हिसार: मिर्चपुर गांव में मंगलवार रात करीब 9 बजे वाल्मीकि बस्ती में 9 साल बाद फिर से जातीय तनाव पैदा हो गया. इस बार झगड़ा मुर्गी खरीदने की बात को लेकर हुआ है. दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई. घटना के बाद हमलावर मौके से फरार हो गए. हमले में वाल्मीकि बस्ती का तेजभान घायल हो गया. घायल व्यक्ति के परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया. सूचना मिलने पर डीएसपी जोगिंद्र राठी और नारनौंद थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए.
क्यों हुआ झगड़ा ?
पीड़ित तेजभान सिविल अस्पताल में डीसी रेट पर हेल्पर का काम करता है और ड्यूटी खत्म होने के बाद चिकन कॉर्नर चलाता है. तेजभान ने बताया कि मंगलवार रात को ड्यूटी खत्म करके वह गांव पहुंचा था. घर आने के बाद वह मिर्चपुर से कोथ कला रोड पर सुरेंद्र के मुर्गी फार्म पर मुर्गी लेने गया. वहां पर सुरेंद्र का पार्टनर सतीश बैठा था. उसके साथ 3-4 अन्य युवक बैठे थे.
तेजभान के फार्म पर जाते ही वह अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे. उसने जब विरोध किया तो सभी ने मिलकर उस पर हमला कर दिया. वह किसी तरह से बचकर बस्ती में पहुंचा और परिजनों को आपबीती सुनाई. तेजभान के परिजन ने पुलिस को मामले से अवगत करवाया. तुरंत उच्च अधिकारियों को मामले की सूचना दी गई. तनाव ज्यादा होने पर भारी पुलिस बल गांव में तैनात किया गया.
वहीं मिर्चपुर चौकी इंचार्ज एएसआई सुरेश कुमार ने बताया कि सूचना मिली कि तेजभान नामक युवक के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की है. सूचना मिलते ही वह पुलिस कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंचे. पीड़ित के बयान लेकर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. मामले की तफ्तीश नारनौंद डीएसपी जोगिंद्र राठी करेंगे.
2010 में हुआ था जातीय तनाव, दो को जलाया था जिंदा
21 अप्रैल 2010 को मिर्चपुर गांव में दो पक्षों के बीच झगड़ा हो गया था. उस दौरान भीड़ ने वाल्मीकि बस्ती में आग लगा दी थी. उस घटना में ताराचंद और उसकी दिव्यांग बेटी सुमन की मौत हो गई थी. उस झगड़े में काफी लोग घायल हुए थे. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में 20 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.