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हिसार में खुलेगी गधी के दूध की डेयरी, एक लीटर की कीमत 7000 रु, जानें क्या होंगे फायदे - गधी का दूध

देश में पहली बार कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो आपको हैरानी में डाल देगा. जी हां, आज तक आपने केवल गाय या भैंस की डेयरी देखी होगी, लेकिन बहुत जल्द ही गधी के दूध की भी डेयरी खुलने वाली है. जहां एक लीटर की कीमत 7000 रु होगी. आपको बताते हैं गधी के दूध से होने वाले फायदों के बारे में.

donkey milk dairy hisar
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Published : Aug 23, 2020, 3:31 PM IST

हिसार: आपने गाय, भैंस, बकरी या ऊंट का दूध डेयरी में बिकते हुए देखा होगा, लेकिन देश में पहली बार अब गधी के दूध की भी डेयरी खुलने वाली है. सबसे अच्छी बात तो ये है कि गधी का दूध शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक करने में भी काफी अहम भूमिका निभाता है.

देश में पहली बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार में हलारी नस्ल की गधी के दूध की डेयरी शुरू होने जा रही है. इसके लिए एनआरसीई ने 10 हलारी नस्ल की गधियों को पहले ही मंगा लिया था जिनकी मौजूदा समय में ब्रीडिग की जा रही है.

हलारी नस्ल की विशेषता

गधी की ये नस्ल गुजरात में पाई जाती है. जिसका दूध दवाओं का खजाना माना जाता है. लाहारी नस्ल के गद्दे में कैंसर, मोटापा, एलर्जी जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति होती है. साथ ही इम्यून सिस्टम ठीक करने में भी काफी अहम भूमिका निभाता है.

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राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार.

सात हजार रुपये लीटर बिकेगा दूध

ब्रीडिंग के बाद ही डेयरी का काम जल्द शुरु कर दिया जाएगा. गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों का खजाना माना जाता है. ये बाजार में दो हजार से लेकर सात हजार रुपये लीटर तक में बिकता है. इससे ब्यूटी प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं, जो काफी महंगे होते हैं. डेयरी शुरू करने के लिए एनआरसीई हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र व करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद भी ली जा रही है.

बच्चों के गधी के दूध से नहीं होगी एलर्जी

इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं एनआरसीई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अनुराधा भारद्वाज बताती हैं कि कई बार गाय या भैंस के दूध से छोटे बच्चों को एलर्जी हो जाती है मगर हलारी नस्ल की गधी के दूध से कभी एलर्जी नहीं होती. इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करते हैं. गधी के दूध पर शोध का काम एनआरसीई के पूर्व डॉयरेक्टर डॉक्टर बीएन त्रिपाठी ने काम शुरू कराया था. एनआरसीई के निदेशक डॉक्टर यशपाल ने बताया कि इस दूध में नाममात्र का फैट होता है.

ब्यूटी प्रोडक्ट भी हो रहे हैं तैयार

डेयरी से पहले डॉ. अनुराधा ने ही गधी के दूध से ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने का काम किया था. उनकी ईजाद तकनीक को कुछ समय पहले ही केरल की कंपनी ने खरीदा है और ब्यूटी प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. गधी के दूध से साबुन, लिप बाम, बॉडी लोशन तैयार किए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अभी यमुना नदी में जलस्तर सामान्य लेकिन बारिश ज्यादा हुई तो होगी समस्या

हिसार: आपने गाय, भैंस, बकरी या ऊंट का दूध डेयरी में बिकते हुए देखा होगा, लेकिन देश में पहली बार अब गधी के दूध की भी डेयरी खुलने वाली है. सबसे अच्छी बात तो ये है कि गधी का दूध शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक करने में भी काफी अहम भूमिका निभाता है.

देश में पहली बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार में हलारी नस्ल की गधी के दूध की डेयरी शुरू होने जा रही है. इसके लिए एनआरसीई ने 10 हलारी नस्ल की गधियों को पहले ही मंगा लिया था जिनकी मौजूदा समय में ब्रीडिग की जा रही है.

हलारी नस्ल की विशेषता

गधी की ये नस्ल गुजरात में पाई जाती है. जिसका दूध दवाओं का खजाना माना जाता है. लाहारी नस्ल के गद्दे में कैंसर, मोटापा, एलर्जी जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति होती है. साथ ही इम्यून सिस्टम ठीक करने में भी काफी अहम भूमिका निभाता है.

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राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार.

सात हजार रुपये लीटर बिकेगा दूध

ब्रीडिंग के बाद ही डेयरी का काम जल्द शुरु कर दिया जाएगा. गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों का खजाना माना जाता है. ये बाजार में दो हजार से लेकर सात हजार रुपये लीटर तक में बिकता है. इससे ब्यूटी प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं, जो काफी महंगे होते हैं. डेयरी शुरू करने के लिए एनआरसीई हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र व करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद भी ली जा रही है.

बच्चों के गधी के दूध से नहीं होगी एलर्जी

इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं एनआरसीई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अनुराधा भारद्वाज बताती हैं कि कई बार गाय या भैंस के दूध से छोटे बच्चों को एलर्जी हो जाती है मगर हलारी नस्ल की गधी के दूध से कभी एलर्जी नहीं होती. इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित करते हैं. गधी के दूध पर शोध का काम एनआरसीई के पूर्व डॉयरेक्टर डॉक्टर बीएन त्रिपाठी ने काम शुरू कराया था. एनआरसीई के निदेशक डॉक्टर यशपाल ने बताया कि इस दूध में नाममात्र का फैट होता है.

ब्यूटी प्रोडक्ट भी हो रहे हैं तैयार

डेयरी से पहले डॉ. अनुराधा ने ही गधी के दूध से ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने का काम किया था. उनकी ईजाद तकनीक को कुछ समय पहले ही केरल की कंपनी ने खरीदा है और ब्यूटी प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. गधी के दूध से साबुन, लिप बाम, बॉडी लोशन तैयार किए जा रहे हैं.

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