करनाल: सर्व कर्मचारी संघ से जुड़े तमाम विभागों के कर्मचारी सीएम सिटी करनाल में इकट्ठा हुए. काछवा पुल के नीचे सभा की गई. हालांकि कर्मचारियों का कार्यक्रम सीएम आवास का घेराव करना था, लेकिन ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी के आग्रह के बाद कर्मचारियों ने घेराव के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया. मौके पर ही ड्यूटी मजिस्ट्रेट को मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.
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ड्यूटी मजिस्ट्रेट और डीएसपी ने कोविड-19 के चलते कर्मचारियों से अपील की वो प्रदर्शन ना करें. उनकी बात सरकार तक पहुंचा दी जाएगी. इसके बाद कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त करनाल से मिला.
उपायुक्त ने कर्मचारी नेताओं को आश्वासन दिया कि जो कर्मचारी आंदोलनरत हैं उनकी मांगों का समाधान करवाने के लिए संबंधित अधिकारियों से बातचीत करवा दी जाएगी. इससे पहले करीब 2 घंटे सभा कर कर्मचारियों ने सरकार को कोसा.
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कर्मचारी नेताओं ने कहा कि हरियाणा सरकार तमाम विभागों में छंटनी करके रोजगार छीनने का काम कर रही है. कोई विभाग ऐसा नहीं बचा. जहां से कर्मचारी नौकरी से ना निकाला गया हो. ठेकेदार सरकार की नहीं सुनते. यहां तक कि मुख्यमंत्री के आदेशों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं. ठेकेदार बदलते ही कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी जाती है. करनाल नगर निगम और मार्केट कमेटी से निकाले गए कर्मचारी इसका ताजा उदाहरण है.
यह है मुख्य मांगे-
- तमाम विभागों में नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को वापस काम पर रखा जाए.
- ठेका प्रथा समाप्त की जाए.
- सभी कर्मचारियों को पैरोल रखा जाए.
- पुरानी पेंशन नीति लागू की जाए.
- डी ए व एलटीसी पर से रोक हटाई जाए.
- प्रीमेच्योर रिटायरमेंट के आदेश वापस लिए जाएं.
- प्रमोशन व एसीपी में टेस्ट की शर्त का प्रस्ताव रद्द किया जाए.
- 5000 रुपये जोखिम भत्ता दिया जाए.
- मॉडल संस्कृति स्कूल खोलने की बजाय कॉमन स्कूल सिस्टम को मजबूत किया जाए.
- श्रम कानूनों को श्रमिकों के हित में ध्यान रखकर बनाया जाए.
- मेडिकल क्लेम में आश्रितों की आय 10000 रुपये मासिक की जाए.
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कर्मचारी नेताओं ने कहा कि चुनाव के समय सरकार ने हर घर में रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन अब रोजगार छीनने की योजना पर सरकार काम कर रही है. इसलिए वो अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.