जींद: सीटू और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने प्रदर्शन करने के बाद जींद के अतिरिक्त उपायुक्त सतेंद्र दुहन को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष कामरेड प्रकाश चन्द्र ने सरकार पर कई आरोप भी लगाए.
उन्होंने कहा कि आज मनरेगा मजदूरों को समय पर काम नहीं दिया जा रहा है और बहुत से ऐसे गांव हैं जिनमें यह योजना शुरू भी नहीं हुई है. आज हम इसी को लेकर अतिरिक्त उपायुक्त महोदय से मिले थे और उन्होंने जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है.
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जींद में मजदूरों के आवास के लिए करीब 6700 फॉर्म स्वीकृत किए गए थे लेकिन अभी तक उनको पैसे नहीं मिले. फॉर्म स्वीकृत हुए ढाई साल हो चुके हैं, लोगों के घर गिरने लगे हैं लेकिन अब अधिकारी कहते हैं कि केंद्र सरकार देगी, मोदी सरकार देगी. लेकिन गरीबों को कुछ नहीं मिल रहा.
ये हैं मजदूरों की मुख्य मांगें-
- साल में कम से कम 250 दिन का काम दिया जाए.
- प्रतिदिन 600 रु दिहाड़ी व उपभोक्ता सूचकांक के साथ जोड़ा जाए.
- कानून के अनुसार 15 दिन के भीतर पूरा भुगतान किया जाए.
- काम के स्थान पर दुर्घटना में मृत्यु पर 5 लाख मुआवजा दिया जाए.
- मनरेगा मजदूरों का श्रम कल्याण बोर्ड में पंजीकरण तथा कल्याण कोष का प्रावधान किया जाए.
- मनरेगा के काम मे मशीनरी व ठेकेदारों पर पूर्ण पाबंधी लगाई जाए.
- आवेदन का पंजीकरण, पावती 15 दिनों में काम अन्यथा बेरोजगारी भत्ता दिया जाए.
- मनरेगा मजदूरों को 58 साल की उम्र में 5000 रू बुढ़ापा पैंशन दी जाए.
- मनरेगा के कार्य स्थल पर सभी तरह की सुविधा क्रेच, चिकित्सा, छाया, पीने का पानी आदि का प्रबंध किया जाए.
- मनरेगा मजदूरों को मातृत्व व पितृत्व लाभ 31000 रू दिया जाए.
- भविष्य के कामों के आवंटन के निर्णय करने के लिए ग्राम सभाओं की नियमित बैठकें की जाएं.
- मेट को कुशल मजदूर की मजदूरी दी जाए व मेट की नियुक्ति मजदूरों के बीच से ही कि जाए.