गुरुग्राम: पारस अस्पताल एक बार फिर विवादों में हैं. इस बार गुरुग्राम के पारस अस्पताल पर आरोप लगे हैं कि पारस अस्पताल के डॉक्टरों ने एक डेड बॉडी का पूरी रात इलाज कर ₹53000 का बिल बना दिया है. जिस पर परिजनों की शिकायत पर गुरुग्राम सीएमओ ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
दरअसल, परिजनों की तरफ से गुरुग्राम के सीएमओ को दी गई लिखित शिकायत के बाद एक कमेटी का गठन कर जल्द ही पारस अस्पताल के ऊपर लगे आरोपों की हेल्थ विभाग की टीम जांच करेगी, जिसके बाद इस पूरे मामले में पर्दा उठ जाएगा.
क्या है मामला?
32 साल के उमेश को 19 जनवरी को शरीर में इंफेक्शन के चलते एडमिट कराया था. वहीं परिजनों की मानें तो 20 जनवरी की शाम को ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर डेड बॉडी ले जाने के लिए बोल दिया, लेकिन देर शाम होने के चलते परिवार वाले डेड बॉडी तो नहीं ले कर गए बल्कि मृतक उमेश का पूरा उन्होंने चुका दिया और रात होने की वजह से सुबह डेड बॉडी ले जाने को गए.
डेड बॉडी का इलाज कर थामाया 53 हजार का बिल
लेकिन जब सुबह परिजन पहुंचे तो उन्होंने फिर से 53 हजार का बिल थमा दिया. सुबह 7 बजे पहुंचे परिजनों ने जब बिल देखा तो चौंक गए कि आखिर कैसे मरे हुए व्यक्ति का बिल ₹53000 आ सकता है. उसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों से पूछा तो फिर रात भर दवाई और इंजेक्शन का ये बिल बताया गया. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाए हैं कि पारस अस्पताल के डाक्टर मरीजों का नहीं बल्कि डेड बॉडी का इलाज करते हैं.
हेल्थ विभाग ने किया टीम का गठन
परिजनों के हंगामे के बाद मरीज जिंदा बताकर इलाज की बात कही गई, लेकिन जब उमेश को दूसरे अस्पताल ले जाया गया तो वहां के डॉक्टरों ने दी परिजनों की तरह ही उमेश को मृत घोषित कर दिया. गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर और सीएमओ को परिजनों की तरफ से लिखित शिकायत दी गई है. जिसमें एक तरफ डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप हैं. तो वहीं हेल्थ विभाग और पुलिस से भी परिजनों की शिकायत पर इंसाफ की मांग की गई. अब लेकिन हेल्थ विभाग की तरफ से इस मामले की गंभीरता को देखते हुए टीम का गठन कर जल्द पूरी जांच करने के आदेश जारी किए गए.
इस मामले पर जब हमने पारस अस्पताल प्रबंधन से बात करनी चाही तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, लेकिन बिना कैमरा इतना जरूर कहा कि हमारे यहां उमेश जिंदा था, बरहाल इस मामले ने एक बार फिर भगवान रूपी डॉक्टरों पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं.
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