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हिसार कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं का ऐसा बीज तैयार किया है जिससे बढ़ जाएगी पैदावार

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Published : Jan 6, 2021, 3:56 PM IST

गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. हिसार में स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं की एक नई किस्म जिससे 91 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार हो सकती है. इस रिपोर्ट में आपको बता रहे हैं इस नई किस्म के बारे में.

new varieties of wheat haryana
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हिसार: हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के 20 वैज्ञानिकों की टीम ने 15 साल तक बेजोड़ मेहनत करके गेहूं की डब्ल्यूएच-1270 किस्म ईजाद की है. गेहूं की इस नई किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए अनुमोदित किया गया है.

इस डब्ल्यूएच-1270 किस्म को विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस किस्म को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं सहयोग विभाग की ‘फसल मानक, अधिसूचना एवं अनुमोदन केंद्रीय उप-समिति’ द्वारा नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित बैठक में अधिसूचित व जारी कर दिया गया है.

गेहूं की इस किस्म से होगी बंपर पैदावार, देखिए ये रिपोर्ट

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए की गई है विकसित

गेहूं की डब्ल्यूएच-1270 उन्नत किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए अनुमोदित किया गया है. इन क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर क्षेत्र को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी क्षेत्र को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कठुआ व जम्मू जिले, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला व पौंटा घाटी और उत्तराखंड का तराई क्षेत्र प्रमुख रूप से शामिल हैं.

सिफारिश अनुसार बिजाई करने पर मिलती है अधिक पैदावार: डॉ. विक्रम

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम ने बताया कि गेहूं की इस किस्म को अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है. अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है.

उन्होंने बताया कि इस किस्म में विश्वविद्यालय द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसतन पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है. रबी के मौसम के लिए सिफारिश की गई इस किस्म का बीज अगले वर्ष किसानों के लिए उपलब्ध होगा.

डब्ल्यूएच-1270 किस्म के खासियतें

  • अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहेगी
  • ये खाने में भी स्वादिष्ट होगी, और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार बनेगी
  • गेहूं की इस किस्म को अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया
  • अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है
  • गेहूं की मुख्य बीमारियां पीला रत्तवा और भूरा रत्तवा के प्रति रोगरोधी है
  • गेहूं के प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित मुख्य बीमारियां जैसे पत्ता अंगमारी, सफेद चुर्णी व पत्तियों की कांग्यिारी के प्रति भी रोगरोधी है
  • 156 दिन में पककर तैयार हो जाती है
  • इसकी औसत ऊंचाई भी 100 सेंटीमीटर तक होती है, जिसके कारण ये खेत में गिरती नहीं
  • इस किस्म में प्रोटीन भी अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है

बता दें कि, हरियाणा देश के गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में शामिल है. यहां देश का 13.20 फीसदी के करीब गेहूं पैदा होता है. छोटा प्रदेश होने के बावजूद प्रति हेक्टेयर सबसे ज्यादा पैदावार के मामले में हरियाणा पहले नंबर पर है.

ये वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का कुल भण्डारण का 16 प्रतिशत हिस्सा है, और अब गेहूं की इस नई किस्म को ईजाद करके कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जहां प्रदेश का मान बढ़ाया है तो वहीं किसानों को आमदनी बढ़ाने का एक और जरिया दिया है.

ये भी पढ़ें- करनाल में उज्ज्वला योजना ने बदली महिलाओं की दशा, पीएम मोदी का जताया आभार

हिसार: हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के 20 वैज्ञानिकों की टीम ने 15 साल तक बेजोड़ मेहनत करके गेहूं की डब्ल्यूएच-1270 किस्म ईजाद की है. गेहूं की इस नई किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए अनुमोदित किया गया है.

इस डब्ल्यूएच-1270 किस्म को विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस किस्म को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं सहयोग विभाग की ‘फसल मानक, अधिसूचना एवं अनुमोदन केंद्रीय उप-समिति’ द्वारा नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित बैठक में अधिसूचित व जारी कर दिया गया है.

गेहूं की इस किस्म से होगी बंपर पैदावार, देखिए ये रिपोर्ट

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए की गई है विकसित

गेहूं की डब्ल्यूएच-1270 उन्नत किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए अनुमोदित किया गया है. इन क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर क्षेत्र को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी क्षेत्र को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के कठुआ व जम्मू जिले, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला व पौंटा घाटी और उत्तराखंड का तराई क्षेत्र प्रमुख रूप से शामिल हैं.

सिफारिश अनुसार बिजाई करने पर मिलती है अधिक पैदावार: डॉ. विक्रम

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम ने बताया कि गेहूं की इस किस्म को अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है. अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है.

उन्होंने बताया कि इस किस्म में विश्वविद्यालय द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसतन पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है. रबी के मौसम के लिए सिफारिश की गई इस किस्म का बीज अगले वर्ष किसानों के लिए उपलब्ध होगा.

डब्ल्यूएच-1270 किस्म के खासियतें

  • अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहेगी
  • ये खाने में भी स्वादिष्ट होगी, और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार बनेगी
  • गेहूं की इस किस्म को अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया
  • अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है
  • गेहूं की मुख्य बीमारियां पीला रत्तवा और भूरा रत्तवा के प्रति रोगरोधी है
  • गेहूं के प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित मुख्य बीमारियां जैसे पत्ता अंगमारी, सफेद चुर्णी व पत्तियों की कांग्यिारी के प्रति भी रोगरोधी है
  • 156 दिन में पककर तैयार हो जाती है
  • इसकी औसत ऊंचाई भी 100 सेंटीमीटर तक होती है, जिसके कारण ये खेत में गिरती नहीं
  • इस किस्म में प्रोटीन भी अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है

बता दें कि, हरियाणा देश के गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों में शामिल है. यहां देश का 13.20 फीसदी के करीब गेहूं पैदा होता है. छोटा प्रदेश होने के बावजूद प्रति हेक्टेयर सबसे ज्यादा पैदावार के मामले में हरियाणा पहले नंबर पर है.

ये वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का कुल भण्डारण का 16 प्रतिशत हिस्सा है, और अब गेहूं की इस नई किस्म को ईजाद करके कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जहां प्रदेश का मान बढ़ाया है तो वहीं किसानों को आमदनी बढ़ाने का एक और जरिया दिया है.

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