हिसार: विश्व में टीबी के खात्मे के लिए पहली बार अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने हाथ मिलाया है. भारत में पहली बार टीबी की जांच के लिए हरियाणा के हिसार टीबी अस्पताल (hisar tb hospital) में विदेशी एजेंसी इनफेक्शियस डिजीज डिटेक्शन एंड सर्विलांस (आईडीडीएस), यूएस-ऐड और आईक्यू ने टीबी नियंत्रण के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य यह है कि मरीज की पहचान जल्दी होगी और उसका उपचार जल्दी शुरू हो जायेगा.
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर राजेश राजू ने बताया कि प्रोजेक्ट के माध्यम से टीबी का जो टेस्ट होगा उसकी रिपोर्ट एक दिन में ही मिल जाएगी. इससे पहले यह रिपोर्ट आने में चार से पांच दिन लग जाते थे. विदेश की आईडीडीएस एजेंसी इस प्रोजेक्ट को चला रही और विदेश की एक संस्था यूएस एड इसके लिए बजट दे रही है. हिसार में करीब नौ महीने तक यह पायलट प्रोजेक्ट चलेगा. दो संस्थाएं तीन और छह महीने में सर्वे करेगी. इसके बाद रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी. अगर रिपोर्ट सकारात्मक आती है तो इस प्रोजेक्ट को पूरे देश में शुरू किया जाएगा.
गौरतलब है कि इसको आईडीडीएस एजेंसी ने थायरोकेयर टेक्नॉलोजीज लिमिटेड (Thyrocare Technologies Limited) से करार किया है। यह लैब एक दिन में ही रिपोर्ट सौंप देगी. पहले यह रिपोर्ट मिलने में चार से पांच दिन लगते थे. इसके अलावा अन्य टेस्ट भी होंगे. जिसमें पता चलेगा इस मरीज पर कौन सी दवा असर करेगी. उसकी पूरी रिपोर्ट चार से पांच दिन में आ जाएगी. पहले यह रिपोर्ट आने में पांच से छह महीने लग जाते थे. इसके लिए हिसार में सरकारी और निजी अस्पतालों में करीब 90 बलगम सैंपल कलेक्शन सेंटर बनाए जा रहे हैं.
टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 2025 तक लक्ष्य रखा गया है. इसी कड़ी में हिसार स्वास्थ्य विभाग को बेहद बड़ा मौका मिला है. हिसार में करीब 5500 टीबी के मरीज हैं. इनमें 70 के करीब ऐसे हैं जिन पर कोई दवाई असर नहीं करती है. अब इन मरीजों के लिए सरकारी और निजी डॉक्टर मिलकर काम करेंगे और टेस्ट की रिपोर्ट आने में जो पहले समय लगता था अब वह नहीं लगेगा. डॉ. रत्ना भारती, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, हिसार
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट के तहत अब टीबी के मरीज को बार-बार सैंपल देने जाने की जरूरत नहीं होगी. सैंपल देने के बाद एक दिन में ही उसकी सीबी नाईट रिपोर्ट आ जायेगी. जिससे पता चल जायेगा कि वह टीबी से संक्रमित है या नहीं. अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो तुरंत उसका इलाज शुरू किया जाएगा. और 2 दिन बाद फर्स्ट लाइन एनपीए रिपोर्ट और 7 दिन बाद एक्स्ट्रीम ड्रग रेसिस्टेंट का पता चल जायेगा. मरीज के एक बार दिए गए सैंपल से ही यह सारी रिपोर्ट तैयार की जाएंगीं. इससे ज्यादा से ज्यादा मरीज डायग्नोस होंगे और टीबी के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा.