पानीपत: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बना वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) एक अक्तूबर से एनसीआर में Graded response action plan (GRAP) ग्रैप लागू कर चुका है. लेकिन इसके तहत अब तक काम ही शुरू नहीं हुआ. अक्तूबर और नवंबर में एक्यूआई बढ़ने का मुख्य कारण हवा का दबाव माना जाता है. दवाब के कारण धूल के कण और धुआं ऊपर नहीं उठ पाता है. इसलिए पीएम लेवल बढ़ता है. अब त्योहारी सीजन में शहर में जाम की समस्या बढ़ गई है. ये भी एक्यूआई बढ़ने का बड़ा कारण है.
दूसरी ओर पानीपत में जिन कोयला संचालित उद्योगों को प्रदूषण कंट्रोल आयोगन (सीएक्यूएम) ने बंद कर दिया था, उनमें से अधिकतर बायोमास पर चलने लगे हैं, लेकिन अब भी 30 प्रतिशत उद्योग कोयले पर चोरी छिपे चलाए जा चल रहे हैं. सीएक्यूएम ने एक अक्तूबर से ग्रेप तो लागू कर दिया पर इसके तहत कार्य अभी तक शुरू नहीं किया गया. प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण धूल और खेतो में परली जलाने के कारण होता है. पानीपत जिले में इंडस्ट्रियल एरिया की इन दिनों सड़कें काफी टूटी हुई है. जिन पर हमेशा धूल का गुबार उठता रहता है. नगर निगम द्वारा फायर ब्रिगेड विभाग की सहायता से इन सड़कों पर पानी का छिड़काव करना होता है परंतु अभी तक पानी छिड़कने का काम भी शुरु नहीं हुआ.
पानीपत जिले में कई जगह पराली जलाई जा रही है. विभाग इनको लेकर अपनी गंभीरता नहीं दिखा रहा है. दूसरी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि एक्यूआई बढ़ा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ कमलजीत सिंह का कहना है कि हम फैक्टरियों की जांच कर रहे हैं. अब तक कोयला संचालित कोई उद्योग चलता नहीं मिला है. ग्रैप के तहत जिन दूसरे विभागों को काम करना है, उनसे बात की जाएगी और ग्रैप के तहत कार्रवाई करेंगे.