हिसार: हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष और हरियाणा कान्फेड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने व्यापारियों की समस्या सुनी. समस्या सुनने के बाद उन्होंने अनाज मंडी हांसी में पत्रकार सम्मेलन में कहा कि हरियाणा सरकार ने अक्टूबर महीने की धान की सरकारी खरीद का भुगतान जो लगभग 700 करोड़ रुपये मंडी आढ़तियों का बाकी है उसे 3 महीने बीतने के बावजूद भी भुगतान सरकार ने नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि जब से धान की खरीद सरकारी एजेंसियों ने की है तब से अब तक मंडी के पल्लेदारों और आढ़तियों की आज तक 1 रूपया भी मजदूरी और आढ़तियों का कमीशन नहीं मिला है. जिसके कारण प्रदेश के किसान, आढ़ती और मजदूरों में सरकार के प्रति बड़ी भारी नाराजगी है.
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार अनाज की खरीद का 72 घंटे के अंदर भुगतान करने का झूठा ढोल पीट रही है. जबकि किसी भी अनाज की खरीद का भुगतान सरकार ने 72 घंटे के अंदर नहीं करती है. सरकार को तुरंत प्रभाव से धान खरीद आढ़तियों का कमीशन और पल्लेदारों की मजदूरी का भुगतान ब्याज सहित तुरंत करना चाहिए. अगर सरकार ने धान खरीद का भुगतान जल्द ही नहीं किया तो प्रदेश का आढ़ती सरकारी गेहूं की खरीद का बहिष्कार करेगा.
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि अगर आढ़तियों को सरकारी धान खरीद का कमीशन ही समय पर नहीं मिलेगा और पल्लेदारों को अपनी मजदूरी नहीं मिलेगी तो आढ़ती मंडी में दुकान करके क्या करेगा. प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार मंडियों में आढ़तियों को बर्बाद करने पर तुली हुई है.
सरकार बार-बार कह रही है कि अनाज की खरीद ऑनलाइन करेगी और फसल का भुगतान आढ़तियों के माध्यम से नहीं किया जाएगा. जबकि किसान की फसल मंडियों में खुले बाजार में बिकने से किसानों को फसल के पूरे दाम मिलेंगे और ऑनलाइन फसल बिकने से किसान को बड़ी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि किसानों को ऑनलाइन सिस्टम की कोई जानकारी नहीं है और ना ही किसान इतना पढ़ा लिखा है कि वो कंप्यूटर चला कर फसल बेच सकें.
उन्होंने दावा किया कि प्रदेश का किसान ये चाहता है कि वो अपनी फसल खुले बाजार में बेचे और फसल के पुरे दाम नगद मिल जाए. ताकि वो उन पैसों से अपने घरेलू जरूरत का सामान खरीद सके.
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार सरकारी मिलिंग पॉलिसी के तहत धान खरीद में 1 प्रतिशत ड्राई के नाम की छूट मिलरो को हमेशा देती है. इस साल भी सरकार ने 1 प्रतिशत की छूट मिलरो को दी थी. उन्होंने कहा कि जीरी स्टॉक में 42000 एमटी की जो कमी पाई गई है. जबकि जीरी की खरीद 64.40 लाख एमटी हरियाणा में सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की गई है. ये कमी कुल खरीद का एक प्रतिशत से भी कम है. सरकार मिलरों को बेवजह परेशान कर रही है.
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