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MSP HIKE: केंद्र सरकार ने बढ़ाया न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों ने किया स्वागत - KARNAL LATEST NEWS

केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को फसल वर्ष 2022-23 के लिए कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की (Central government increased MSP) है. जिसका किसानों ने स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने सरकार से किसानों को उनकी फसल का मंडियों में सही दाम मिले यह सुनिश्चित करने की भी अपील की है.

Central government increased MSP
केंद्र सरकार ने बढ़ाया न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों ने किया स्वागत
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Published : Jun 10, 2022, 5:26 PM IST

करनाल: केंद्र सरकार द्वारा किसानों को खुश करने के लिए बुधवार को फसल वर्ष 2022-23 के लिए कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की (Central government increased MSP) है. दरअसल पिछले काफी समय देश के किसान केंद्र सरकार से नाखुश चल रहे थे. ऐसे में केंद्र सरकार ने किसानों को रिझाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी में 4 से 9% फीस की तक की बढ़ोतरी की (Kharif Crops MSP Hike) है. धान की एमएसपी 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाई गई है. उड़द दाल की एमएसपी बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है जबकि पिछले वर्ष यह 6300 रुपये प्रति क्विंटल थी.

वर्ष 2022-23 के लिए धान और बाजरे के एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है, जबकि अरहर उड़द और मूंगफली के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. धान की सामान्य किस्मों का एमएसपी फसल पिछले वर्ष 1940 रुपये से बढ़ाकर 2040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 में देश के लिए सभी तयशुदा 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की मंजूरी दे दी है.

केंद्र सरकार ने बढ़ाया न्यूनतम समर्थन मूल्य

यह बढ़ोतरी एमएसपी में 92 रुपये से लेकर 523 रुपये तक प्रति क्विंटल की की गई है. वहीं सरकार का मानना है कि किसानों के उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा मिलेगा. वहीं सबसे कम 92 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मक्का में की गई है, जबकि सबसे ज्यादा तिल में 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. कपास की स्टेपल किस्म फसल की एमएसपी (Minimum Support Price) पिछले वर्ष 5726 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6080 रुपये कर दिया गया है, जबकि कपास की लंबी स्टेपल किस्म के लिए एमएसपी को 6025 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

दलहन में अरहर का एमएसपी पिछले बरस रेट 6300 रुपये से बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि मूंग का एमएसपी 7275 पैसे बढ़ाकर 7755 पर प्रति कुंटल कर दिया गया है. उड़द दाल का एमएसपी 6300 रुपये से बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. मूंगफली का समर्थन मूल्य पिछले वर्ष 5550 रुपए प्रति क्विंटल था जबकि है बढ़ाकर 5850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. मोटे अनाज में एमएसपी मक्के का पिछले वर्ष 1817 के प्रति क्विंटल था जो बढ़ाकर 1965 के प्रति कुंटल कर दिया गया है, जबकि रागी के लिए समर्थन मूल्य 3577 पैसे बढ़ाकर 3568 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

बाजरे का एमएसपी 2250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2350 रुपये कर दिया गया है. ज्वार संकर का एमएसपी 2738 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2970 के प्रति कुंटल कर दिया गया है जबकि ज्वार माल धानी के लिए समर्थन मूल्य 2758 रुपये से बढ़ाकर 2990 रुपये कर दिया है. वहीं केंद्र सरकार द्वारा की गई एमएसपी में बढ़ोतरी का प्रदेश के किसानों ने स्वागत किया (FARMERS REACTION ON MSP HIKE) है.

किसान गजे सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है हम उसकी सराहना करते हैं, लेकिन जब मंडियों में किसान अपनी फसल बेचने के लिए जाते हैं तो वहां पर उनको उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता और आधे भाव में फसल को बेच कर वह घाटे में चले जाते हैं. ऐसे में सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि एमएसपी मंडियों में जाकर किसानों को मिले.

किसान जगबीर और पवन कुमार ने कहा कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है. सरकार अब किसानों को खुश करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है, लेकिन धरातल पर अमल पर नहीं लाया जाता. जब किसान अपनी धान बेचने के लिए मंडी में जाते हैं तब उनको 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में अपनी फसल बेचने पड़ती है. उस समय सरकार और मंडी के अधिकारी कहते हैं कि आप की फसल में नमी है और अन्य बहाने बनाकर किसानों की फसल में से पैसे काट लेते हैं. ऐसे में सरकार को धरातल पर काम करने की आवश्यकता है ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके और कुछ मुनाफा हो सके.

सरकार के इस फैसले से जहां किसान खुश है तो वहीं उन्होंने सरकार से अपील भी की है कि सरकार सुनिश्चित करें कि जब मंडी में किसान अपनी फसल लेकर जाते हैं तब कोई भी बहाना ना लगाकर किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदी जाए अगर ऐसा होता है तो यह किसान हित में होगा. वरना पिछले काफी सालों से किसान आधे रेट में अपनी फसल बेचने को मजबूर होते आ रहे हैं जिसके चलते उन्हें हर बार घाटा होता है.

ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने गेहूं समेत छह रबी फसलों का एमएसपी बढ़ाया

करनाल: केंद्र सरकार द्वारा किसानों को खुश करने के लिए बुधवार को फसल वर्ष 2022-23 के लिए कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की (Central government increased MSP) है. दरअसल पिछले काफी समय देश के किसान केंद्र सरकार से नाखुश चल रहे थे. ऐसे में केंद्र सरकार ने किसानों को रिझाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी में 4 से 9% फीस की तक की बढ़ोतरी की (Kharif Crops MSP Hike) है. धान की एमएसपी 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाई गई है. उड़द दाल की एमएसपी बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है जबकि पिछले वर्ष यह 6300 रुपये प्रति क्विंटल थी.

वर्ष 2022-23 के लिए धान और बाजरे के एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है, जबकि अरहर उड़द और मूंगफली के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. धान की सामान्य किस्मों का एमएसपी फसल पिछले वर्ष 1940 रुपये से बढ़ाकर 2040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 में देश के लिए सभी तयशुदा 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की मंजूरी दे दी है.

केंद्र सरकार ने बढ़ाया न्यूनतम समर्थन मूल्य

यह बढ़ोतरी एमएसपी में 92 रुपये से लेकर 523 रुपये तक प्रति क्विंटल की की गई है. वहीं सरकार का मानना है कि किसानों के उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा मिलेगा. वहीं सबसे कम 92 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मक्का में की गई है, जबकि सबसे ज्यादा तिल में 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. कपास की स्टेपल किस्म फसल की एमएसपी (Minimum Support Price) पिछले वर्ष 5726 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6080 रुपये कर दिया गया है, जबकि कपास की लंबी स्टेपल किस्म के लिए एमएसपी को 6025 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

दलहन में अरहर का एमएसपी पिछले बरस रेट 6300 रुपये से बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि मूंग का एमएसपी 7275 पैसे बढ़ाकर 7755 पर प्रति कुंटल कर दिया गया है. उड़द दाल का एमएसपी 6300 रुपये से बढ़ाकर 6600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. मूंगफली का समर्थन मूल्य पिछले वर्ष 5550 रुपए प्रति क्विंटल था जबकि है बढ़ाकर 5850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. मोटे अनाज में एमएसपी मक्के का पिछले वर्ष 1817 के प्रति क्विंटल था जो बढ़ाकर 1965 के प्रति कुंटल कर दिया गया है, जबकि रागी के लिए समर्थन मूल्य 3577 पैसे बढ़ाकर 3568 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

बाजरे का एमएसपी 2250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2350 रुपये कर दिया गया है. ज्वार संकर का एमएसपी 2738 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2970 के प्रति कुंटल कर दिया गया है जबकि ज्वार माल धानी के लिए समर्थन मूल्य 2758 रुपये से बढ़ाकर 2990 रुपये कर दिया है. वहीं केंद्र सरकार द्वारा की गई एमएसपी में बढ़ोतरी का प्रदेश के किसानों ने स्वागत किया (FARMERS REACTION ON MSP HIKE) है.

किसान गजे सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है हम उसकी सराहना करते हैं, लेकिन जब मंडियों में किसान अपनी फसल बेचने के लिए जाते हैं तो वहां पर उनको उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता और आधे भाव में फसल को बेच कर वह घाटे में चले जाते हैं. ऐसे में सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि एमएसपी मंडियों में जाकर किसानों को मिले.

किसान जगबीर और पवन कुमार ने कहा कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है. सरकार अब किसानों को खुश करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है, लेकिन धरातल पर अमल पर नहीं लाया जाता. जब किसान अपनी धान बेचने के लिए मंडी में जाते हैं तब उनको 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में अपनी फसल बेचने पड़ती है. उस समय सरकार और मंडी के अधिकारी कहते हैं कि आप की फसल में नमी है और अन्य बहाने बनाकर किसानों की फसल में से पैसे काट लेते हैं. ऐसे में सरकार को धरातल पर काम करने की आवश्यकता है ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके और कुछ मुनाफा हो सके.

सरकार के इस फैसले से जहां किसान खुश है तो वहीं उन्होंने सरकार से अपील भी की है कि सरकार सुनिश्चित करें कि जब मंडी में किसान अपनी फसल लेकर जाते हैं तब कोई भी बहाना ना लगाकर किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदी जाए अगर ऐसा होता है तो यह किसान हित में होगा. वरना पिछले काफी सालों से किसान आधे रेट में अपनी फसल बेचने को मजबूर होते आ रहे हैं जिसके चलते उन्हें हर बार घाटा होता है.

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