करनाल: बिजना गांव की एक बुजुर्ग महिला मुनेश देवी की मौत को लेकर परिजनों ने कोरोना वैक्सीनेशन को कारण बताया है, और डॉक्टरों पर आरोप लगाए हैं. वहीं सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए सिरे से खारिज किया.
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी घरोंडा ने प्रारम्भिक जांच में पाया कि मुनेश देवी की आयु लगभग 66 वर्ष की थी. जिन्हें 17 मार्च को गांव बीजना में कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण किया गया था. उसी दिन मुनेश देवी को रात को बुखार हुआ जिसके लिए अगले दिन उप स्वास्थ्य केन्द्र की एएनएम द्वारा पेरासिटामाल की दवाई दी गई जिससे बुखार उतर गया.
शनिवार 20 मार्च को प्रात 5.30 बजे मुनेश देवी को चलने में दिक्कत हुई व बोलने में कठिनाई हो रही थी. मुनेश देवी को लकवे का दौरा हुआ जिसके इलाज की बजाय झाड़े के लिए परिवार वाले मुनेश देवी को सीता माई लेकर गये.
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उसके उपरान्त गांव बीजना में लेकर के आये. जहां पर एएनएम को बुलाने पर एएनएम तुरन्त उसके घर गई और पाया कि उसका रक्तचाप बहुत अत्याधिक था. जिसे देखते ही एएनएम व आशा मुनेश देवी को परिजनों के साथ जिला नागरिक अस्पताल में लेकर आई. जहां पर वह बेहोशी की हालत में पहुंची व डॉक्टर द्वारा जान बचाने की पूर्ण कोशिश की गई, लेकिन बचाया नहीं जा सका.
उन्होंने बताया कि लगभग 4 वर्ष पहले भी मुनेश देवी को लकवा का दौरा पड़ा था और अधिक रक्तचाप की बीमारी से वह ग्रसित थी. जिसके लिए वह सही रूप से दवाई नहीं ले रही थी. इन सब तथ्यों से प्रतीत होता है कि मुनेश देवी की मृत्यु कोविड-19 टीकाकरण से नहीं हुई है, लेकिन फिर भी परिजनों के आरोपों को देखते हुए मृतक के शरीर का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा जिससे मृत्यु के असली कारण का पता लगाया जा सके.
अब देखना होगा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में क्या कुछ निकल के सामने आता है. बहरहाल सिविल सर्जन ने अपील की है कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है और अभी तक जिला करनाल में इस टीकाकरण से कोई भी विपरीत परिणाम देखने को नहीं मिला है. सभी लोगों से अपील की जाती है कि टीकाकरण से संबंधी किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार में ना आये और टीकाकरण के पात्र अपना टीकाकरण जरूर करवाएं.
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