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हिसार कृषि विश्वविद्यालय में नई तकनीक से तैयार होंगे बीज, वो भी कम समय और कम लागत में - Hisar Agricultural University Seed Machine

हिसार कृषि विश्वविद्यालय में अब जल्द और गुणवत्ता वाले बीज तैयार किये जाएंगे वो भी कम लागत में, इसके लिए विश्वविद्यालय में एक मशीन लगाई गई है.

Hisar Agricultural University
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Published : Dec 9, 2020, 8:21 PM IST

हिसार: अब विश्वविद्यालय में विभिन्न फसलों के गुणवत्तापूर्वक बीज और अधिक मात्रा में तैयार किए जा सकेंगे. इससे विश्वविद्यालय द्वारा बीज तैयार करने के लिए ऊर्जा और लेबर पर होने वाला खर्च भी कम होगा. क्योंकि हिसार कृषि विश्वविद्यालय में स्थित रामधन सिंह बीज फार्म पर स्वचालित नए बीज प्रसंस्करण संयत्र का कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने उद्घाटन किया.

अपने संबोधन के दौरान कुलपति ने आह्वान किया कि वे फसल उत्पादन पर आने वाले खर्च को कम करने के लिए फार्म पर नये फसल उपकरण स्थापित करें. इससे कृषि के कार्य आसानी से हो सकेंगे और लेबर ना मिलने या महंगी होने पर मशीनों द्वारा कृषि क्रियाएं जल्दी पूरी की जा सकेंगी. प्रोफेसर समर सिंह ने फार्म की प्रति ईकाई उत्पादनशीलता को बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाने पर बल दिया. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी रैंकिंग में सभी राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की श्रेणी में विश्वविद्यालय द्वारा तीसरा स्थान हासिल करने पर सभी वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी.

अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने बताया कि रामधन सिंह बीज फार्म को बीज उत्पादन करते हुए 20 वर्ष हो गए हैं और पिछले कई वर्षों से नए बीज प्रसंस्करण संयंत्र लगवाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे. कुलपति ने इस ओर तुरंत संज्ञान लेते हुए नए बीज प्रसंस्करण संयंत्र को लगवाने के लिए वित्तीय व्यवस्था करवाकर इसे स्थापित करवाया है. इससे किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन को गति मिलेगी.

बीज प्रसंस्करण संयंत्र कैसे काम करता है ?

रामधन सिंह बीज फार्म के निदेशक डॉ. राम निवास ने बताया कि यह संयंत्र बीज प्रसंस्करण की नवीनतम तकनीक पर आधारित है तथा इसकी बीज प्रसंस्करण की क्षमता 30 क्विंटल प्रति घंटा है. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा करीब 57 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी. ये बीज प्रसंस्करण स्वचालित है. यह सयंत्र बीज प्रसंस्करण प्रीक्लीनर, ग्रेडर, इनडैंट सिलैण्डर, ग्रेविटी सेपरेटर, एलीवेटर और बीज उपचारक जैसी नवीनतम मशीनों से लैस है और एकल समन्वित प्रणाली पर आधारित है. इससे बीज प्रसंस्करण में बीज की गुणवत्ता बढ़ती है और बिजली पर आने वाला खर्च कम होता है.

ये भी पढ़ेंः किसानों ने ठुकराया सरकार का संशोधन प्रस्ताव, आंदोलन तेज करने की बनाई नई रणनीति

हिसार: अब विश्वविद्यालय में विभिन्न फसलों के गुणवत्तापूर्वक बीज और अधिक मात्रा में तैयार किए जा सकेंगे. इससे विश्वविद्यालय द्वारा बीज तैयार करने के लिए ऊर्जा और लेबर पर होने वाला खर्च भी कम होगा. क्योंकि हिसार कृषि विश्वविद्यालय में स्थित रामधन सिंह बीज फार्म पर स्वचालित नए बीज प्रसंस्करण संयत्र का कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने उद्घाटन किया.

अपने संबोधन के दौरान कुलपति ने आह्वान किया कि वे फसल उत्पादन पर आने वाले खर्च को कम करने के लिए फार्म पर नये फसल उपकरण स्थापित करें. इससे कृषि के कार्य आसानी से हो सकेंगे और लेबर ना मिलने या महंगी होने पर मशीनों द्वारा कृषि क्रियाएं जल्दी पूरी की जा सकेंगी. प्रोफेसर समर सिंह ने फार्म की प्रति ईकाई उत्पादनशीलता को बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाने पर बल दिया. उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी रैंकिंग में सभी राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की श्रेणी में विश्वविद्यालय द्वारा तीसरा स्थान हासिल करने पर सभी वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी.

अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने बताया कि रामधन सिंह बीज फार्म को बीज उत्पादन करते हुए 20 वर्ष हो गए हैं और पिछले कई वर्षों से नए बीज प्रसंस्करण संयंत्र लगवाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे. कुलपति ने इस ओर तुरंत संज्ञान लेते हुए नए बीज प्रसंस्करण संयंत्र को लगवाने के लिए वित्तीय व्यवस्था करवाकर इसे स्थापित करवाया है. इससे किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन को गति मिलेगी.

बीज प्रसंस्करण संयंत्र कैसे काम करता है ?

रामधन सिंह बीज फार्म के निदेशक डॉ. राम निवास ने बताया कि यह संयंत्र बीज प्रसंस्करण की नवीनतम तकनीक पर आधारित है तथा इसकी बीज प्रसंस्करण की क्षमता 30 क्विंटल प्रति घंटा है. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा करीब 57 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी. ये बीज प्रसंस्करण स्वचालित है. यह सयंत्र बीज प्रसंस्करण प्रीक्लीनर, ग्रेडर, इनडैंट सिलैण्डर, ग्रेविटी सेपरेटर, एलीवेटर और बीज उपचारक जैसी नवीनतम मशीनों से लैस है और एकल समन्वित प्रणाली पर आधारित है. इससे बीज प्रसंस्करण में बीज की गुणवत्ता बढ़ती है और बिजली पर आने वाला खर्च कम होता है.

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