गुरुग्राम: पूरे भारत में आसमान से बरस रही भीषण गर्मी का असर इंसानों के साथ-साथ अब परिंदों पर भी पड़ने लगा है. गर्मी इतनी ज्यादा है कि आसमान में उड़ान भरने वाले ही नहीं, बल्कि घरों में कथित सुविधाओं के बीच रह रहे परिंदे भी गर्मी से बेहाल होकर अस्पताल पहुंच रहे (HEAT STROKE HITTING BIRDS IN GURUGRAM) हैं. गुरुग्राम के सदर बाजार स्थित चैरिटेबल बर्ड हॉस्पिटल (Charitable Bird Hospital Gurugram) में रोज 15 से 20 पक्षी हीट स्ट्रोक की वजह से दाखिल हो रहे हैं.
हीट स्ट्रोक के अगर लक्षणों की बात कि जाए तो हीट स्ट्रोक के कारण पक्षियों की गर्दन के नीचे की हड्डी बढ़ जाती है , उनकी टांगे कमजोर हो जाती है और वो उड़ने में असमर्थ हो जाते है और उड़ते-उड़ते गिर भी जाते हैं. ऐसा नहीं है कि हीट स्ट्रोक की मार सिर्फ छोटे पक्षियों पर पडं रही है, बल्कि आसमान में सबसे ऊंची उड़न भरने वाला बाज भी गर्मी से बेसुध होकर गुरुग्राम के सेक्टर सात में आ गिरा.
पक्षी को चैरिटेबल बर्ड हॉस्पिटल पहुंचाया गया जहां उसने कुछ नहीं खाया, सिर्फ पानी पिया. इस पक्षी अस्पताल में एक मोर का बच्चा भी हीट स्ट्रोक का शिकार दाखिल किया गया (HEATWAVE IN GURUGRAM) है. इसके अलावा इस हॉस्पिटल में रोजाना 15 से 20 विभिन्न प्रजाति के पक्षियों के हीट स्ट्रोक के शिकार हुए पक्षी ही दाखिल किए जा रहे हैं. चैरिटेबल बर्ड हॉस्पिटल के चिकित्सक राजकुमार की माने तो अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह की शुरुआत से ही पक्षियों में हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ गए है और अब तक लगभग 198 पक्षी हीट स्ट्रोक के शिकार हो चुके (SYMPTOMS OF HEAT STROKE IN BIRDS) हैं.
हालांकि पक्षियों को पंख की वजह से गर्मी नहीं लगती लेकिन जैसे ही तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से उपर जाता है तो पक्षियों में हीट स्टोक की सम्भावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा गंदा पानी पी लेने की वजह से भी पक्षियों में डायरिया की शिकायत भी आ रही हैं. इस पक्षी अस्पताल में हीट स्ट्रोक के शिकार पक्षियों में मोर, कबूतर, हरियल और बुलबुल के साथ गोरिय चिड़िया भी एडमिट है.
पक्षी अस्पताल के चिकित्सक की माने तो कई पक्षियों में अत्यधिक हीट स्ट्रोक की वजह से लकवा की बीमारी भी हो जाती है, और इनकी गर्दन एक तरफ मुड़ जाती है. जिसके चलते ये ठीक से बैठ भी नहीं पाते.ऐसे में इनका इलाज काफी दिनों तक चलता है. इस चिलचिलाती गर्मी ने जन्हा इंसानों की जिंदगी मुश्किल बना दी है. वहीं इन मासूम परिंदों का जीना भी दूभर हो गया है. जिनके सर पर न छत है और न तन पर कपड़े. ऐसे में जरूरत है लोगों इनका बचाव करें ताकि ये मासूम भी कुदरत की इस मार को झेल पाएं.
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