheat Research Institute) के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों को गेहूं निर्यात और हैंडलिंग की जानकारी समय- समय पर दी जाती है. उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात का रोडमैप तैयार करने के लिए और निर्यात की बारीकियां बताने के लिए किसानों के साथ विस्तृत चर्चा की जा रही है. किसान भी गेहूं निर्यात को लेकर खासे उत्साहित हैं. अगर हम क्वालिटी में सुधार कर लेते हैं तो देश का किसान गेहूं निर्यात कर खुशहाली की ओर बढ़ सकता है.
ज्ञानेंद्र प्रताप ने बताया कि आने वाले समय में भारत एक बड़े निर्यातक देश के रूप में उड़ेगा और इसकी शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा है कि इस वर्ष जिन देशों में गेहूं निर्यात की शुरुआत हुई है वह आगे भी जारी रहेगी. इस वर्ष मार्च तक देश ने 7.50 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया है और 5 मिलियन टन गेहूं का आर्डर अभी पेंडिंग (INDIA EXPORT RICE TO FOREIGN) है. भारत एक ऐसा देश है जो साल भर तक गेहूं का निर्यात कर सकता है. उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात में अभी तक ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, अमेरिका और कनाडा सहित कुछ देश हैं, जिन्हें भारत प्रतिस्पर्धा दे सकता है. भारत के पास 25 मिलियन टन अतिरिक्त गेहूं का भंडार है. विश्व व्यापार संगठन अगर इसे निर्यात की अनुमति दें तो हम काफी देशों तक पहुंच बना सकते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. एस सी दुबे ने कहा कि भारत में गेहूं के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं. भारत में गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है. भारत में गेहूं उत्पादन की लागत को देखते हुए अगर गेहूं का निर्यात करें तो निश्चित रूप से किसानों को काफी लाभ होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि अगर हमें निर्यात में आगे बढ़ना है तो किसानों को अपने उपभोक्ता देशों के हिसाब से गेहूं की गुणवत्ता को बनाकर रखना होगा. इसके लिए उन्हें तकनीकी सहायता हमारे विशेषज्ञ देंगे.
किसान उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर सरदार सिंह ने कहा कि भारत के किसान गेहूं निर्यात करने में सक्षम है बशर्ते उन्हें आवश्यक सुविधाएं और तकनीकी सहायता मुहैया करवाई जाए. उन्होंने कहा कि एसपीओ इसमें अहम भूमिका निभा सकता है. इनको इसके लिए जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. किसानों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. उन्होंने निर्यात को लेकर एक आवाहन किया है.
उन्होंने कहा कि किसान उनके मार्गदर्शन में गेहूं निर्यात करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि भारत का गेहूं खाने में बहुत बढ़िया होता है और उनमें पोषण भी काफी है. ऐसे में अगर किसान गेहूं निर्यात की तरफ बढ़ता है तो उन्हें काफी ज्यादा फायदा हो सकता है. किसानों ने कहा कि जिस प्रकार विज्ञानिक और सरकार निर्यात को प्रोत्साहन दे रहे हैं उसमें हम किसान भी पूरी मदद करने को तैयार हैं.