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मोबाइल फोन से पढ़ाई बनी बच्चों के लिए आफत, कमजोर हो रही आंखें

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Published : Apr 22, 2020, 12:24 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 2:38 PM IST

मोबाइल फोन से पढ़ने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है. लिहाजा जो बच्चे सारा दिन अपने अभिभावकों से फोन की मांग करते थे. अब वही बच्चे फोन से दूरी बनाने लगे हैं.

lockdown online study
ऑनलाइन पढ़ाई के बोझ तले घुट रहा मासूम बचपन

करनाल: देशव्यापी लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल बंद हैं. इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है. घर की चारदीवारी में बंद बच्चे अपने स्वाभाविक उछल कूद से दूर हैं. दूसरी ओर बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए घंटों मोबाइल स्क्रीन पर आंखें लगाए रहने को मजबूर हैं.

मोबाइल फोन से पढ़ाई के बोझ तले घुट रहा बचपन

प्राइवेट स्कूल पढ़ाई जारी रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा सामग्री व्हाट्सएप ग्रुप से बच्चों तक पहुंचा जा रहे हैं. व्यवस्थित प्रक्रिया के अभाव और शिक्षकों के बीच तालमेल ना होने के कारण अध्यापक महज खानापूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी एमबी की वीडियो अपलोड कर रहे हैं.

प्रत्येक अध्यापक द्वारा दो से तीन वीडियो डालने के कारण सभी विषयों के अलग-अलग 15 से 20 वीडियो प्रतिदिन विद्यार्थियों तक पहुंच रहे हैं. बच्चे लगातार कई-कई घंटे मोबाइल स्क्रीन पर काम करने में व्यस्त रहते हैं. जिससे उनकी आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है.

नए तरीके के पढ़ने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है. जो बच्चे सारा दिन अपने अभिभावकों से फोन की मांग करते थे. अब वही बच्चे फोन से दूरी बनाने लगे हैं. जिन परिवारों में बच्चों की संख्या के अनुरूप स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं हैं. वहां बच्चों की समुचित पढ़ाई करवाना बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है.

जानकारों के मुताबिक प्राइवेट स्कूल अगर इस समय का उपयोग बोझिल पाठ्यक्रम की पूर्ति करने की बजाय बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित करते और सुनियोजित तरीके से बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था करवा पाते तो ये बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए बेहतर साबित होता.

निश्चित ही ऐसी परिस्थितियां पहली बार उत्पन्न हुई हैं. इसका सामना करने के लिए बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों और अध्यापकों दोनों को बेहद धैर्य और समन्वय के साथ काम करना होगा. तभी हम अपने बच्चों के चेहरों पर मुस्कान वापस ला पाएंगे.

ये भी पढ़ें- गेहूं खरीद पर बोले दीपेंद्र हुड्डा- ये प्रयोग नहीं काम करने का समय

करनाल: देशव्यापी लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल बंद हैं. इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है. घर की चारदीवारी में बंद बच्चे अपने स्वाभाविक उछल कूद से दूर हैं. दूसरी ओर बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए घंटों मोबाइल स्क्रीन पर आंखें लगाए रहने को मजबूर हैं.

मोबाइल फोन से पढ़ाई के बोझ तले घुट रहा बचपन

प्राइवेट स्कूल पढ़ाई जारी रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा सामग्री व्हाट्सएप ग्रुप से बच्चों तक पहुंचा जा रहे हैं. व्यवस्थित प्रक्रिया के अभाव और शिक्षकों के बीच तालमेल ना होने के कारण अध्यापक महज खानापूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी एमबी की वीडियो अपलोड कर रहे हैं.

प्रत्येक अध्यापक द्वारा दो से तीन वीडियो डालने के कारण सभी विषयों के अलग-अलग 15 से 20 वीडियो प्रतिदिन विद्यार्थियों तक पहुंच रहे हैं. बच्चे लगातार कई-कई घंटे मोबाइल स्क्रीन पर काम करने में व्यस्त रहते हैं. जिससे उनकी आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है.

नए तरीके के पढ़ने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है. जो बच्चे सारा दिन अपने अभिभावकों से फोन की मांग करते थे. अब वही बच्चे फोन से दूरी बनाने लगे हैं. जिन परिवारों में बच्चों की संख्या के अनुरूप स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं हैं. वहां बच्चों की समुचित पढ़ाई करवाना बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है.

जानकारों के मुताबिक प्राइवेट स्कूल अगर इस समय का उपयोग बोझिल पाठ्यक्रम की पूर्ति करने की बजाय बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित करते और सुनियोजित तरीके से बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था करवा पाते तो ये बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए बेहतर साबित होता.

निश्चित ही ऐसी परिस्थितियां पहली बार उत्पन्न हुई हैं. इसका सामना करने के लिए बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों और अध्यापकों दोनों को बेहद धैर्य और समन्वय के साथ काम करना होगा. तभी हम अपने बच्चों के चेहरों पर मुस्कान वापस ला पाएंगे.

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Last Updated : Apr 22, 2020, 2:38 PM IST
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