हिसार: भारतीय चुनाव आयोग ने मंडी आदमपुर उपचुनाव की तारीख (Adampur by election date) का ऐलान कर दिया है. 3 नवंबर को आदमपुर में मतदान होगा और 6 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. आदमपुर उपचुनाव इस बार बेहद रोमांचक लग रहा है क्योंकि हरियाणा के बड़े राजनीतिक घराने भजनलाल परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कांग्रेस की सीट पर खुद विधायक रहे कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी ज्वाइन कर सीट छोड़ दी थी, जिसके बाद ये चुनाव हो रहा है.
माना जा रहा है कि इस बार कुलदीप बिश्नोई खुद चुनाव नहीं लड़कर अपने बेटे भव्य बिश्नोई को बीजेपी के टिकट पर आदमपुर से विधायक बनाना चाह रहे हैं. कुछ दिन पहले कुलदीप बिश्नोई ने बेटे भव्य बिश्नोई के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी मुलाकात की थी. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बार कुलदीप बिश्नोई के लिए आमदपुर की लड़ाई आसान नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंकने को तैयार है. तो वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार रहीं दिवंगत सोनाली फोगाट की बहन रूकेश भी मैदान में उतर सकती हैं. इसको देखते हुए इस बार कुलदीप बिश्नोई का मुकाबला कठिन दिखाई दे रहा है.
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आदमपुर में कांग्रेस उम्मीदवार कौन- कांग्रेस की सीट पर आदमपुर उपचुनाव लड़ने के लिए फिलहाल हरियाणा की राजनीति के कई बड़े चेहरे दौड़ में शामिल बताये जा रहे हैं. जिनमें से प्रमुख हैं पूर्व मंत्री संपत सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश. हालांकि जिस तरीके से चुनाव से पहले दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संपत सिंह को कांग्रेस ज्वाइन करवाई है और हिसार जिले के कांग्रेस के कार्यक्रमों का प्रभारी जेपी सिंह को बनाया गया है, वह एक बड़ा इशारा है कि इन दोनों में से कोई बड़ा नेता कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा सकता है. संपत सिंह और जयप्रकाश दोनों हरियाणा की राजनीतिक के पुराने नेता हैं. इन दोनों के मुकाबले में चुनाव लड़ना कुलदीप बिश्नोई के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा.
आदमपुर में AAP ने भी झोंकी ताकत- आम आदमी पार्टी भी इस उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ जुटी हुई है. चुनाव की घोषणा होने से पहले ही पार्टी के शीर्ष नेता और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवान मान, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व अन्य कई बड़े नेता अभी तक आदमपुर में चुनावी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. आम आदमी पार्टी पूरे जोर-शोर से शिक्षा के मुद्दे पर आदमपुर उपचुनाव लड़ने का दावा ठोंक रही है. हालांकि अभी तक आम आदमी पार्टी के टिकट के दावेदार हाल ही में आप में शामिल हुए सतेंद्र सिंह को माना जा रहा है. सत्येंद्र सिंह 2014 में कांग्रेस के टिकट पर आदमपुर का चुनाव लड़ चुके हैं. उस समय वह 10209 वोट लेकर तीसरे नंबर पर थे. इसके बाद वह बीजेपी में चले गए थे और अभी कुछ दिन पहले बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं.
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सोनाली फोगाट की बहन रूकेश कुलदीप के लिए मुश्किल- सोनाली फोगाट की बहन रुकेश भी आदमपुर से चुनाव लड़ सकती हैं. दिवंगत बीजेपी नेता सोनाली फोगाट के परिवार ने उनकी राजनीतिक विरासत उनकी बहन रुकेश पूनिया को सौंप दी है. ऐसे में रुकेश पूनिया ने भी आदमपुर उपचुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है. माना जा रहा है कि 23 अक्टूबर को आदमपुर में सोनाली फोगाट के समर्थकों की एक जनसभा बुलाई गई है, जिसमें चुनाव को लेकर अहम घोषणा की जाएगी. हलांकि अभी यह तय नहीं है कि रुकेश पुनिया किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी.
चुनाव की घोषणा हो गई है तो अब रूकेश 23 अक्टूबर की बजाय उससे पहले समर्थकों की बैठक बुलाकर फैसला ले सकती हैं. रुकेश पुनिया के चुनावी मैदान में उतरने से अब कुलदीप बिश्नोई के लिए चुनौतियां और भी बढ़ जाएंगी क्योंकि सोनाली फोगाट कई सालों से आदमपुर हलके में मेहनत कर रहीं थी. सोनाली फोगाट के अपने समर्थक भी हैं. सोनाली फोगाट का परिवार उनकी हत्या के लिए सीधे कुलदीप बिश्नोई पर भी उंगली उठा चुका है. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर सोनाली फोगाट ने 34 हजार 222 वोट हासिल किये थे. सोनाली 29471 वोटों से कुलदीप बिश्नोई से हार गई थी.
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1968 से आदमपुर सीट पर भजनलाल परिवार का कब्जा- कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पुराने राजनीतिक घराने के वारिस हैं. सियासत उन्हें विरासत में मिली है. कुलदीप बिश्नोई के ऊपर पिता की सियासी विरासत बचाने की जिम्मेदारी है. कुलदीप के पिता भजनलाल हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आदमपुर विधानसभा सीट पर 1968 से भजनलाल परिवार का कब्जा है. 2005 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के पिता भजन लाल की अगुवाई में कांग्रेस को 67 सीटें मिली. लेकिन कांग्रेस ने भजन लाल को मुख्यमंत्री नहीं बनाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम की कुर्सी सौंप दी. इसके बदले भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई को डिप्टी सीएम और कुलदीप बिश्नोई को केंद्र में मंत्री पद का प्रस्ताव दिया. भजन लाल नाराज तो हुए लेकिन उस वक्त वो इस प्रस्ताव पर मान गये. लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ बिश्नोई परिवार की तकरार यहां से शुरू हो गई थी.
भूपेंद्र हुड्डा से कुलदीप की पुरानी तकरार- 2007 में कुलदीप के पिता भजन लाल ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) नाम से अलग पार्टी बना ली. इसकी कमान संभाली कुलदीप बिश्नोई ने. 2007 में पार्टी बनाने के बाद 2009 में पहली बार भजन लाल और कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पार्टी हजकां के नाम पर चुनाव लड़ा. इस विधानसभा चुनाव में हजकां ने कुलदीप बिश्नोई समेत कुल 7 सीटें जीती थी. लेकिन कांग्रेस की सरकार बनते देख विधायक हजकां छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये. उस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन सभी विधायकों को बड़े पद दिए थे. इसके बाद कई साल तक मामला चला और बाद में उन विधायकों की सदस्यता खारिज कर दी गई.
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