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टिड्डी दल के हमले को लेकर कृषि विभाग सतर्क, कई जिलों को किया अलर्ट

हरियाणा कृषि विभाग टिड्डी दल के हमले को लेकर सर्तक हो गया है. टिड्डी दल राजस्थान के बीकानेर और सीकर में पहुंच चुका है. जिस वजह से राजस्थान के साथ सटे सभी जिलों में किसानों को सर्तक किया गया है.

हिसार
हिसार टिड्डी
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Published : May 22, 2020, 10:15 AM IST

हिसार: देश में एक बार फिर टिड्डी दल सक्रिय हो गया है. टिड्डी दल ने राजस्थान के कई जिलों में हमला बोल दिया है जिसे देखते हुए राजस्थान से लगते हरियाणा के सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही टिड्डी दल हमले को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को इसके प्रति जागरूक करने का भी काम शुरू कर दिया है.

टिड्डियों को फसल पर बैठने से रोका जाए

टिड्डी के आने के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग ने विभाग के सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए कहा है. कृषि विभाग ने डॉ. अरूण कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. हिसार के कृषि विभाग के अनुसार अगर टिड्डी दल आ जाता है तो किसान डीजे, थाली, ढोल, पीपे बजा कर उन्हें उड़ाने का काम करें.

हिसार
हिसार में अपने खेतों में काम करते हुए किसार परिवार.

ये भी पढ़ें- हिसार से 1450 प्रवासी मजदूरों को लेकर बिहार के लिए रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन

टिड्डी के बच्चे पहुंचाते हैं ज्यादा नुकसान

डिप्टी डायरेक्टर विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि टिड्डी झुंड के रूप में चलता है और मादा टिड्डी नरम मिट्टी में छेद करके 5 से 15 सेमी गहरी उचित नमी में 60 से 80 अंडे देती है. अंडे चावल के दाने के समान 7 से 9 मिलीमीटर लंबे तथा पीले रंग के होते हैं. अंडों से जो शिशु निकलते हैं उन्हें होपर या फुदका कहा जाता है जो कि सबसे ज्यादा नुकसान करता है.

रात को आराम कर सुबह करते हैं हमला

उन्होंने आगे बताया कि इनका रंग पीला, गुलाबी एवं काली धारियों युक्त होता है. टिड्डी के उड़ने की क्षमता 13 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और इसका झुंड 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. टिड्डी दल रात को झाड़ियों और पेड़ों पर विश्राम करती है और सुबह उड़ना प्रारंभ करती है. टिड्डी दल दिखाई देने पर डीजे, थाली, ढोल एवं खाली पीपे इत्यादि बजाकर जितना संभव हो सके इन्हें बैठने से रोकें.

ये भी पढ़ें- हिसार में प्रवासी मजदूरों और ट्रक ड्राइवर के बीच हुआ किराये को लेकर विवाद

हिसार: देश में एक बार फिर टिड्डी दल सक्रिय हो गया है. टिड्डी दल ने राजस्थान के कई जिलों में हमला बोल दिया है जिसे देखते हुए राजस्थान से लगते हरियाणा के सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही टिड्डी दल हमले को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को इसके प्रति जागरूक करने का भी काम शुरू कर दिया है.

टिड्डियों को फसल पर बैठने से रोका जाए

टिड्डी के आने के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग ने विभाग के सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए कहा है. कृषि विभाग ने डॉ. अरूण कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. हिसार के कृषि विभाग के अनुसार अगर टिड्डी दल आ जाता है तो किसान डीजे, थाली, ढोल, पीपे बजा कर उन्हें उड़ाने का काम करें.

हिसार
हिसार में अपने खेतों में काम करते हुए किसार परिवार.

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टिड्डी के बच्चे पहुंचाते हैं ज्यादा नुकसान

डिप्टी डायरेक्टर विनोद कुमार फोगाट ने बताया कि टिड्डी झुंड के रूप में चलता है और मादा टिड्डी नरम मिट्टी में छेद करके 5 से 15 सेमी गहरी उचित नमी में 60 से 80 अंडे देती है. अंडे चावल के दाने के समान 7 से 9 मिलीमीटर लंबे तथा पीले रंग के होते हैं. अंडों से जो शिशु निकलते हैं उन्हें होपर या फुदका कहा जाता है जो कि सबसे ज्यादा नुकसान करता है.

रात को आराम कर सुबह करते हैं हमला

उन्होंने आगे बताया कि इनका रंग पीला, गुलाबी एवं काली धारियों युक्त होता है. टिड्डी के उड़ने की क्षमता 13 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और इसका झुंड 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. टिड्डी दल रात को झाड़ियों और पेड़ों पर विश्राम करती है और सुबह उड़ना प्रारंभ करती है. टिड्डी दल दिखाई देने पर डीजे, थाली, ढोल एवं खाली पीपे इत्यादि बजाकर जितना संभव हो सके इन्हें बैठने से रोकें.

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