करनाल: हरियाणा में गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले के लिए सरकार ने चिराग योजना (haryana Government Chirag scheme) शुरू की है. प्रदेश में पहले हरियाणा शिक्षा नियमावली की धारा 134a के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों का एडमिशन होता था. सरकार ने अब धारा 134 को खत्म कर दिया है. इस योजना की जगह अब चिराग योजना शुरू की गई है. जिसके तहत गरीब परिवार के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क दाखिला दिया जाएगा.
करनाल जिले के शिक्षा अधिकारी रामपाल चौधरी ने बताया कि हरियाणा सरकार शिक्षा को बेहतर करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही हैं. इसी उम्मीद से पहले हरियाणा में एक 134a के तहत गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिले दिये जाते थे. 134ए में दूसरी से बारहवीं तक के क्लास में गरीब परिवार के बच्चों को निशुल्क दाखिला दिया जाता था. इन बच्चों की फीस सरकार वहन करती थी. लेकिन इस साल नए सेशन में सरकार ने 134a के प्रावधान को खत्म कर दिया. इसकी जगह अब सरकार चिराग योजना लागू की है.
चिराग योजना का लाभार्थी कौन- चिराग योजना के तहत 1 लाख 80 हजार रुपये से कम सालाना आय वाले परिवार के बच्चे दूसरी से 12वीं तक की कक्षा में निशुल्क एडमिशन ले सकेंगे. ऐसे बच्चों के परिजन शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. यह रजिस्ट्रेशन 7 जुलाई तक किए जाएंगे. उसके बाद एक टेस्ट के आधार पर उनको स्कूल आवंटित किए जाएंगे. इनकी फीस सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों को दी जाएगी.
चिराग में दाखिले की प्रक्रिया- इसके लिए शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर 7 जुलाई तक आवेदन लिये जायेंगे. 11 जुलाई को निजी स्कूलों में इसका ड्रॉ निकाला जाएगा. 12 से 21 जुलाई तक दाखिला पाने वाले बच्चों के नाम नोटिस बोर्ड पर लगाये जायेंगे. उसके बाद 22 से 27 जुलाई तक प्रतीक्षा सूची के दाखिले होंगे. करनाल जिले के 25 स्कूलों ने अपने यहां पर दाखिला देने के लिए 1 हजार 678 सीटों की घोषणा की है. जिसमें करनाल में 10 स्कूल, नीलोखेड़ी में 7 स्कूल, असंध में 4 स्कूल, इंद्री में दो स्कूल और निसिग में दो स्कूल हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इस योजना के पात्र वही छात्र होंगे जिन्होंने पिछले शैक्षणिक वर्ष में सरकारी विद्यालय से परीक्षा पास की होगी. ड्रॉ में नाम आने के बाद पिछले सरकारी विद्यालय से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) लिया जाना अनिवार्य होगा. गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए ये योजना बेहतर मानी जा रही है. अच्छे स्कूलों में अच्छी शिक्षा लेकर गरीब बच्चे भी अपना भविष्य बेहतर कर सकेंगे.