हिसार: प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में किसान भी फसलों की बिजाई के लिए तैयार हैं. बाजरा हरियाणा समेत पूरे भारत में गेहूं, धान, मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली मुख्य फसल खाद्यान्न है. मानसून के साथ बाजरे की बिजाई का समय भी आ गया है. किसान बाजरे की बिजाई को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं. जैसे ही बारिश होगी, किसान बाजरे की बिजाई शुरू कर देंगे, लेकिन किसानों को कुछ जरूरी बातों पर जरूर गौर करना चाहिए.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरेंदर कुमार का किसानों से कहना है कि वे अपने साधन और बीज आदि का प्रबंध कर लें. बाजरे की अच्छी पैदावार के लिए किसान संकर बाजरे का हर साल नया बीज लेकर ही बोएं. उन्होंने बताया कि बाजरे की फसल सितंबर के अंत या अक्टूबर में पककर तैयार हो जाती है.
यूनिवर्सिटी द्वारा स्वीकृत बाजरे की किस्में
डॉ. सुरेंदर कुमार ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने बाजरे की दो नई बायोफोर्टीफाइड किस्मों को स्वीकृत किया है. ये किस्में जोगिया रोगरोधी हैं. उन्होंने बताया कि इन किस्मों के अलावा बाजरे की मुख्य किस्मों में एचएचबी-223, एचएचबी 197, एचएचबी-67 (संशोधित), एच एच बी 226, एचएचबी 234 और एचएचबी 272 शामिल हैं.
बाजरे के बीज की किस्म | अनाज की मात्रा प्रति एकड़ | चारे की मात्रा प्रति एकड़ | पकने का समय | खासियत |
एचएचबी 299(ए) संकर बाजरा किस्म | 15.8 क्विंटल | 40-42 क्विंटल | 80-82 दिन | आयरन और जिंक अधिक होता है जोगिया रोग का खतरा भी नहीं रहता. |
एचएचबी 311 संकर बाजरा किस्म | 15 क्विंटल | 35.2 क्विटल | 75-80 | आयरन अधिक होता है और जोगिया रोग का खतरा भी नहीं रहता. |
ऐसे करें खेत तैयार
- बारिश वाले इलाकों में जुलाई के पहले पखवाड़े में करें बाजरे की बिजाई
- इसके अलावा 10 जून के बाद 50 से 60 मिलीमीटर वर्षा होने पर भी बिजाई की जा सकती है.
- किसान खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और बाद में एक या दो जुताई देशी हल से करें.
- इसके बाद सुहागा (पटेला) लगाएं, जिससे कि जमीन में खरपतवार ना रहें.
- बारानी क्षेत्रों में वर्षा से पहले खेत के चारों तरफ मजबूत मेढ़ बनाएं.
- तेज धूप निकलने पर खेत में बारिश का पानी ना रुकने दें.
ऐसे करें बिजाई
- किसान बाजरे का प्रति एकड़ 1.5 से 2 किलोग्राम बीज बोएं ताकि 60-65 हजार पौधे प्रति एकड़ उपजें.
- किसान बिजाई पंक्तियों में करें.
- पंक्तियों के बीच का फासला 45 सेंटीमीटर रखें.
- बीज 2.0 सेंटीमीटर से ज्यादा गहराई में ना पड़े.
- पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर रखें.
किसान बीज का उपचार करें
डाऊनी मिल्ड्यू (जोगिया या हरी बालों वाला रोग) की शुरुआती रोकथाम के लिए बीज को 6 ग्राम मेटालेक्सिल 35 प्रतिशत प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें. बाजरे में सिफारिश की गई खादों के साथ-साथ बायोमिक्स (एजोटोबैक्टऱ, एजोस्पाइरिलियम़, पी.एस.बी.) का प्रयोग करने से पैदावार में वृद्धि होती है. प्रति एकड़ बीज को 100 मिलीमीटर बायोमिक्स से उपचारित करें. बिजाई के दो से तीन सप्ताह बाद ज्यादा पौधों का विरलन करना और जहां कम पौधे हों वहां पर खाली जगह को भरना चाहिए. वर्षा वाले दिन ये काम अति उचित है. (विरल मतलब जहां कम पौधें हों वहां पौधे लगाना और जहां ज्यादा हों वहां से कम करना)
निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
फसल में खाद मिट्टी परीक्षण के आधार पर दें. बिजाई के समय आधी नाइट्रोजन और फास्फोरस (16 किलोग्राम, नाइट्रोजन 8 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति एकड़ बारानी क्षेत्रों में और 62.5 किग्रा नाइट्रोजन और 25 किग्रा फास्फोरस प्रति एकड़ सिंचित क्षेत्रों में) और शेष नाइट्रोजन की मात्रा सिंचित अवस्था में दो भागों में तीन और पांच सप्ताह बाद प्रयोग करें. आधी मात्रा बिजाई के 20 से 30 दिन के बाद किसी दिन बारिश होने के बाद डालें. बिजाई के तुरंत बाद 400 ग्राम एट्राजीन प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. यदि बिजाई के तुरंत बाद का प्रयोग न कर सकें, तो बिजाई के बाद 10 से 15 दिन तक भी उतनी ही मात्रा प्रयोग कर सकते हैं. बारिश ना होने पर पर फुटाव, फूल आना और दानों की दूधिया अवस्था पर सिंचाई अवश्य करें. साथ ही ज्यादा खरपतवार होने पर निराई-गुड़ाई करें.
बाजरे में पाये जाने वाले मुख्य तत्व
बाजरें में मुख्यत: 12.8 प्रतिशत प्रोटीन, 4.8 ग्राम वसा, 2.3 ग्राम रेशे, 67 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और खनिज तत्त्व जैसे कैल्शियम (16 मिली ग्राम), लौह (6 मिली ग्राम), मैग्नीशियम (228 मिली ग्राम), फॉस्फोरस (570 मिली ग्राम), सोडियम (10 मिली ग्राम), जिंक (3.4 मिली ग्राम), पोटेशियम (390 मिली ग्राम), कॉपर(1.5 मिली ग्राम), पाया जाता है. इसमें गेहूं और चावल से अधिक आवश्यक एमिनो एसिड पाए जाते हैं. बाजरे के दानों का सेवन सुजन रोधी, उच्चरक्तचाप रोधी और कैंसर रोधी होता है.
बाजरा खाने के लाभ
इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट यौगिक हृदयाघात के जोखिम और आंत की सूजन को कम करने में मदद करते है. बाजरा में उपयुक्त वर्णित खाद्यान फसलों के मुकाबले सुखा, निम्न उपजाऊ क्षमता, उच्च लवण उक्त भूमि एवं उच्च तापमान के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है. अत: इस फसल का उत्पादन ऐसी भूमि में भी किया जा सकता है. जहां पर अन्य फसल लेना संभव न हो.
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इसके दानो में ग्लूटेन लगभग न के बराबर होता है, जबकि गेहूं में ये मुख्य प्रोटीन होता है. जो की सिलिअक, असहिष्णुता, स्व-प्रतिरक्षित रोग, एथेरोस्क्लेरोसिस, एलर्जी और आंतों की बिमारी का मुख्य कारण है. बीमारी वाले लोगों को डॉक्टर्स की ओर से बाजरा खाने की सलाह दी जाती है. बाजरे का सेवन टाइप-2 डायबिटीज को रोकने में सहायक है. इसकी इन्ही विशेषताओं के कारण इसे ‘नुट्री सीरियल‘ नाम दिया गया है.