ETV Bharat / city

हिसार: तीन अध्यादेशों के खिलाफ किसानों और व्यापारियों का प्रदर्शन - farmers protest hisar

हिसार में सोमवार को किसानों और व्यापारियों ने प्रदर्शन किया. क्रांतिमान पार्क में काफी संख्या में किसान और व्यापारी एकत्रित हुए और काले झंडे हाथों में लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

traders and farmers protest against government three agriculture ordinances in hisar
traders and farmers protest against government three agriculture ordinances in hisar
author img

By

Published : Jul 20, 2020, 8:55 PM IST

हिसार: केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ सोमवार को हिसार में किसानों और व्यापारियों ने प्रदर्शन किया. क्रांतिमान पार्क में काफी संख्या में किसान और व्यापारी एकत्रित हुए और काले झंडे हाथों में लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. जिसके बाद सब ट्रैक्टरों पर सवार होकर प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे और वहां मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा.

इस मौके पर हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग भी पहुंचे और किसानों को अपना समर्थन दिया. गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार किसानों और मंडियों को बर्बाद करने पर तुली हुई है. सरकार मंडियों को बंद करना चाहती है और मार्केट फीस के सिस्टम को भी खत्म करना चाहती है. इसी तरह सरकार जल्द ही किसानों को फसलों पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी खत्म कर देगी.

तीन अध्यादेशों के खिलाफ किसानों और व्यापारियों का प्रदर्शन, देखें वीडियो

किसान नेता सतबीर सिंह पूनिया ने कहा कि ये किसानों के अस्तित्व की लड़ाई है. सरकार को किसान विरोधी अध्यादेशों को तुरंत वापस लेने चाहिए.

इन अध्यादेशों के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन

  1. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव
  2. फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस
  3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

1. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव

पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाजारी करते थे, उसको रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी. अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है.

किसान और किसान संगठनों का मानना है कि सरकार की इस नीति से किसानों को नुकसान होगा. किसानों का कहना है कि हमारे देश में 85% लघु किसान हैं, किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानी यह अध्यादेश बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाजारी के लिए लाया गया है. कम्पनियां और सुपर मार्केट अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे और बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे.

2. फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस

कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था (APMC सहित) को बेचने की इजाजत देता है. किसान अपना प्रोडक्ट खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकते हैं. वहीं इसको लेकर किसानों को सबसे बड़ा डर मंडी एक्ट के प्रभाव को सीमित करने वाले अध्यादेश कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) को लेकर है. इसके जरिए राज्यों के मंडी एक्ट को केवल मंडी परिसर तक ही सीमित कर दिया गया है. यानी अब कहीं पर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकेगी. बस फर्क इतना होगा कि मंडी में खरीद-बिक्री पर मंडी शुल्क लगेगा, जबकि बाहर शुल्क से छूट होगी.

3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

सरकार प्रवक्ता का कहना है कि व्यावसायिक खेती के समझौते वक्त की जरूरत है. विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जो ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं, मगर पैदावार का जोखिम उठाते और घाटा सहते हैं. इस अध्यादेश से किसान अपना यह जोखिम कॉरपोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा कमा सकेंगे. वहीं किसानों कहा कहना है कि इसके जरिये कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को आगे बढ़ाया जाएगा. कंपनियां खेती करेंगी और किसान मजदूर बनकर रह जाएगा. उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी. हाल में सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन जारी की है. इसमें कॉन्ट्रैक्ट की भाषा से लेकर कीमत तय करने का फॉर्मूला तक दिया गया है. लेकिन कहीं भी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है, जिस पर किसान नेता सवाल उठा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन ने बढ़ाई डॉक्टरों की चिंता, रोहतक PGI ने की तैयारियां शुरू

हिसार: केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों के खिलाफ सोमवार को हिसार में किसानों और व्यापारियों ने प्रदर्शन किया. क्रांतिमान पार्क में काफी संख्या में किसान और व्यापारी एकत्रित हुए और काले झंडे हाथों में लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. जिसके बाद सब ट्रैक्टरों पर सवार होकर प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे और वहां मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा.

इस मौके पर हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग भी पहुंचे और किसानों को अपना समर्थन दिया. गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार किसानों और मंडियों को बर्बाद करने पर तुली हुई है. सरकार मंडियों को बंद करना चाहती है और मार्केट फीस के सिस्टम को भी खत्म करना चाहती है. इसी तरह सरकार जल्द ही किसानों को फसलों पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी खत्म कर देगी.

तीन अध्यादेशों के खिलाफ किसानों और व्यापारियों का प्रदर्शन, देखें वीडियो

किसान नेता सतबीर सिंह पूनिया ने कहा कि ये किसानों के अस्तित्व की लड़ाई है. सरकार को किसान विरोधी अध्यादेशों को तुरंत वापस लेने चाहिए.

इन अध्यादेशों के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन

  1. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव
  2. फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस
  3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

1. एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव

पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाजारी करते थे, उसको रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी. अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है.

किसान और किसान संगठनों का मानना है कि सरकार की इस नीति से किसानों को नुकसान होगा. किसानों का कहना है कि हमारे देश में 85% लघु किसान हैं, किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण की व्यवस्था नहीं होती है यानी यह अध्यादेश बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाजारी के लिए लाया गया है. कम्पनियां और सुपर मार्केट अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भंडारण करेंगे और बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे.

2. फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस

कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था (APMC सहित) को बेचने की इजाजत देता है. किसान अपना प्रोडक्ट खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकते हैं. वहीं इसको लेकर किसानों को सबसे बड़ा डर मंडी एक्ट के प्रभाव को सीमित करने वाले अध्यादेश कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) को लेकर है. इसके जरिए राज्यों के मंडी एक्ट को केवल मंडी परिसर तक ही सीमित कर दिया गया है. यानी अब कहीं पर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकेगी. बस फर्क इतना होगा कि मंडी में खरीद-बिक्री पर मंडी शुल्क लगेगा, जबकि बाहर शुल्क से छूट होगी.

3. फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

सरकार प्रवक्ता का कहना है कि व्यावसायिक खेती के समझौते वक्त की जरूरत है. विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जो ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं, मगर पैदावार का जोखिम उठाते और घाटा सहते हैं. इस अध्यादेश से किसान अपना यह जोखिम कॉरपोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा कमा सकेंगे. वहीं किसानों कहा कहना है कि इसके जरिये कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को आगे बढ़ाया जाएगा. कंपनियां खेती करेंगी और किसान मजदूर बनकर रह जाएगा. उसकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी. हाल में सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन जारी की है. इसमें कॉन्ट्रैक्ट की भाषा से लेकर कीमत तय करने का फॉर्मूला तक दिया गया है. लेकिन कहीं भी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है, जिस पर किसान नेता सवाल उठा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन ने बढ़ाई डॉक्टरों की चिंता, रोहतक PGI ने की तैयारियां शुरू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.