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हिसार की अनु यादव व पर्वतारोही रोहताश खिलेरी ने फतेह की अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो

हिसार के पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतेह किया और वहां अपने देश की आन बान शान तिरंगे झंडे को लहराया.

Anu yadav
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Published : Mar 23, 2021, 11:01 PM IST

हिसार: जिले के गांव मलापुर निवासी पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतेह कर लिया है. चोटी फतेह करने के उपरांत अनु यादव सकुशल वापस नीचे बेस कैंप पहुंच गई है. लेकिन रोहताश खिलेरी चोटी पर 24 घंटे रूकने का रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में वहीं रूक गए, जो अभी तक नीचे नहीं पहुंचे हैं. उनकी तलाश में रेस्क्यू टीम निकल चुकी है.

अपने यात्रा का अनुभव साझा करते हुए अनु यादव बताती हैं कि उन्होंने 17 मार्च को किलिमंजारो नेशनल पार्क से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की थी और 19 मार्च को वे शाम को 2 बजकर 10 मिनट पर कीबो हट पहुंच गए थे जोकि 4720 मीटर की ऊंचाई पर है. वहां पर मुझे हेडेक होना शुरू हो गया था, लेकिन कुछ समय आराम करके रोहताश खिलेरी व उन्होंने रात को करीब डेढ बजे फिर से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की.

ये भी पढ़े- चंडीगढ़ के आर्किटेक्ट ने पियरे जेनेरे के जन्मदिन पर उन्हें अनोखे तरीके से किया याद

इसके बाद करीब 5681 मीटर की ऊंचाई पर गिलमंस पॉइन पर उसकी तबीयत काफी खराब हो गईं थीं और हमें शिखर तक पहुंचना था. अगले दिन दोपहर के अफ्रीका के टाइम अनुसार दो बजे वे दोनों 5756 मीटर ऊंचार पर स्टेला प्वाइंट तक ही पहुंच पाए. उस समय शाम होने को थी और मौसम भी खराब था, इसलिए उन्होंने वहीं पर रूकने का निर्णय लिया.

इसके बाद 21 मार्च को सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर वे माउंट किलिमंजारो की फाइनल चढ़ाई के लिए निकले. अफ्रीका के टाइम 11 बजकर 45 मिनट पर वे दोनों चोटी के शिखर पर पहुंचे और दोनों ने मिलकर अपने देश की आन बान शान तिरंगे झंडे को लहराया.

अनु यादव ने कहा कि हमारा प्रयास था कि हमें चोटी पर 24 घंटे रूककर नया रिकॉर्ड बनाना था, लेकिन उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी और सर दर्द हो रहा था. जिसके चलते वह शिखर पर रुकने में सक्षम नहीं थी. हालांकि मौसम सही था, धूप निकली हुई थी, बस थोड़ी हवा चल रही थी और मैंने वापस नीचे जाने का निर्णय लिया.

ये भी पढ़े- शहीदी दिवस पर किसान आंदोलन में हुआ कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन, 100 टीमें पहुंची

लेकिन उनके गुरू रोहताश खिलेरी ने कहा कि अगर वे अभी नहीं रुके तो उन्हें माउंट एवरेट पर 24 घंटे रूकने की भी परमिशन नहीं मिलेगी और वे कभी यह रिकॉर्ड नहीं बना पाएंगे. इसलिए वे यह रिस्क उठा रहे हैं. उन्होंने मुझे गाइड के साथ सही सलामत नीचे भेज दिया और वे वहीं पर रूक गए.

अनु यादव ने चिंता जताई कि उनके गुरू रोहताश खिलेरी को देर रात तक नीचे पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन वे अभी तक लापता है और उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है. रेस्क्यू टीम ऊपर गई हुई है भगवान करे वे सही सलामत हो.

बता दें कि रोहताश खिलेरी इस चोटी के साथ साथ माउंट एवरेस्ट को पहले भी फतेह कर चुके हैं और इस बार अपनी शिष्या अनु यादव के साथ वे रिकॉर्ड बनाने के लिए शिखर पर पहुंचे थे. वहीं अनु यादव फतेहाबाद के बुवान गांव की बेटी है और पिछले लंबे समय से हिसार विद्युत नगर में अपने परिवार के साथ रह रही है, जहां उसके पिता ओमबीर यादव विद्युत विभाग में कार्यरत हैं.

हिसार: जिले के गांव मलापुर निवासी पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतेह कर लिया है. चोटी फतेह करने के उपरांत अनु यादव सकुशल वापस नीचे बेस कैंप पहुंच गई है. लेकिन रोहताश खिलेरी चोटी पर 24 घंटे रूकने का रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में वहीं रूक गए, जो अभी तक नीचे नहीं पहुंचे हैं. उनकी तलाश में रेस्क्यू टीम निकल चुकी है.

अपने यात्रा का अनुभव साझा करते हुए अनु यादव बताती हैं कि उन्होंने 17 मार्च को किलिमंजारो नेशनल पार्क से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की थी और 19 मार्च को वे शाम को 2 बजकर 10 मिनट पर कीबो हट पहुंच गए थे जोकि 4720 मीटर की ऊंचाई पर है. वहां पर मुझे हेडेक होना शुरू हो गया था, लेकिन कुछ समय आराम करके रोहताश खिलेरी व उन्होंने रात को करीब डेढ बजे फिर से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की.

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इसके बाद करीब 5681 मीटर की ऊंचाई पर गिलमंस पॉइन पर उसकी तबीयत काफी खराब हो गईं थीं और हमें शिखर तक पहुंचना था. अगले दिन दोपहर के अफ्रीका के टाइम अनुसार दो बजे वे दोनों 5756 मीटर ऊंचार पर स्टेला प्वाइंट तक ही पहुंच पाए. उस समय शाम होने को थी और मौसम भी खराब था, इसलिए उन्होंने वहीं पर रूकने का निर्णय लिया.

इसके बाद 21 मार्च को सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर वे माउंट किलिमंजारो की फाइनल चढ़ाई के लिए निकले. अफ्रीका के टाइम 11 बजकर 45 मिनट पर वे दोनों चोटी के शिखर पर पहुंचे और दोनों ने मिलकर अपने देश की आन बान शान तिरंगे झंडे को लहराया.

अनु यादव ने कहा कि हमारा प्रयास था कि हमें चोटी पर 24 घंटे रूककर नया रिकॉर्ड बनाना था, लेकिन उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी और सर दर्द हो रहा था. जिसके चलते वह शिखर पर रुकने में सक्षम नहीं थी. हालांकि मौसम सही था, धूप निकली हुई थी, बस थोड़ी हवा चल रही थी और मैंने वापस नीचे जाने का निर्णय लिया.

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लेकिन उनके गुरू रोहताश खिलेरी ने कहा कि अगर वे अभी नहीं रुके तो उन्हें माउंट एवरेट पर 24 घंटे रूकने की भी परमिशन नहीं मिलेगी और वे कभी यह रिकॉर्ड नहीं बना पाएंगे. इसलिए वे यह रिस्क उठा रहे हैं. उन्होंने मुझे गाइड के साथ सही सलामत नीचे भेज दिया और वे वहीं पर रूक गए.

अनु यादव ने चिंता जताई कि उनके गुरू रोहताश खिलेरी को देर रात तक नीचे पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन वे अभी तक लापता है और उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है. रेस्क्यू टीम ऊपर गई हुई है भगवान करे वे सही सलामत हो.

बता दें कि रोहताश खिलेरी इस चोटी के साथ साथ माउंट एवरेस्ट को पहले भी फतेह कर चुके हैं और इस बार अपनी शिष्या अनु यादव के साथ वे रिकॉर्ड बनाने के लिए शिखर पर पहुंचे थे. वहीं अनु यादव फतेहाबाद के बुवान गांव की बेटी है और पिछले लंबे समय से हिसार विद्युत नगर में अपने परिवार के साथ रह रही है, जहां उसके पिता ओमबीर यादव विद्युत विभाग में कार्यरत हैं.

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